Vikrant Shekhawat : Jun 27, 2021, 04:48 PM
हैदराबाद। देश-दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) अभी भी फैला हुआ है। इस बीच कोरोना लगातार अपना रूप भी बदलकर नए वेरिएंट (Corona Variant) के रूप में खतरा पैदा कर रहा है। लेकिन इन सबके बीच एक चिंताजनक खबर कर्नाटक (Karnataka) सामने आई है। राज्य के देवांगेरे जिले में एक 13 साल के बच्चे को पहले कोरोना संक्रमण हुआ, इसके बाद उसका मस्तिष्क निष्क्रिय हो गया। उसका इलाज अस्पताल में कई दिनों तक वेंटिलेटर पर चला। इसके बाद उसके स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार देखने को मिला।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह मामला कर्नाटक के देवांगेरे जिले में सामने आया है। कोरोना होने के बाद मस्तिष्क के निष्क्रिय होने का ऐसा मामला राज्य में पहला और देश का दूसरा बताया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 13 साल के बच्चे को एक्यूट नेक्रोटाइजिंग एनसैफैलोपैथी ऑफ चाइल्डहुड (ANEC) हुआ है। वह 8 दिन से अस्पताल में भर्ती है।एसएस इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर एनके कलापनावर का कहना है कि जब बच्चे के मस्तिष्क की जांच की गई तो वह निष्क्रिय पाया गया। उसे तीन दिन के लिए वेंटिलेटर पर रखा गया था। इसके बाद उसके स्वास्थ्य में कुछ सुधार दिखा तो वेंटिलेटर हटाय गया।उनका कहना है कि बच्चे को अभी एक हफ्ते और इलाज की जरूरत है। जब वह ठीक हो जाएगा तब हम पता लगाएंगे कि उसका मस्तिष्क कितना प्रभावित हुआ है। उनकी ओर से जानकारी दी गई है कि इस बीमारी का इलाज काफी महंगा है। 30 किलो वजनी प्रत्येक बच्चे के लिए इसका इंजेक्शन 75000 से लेकर 1 लाख रुपये तक की कीमत में आता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह मामला कर्नाटक के देवांगेरे जिले में सामने आया है। कोरोना होने के बाद मस्तिष्क के निष्क्रिय होने का ऐसा मामला राज्य में पहला और देश का दूसरा बताया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 13 साल के बच्चे को एक्यूट नेक्रोटाइजिंग एनसैफैलोपैथी ऑफ चाइल्डहुड (ANEC) हुआ है। वह 8 दिन से अस्पताल में भर्ती है।एसएस इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर एनके कलापनावर का कहना है कि जब बच्चे के मस्तिष्क की जांच की गई तो वह निष्क्रिय पाया गया। उसे तीन दिन के लिए वेंटिलेटर पर रखा गया था। इसके बाद उसके स्वास्थ्य में कुछ सुधार दिखा तो वेंटिलेटर हटाय गया।उनका कहना है कि बच्चे को अभी एक हफ्ते और इलाज की जरूरत है। जब वह ठीक हो जाएगा तब हम पता लगाएंगे कि उसका मस्तिष्क कितना प्रभावित हुआ है। उनकी ओर से जानकारी दी गई है कि इस बीमारी का इलाज काफी महंगा है। 30 किलो वजनी प्रत्येक बच्चे के लिए इसका इंजेक्शन 75000 से लेकर 1 लाख रुपये तक की कीमत में आता है।