India-Nepal / नेपाल की नई खुराफात, देहरादून-नैनीताल को बता रहा अपना शहर

चीन के इशारों पर काम करने वाले नेपाल ने अब एक और विवादित अभियान चला रखा है। इस अभियान के तहत वो उत्तराखंड के देहरादून, नैनीताल समेत हिमाचल, यूपी, बिहार और सिक्किम के कई शहरों को नेपाली बता रहा है। नेपाल की सरकार यानी सत्ताधारी पार्टी नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी ने यूनिफाइड नेपाल नेशनल फ्रेंट के साथ मिलकर एक ग्रेटर नेपाल अभियान चलाया है। इसके तहत ही ये लोग भारत के कई प्रमुख शहरों पर अपना दावा कर रही है।

AajTak : Sep 17, 2020, 09:49 AM
Delhi: चीन के इशारों पर काम करने वाले नेपाल ने अब एक और विवादित अभियान चला रखा है। इस अभियान के तहत वो उत्तराखंड के देहरादून, नैनीताल समेत हिमाचल, यूपी, बिहार और सिक्किम के कई शहरों को नेपाली बता रहा है। नेपाल की सरकार यानी सत्ताधारी पार्टी नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी ने यूनिफाइड नेपाल नेशनल फ्रेंट के साथ मिलकर एक ग्रेटर नेपाल अभियान चलाया है। इसके तहत ही ये लोग भारत के कई प्रमुख शहरों पर अपना दावा कर रही है। 

नेपाल ने भारतीय शहरों को अपना बताने के लिए 1816 में हुई सुगौली संधि से पहले के नेपाल की तस्वीर दिखा रहा है। वह इसके जरिए अपने देश के लोगों को भ्रमित करने में लगा है। ग्रेटर नेपाल अभियान से विदेशों में रहने वाले नेपाली युवा भी बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं। इसके लिए बकायदा ग्रेटर नेपाल के नाम से फेसबुक पेज बनाया गया है।

ट्विटर पर भी सत्ताधारी दल की टीम सक्रिय है। ग्रेटर नेपाल यू-ट्यूब चैनल पर नेपाल के साथ ही पाकिस्तानी युवा भी भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। ग्रुप से जुड़े पाकिस्तानी युवा अपनी प्रोफाइल की जगह परवेज मुशर्रफ, नवाज शरीफ और पाकिस्तानी झंडे के फोटो लगा रहे हैं। नेपाल में वर्तमान सत्ताधारी पार्टी के आने के बाद से ही ग्रेटर नेपाल की मांग ने जोर पकड़ा है।

8 अप्रैल 2019 में नेपाल ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इस मुद्दे को उठाया भी था। लेकिन फिर इस मुद्दे पर शांत हो गया था। पर अब चीन से भारत के बिगड़े रिश्तों और कालापानी मुद्दे को तूल देने के लिए नेपाल ने नए सिरे से इसे हवा देनी शुरू की है। विशेषज्ञ बताते हैं कि नेपाली सत्ताधारी दल भारत और नेपाल के संबंधों में दूरी बढ़ाने के लिए यह दुष्प्रचार कर रही है। ग्रेटर नेपाल के दावे का कोई आधार नहीं है। 

चीन के इशारे पर काम करने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री पर चीन से करोड़ों रुपयों की रिश्वत लेने का आरोप लगा है। कहा जा रहा है कि चीन की सरकार नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को कई मिलियन डॉलर्स की रिश्वत दे रही है। ओली के जेनेवा बैंक अकाउंट में 41।34 करोड़ रुपए जमा हैं। चीन इसी तरीके से नेपाल की सरकार को भारत के खिलाफ भड़काने का काम कर रही है।

ग्लोबल वॉच एनालिसिस की हाल ही में आई एक रिपोर्ट इस बात का दावा किया गया है कि उसने नेपाल में केपी शर्मा ओली के जरिए अपनी पैठ बनाई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक ओली की संपत्ति पिछले कुछ वर्षों में कई गुना बढ़ गई है। ओली ने कई बाहरी देशों में भी संपत्तियां खरीदी हैं। इसके एवज में ओली ने चीन को नेपाल में अपना बिजनेस प्लान लागू करने में मदद की है। इस प्लान में नेपाल में चीन की राजदूत होउ यांक्वी मदद कर रही हैं। 

नेपाल अगस्त महीने में विवादित बयान दिया था। उसने कहा था कि उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं इलाके का चंपावत जिला उसकी सीमा में आता है। ये दावा किया था नेपाल के कंचनपुर जिले के भीमदत्त नगर पालिका के मेयर ने सुरेंद्र बिष्ट ने। उनका कहना है कि बरसों से चंपावत जिला नेपाल का हिस्सा रहा है। क्योंकि उसके जंगलों के लिए बनाई गई कम्युनिटी फॉरेस्ट कमेटी (सामुदायिक वन समिति) उनके नगर पालिका क्षेत्र में आती है। 

नेपाल के कंचनपुर जिले के भीमदत्त नगर पालिका के मेयर सुरेंद्र बिष्ट का कहना है कि हमारी नगर पालिका के अंतर्गत उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके के तहत आने वाले चंपावत जिले के जंगलों के कुछ हिस्सा आता है। सुरेंद्र बिष्ट का दावा है कि चंपावत के जंगलों में बनाई गई सामुदायिक वन समिति कई सालों से भीमदत्त नगर पालिका के तहत काम करती है। कई सालों पहले नगर पालिका ने इस इलाके में लकड़ी के बाड़ भी लगाए थे। जिसे पुराना होने पर हाल ही में बदल दिया गया।