COVID-19 Update / कोरोना के खिलाफ नया हथियार, डेल्टा-एल्फा जैसे वेरिएंट को मात देने वाली एंटीबॉडी तैयार

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए वैज्ञानिक दिन-रात एक कर रहे हैं। रोज नए खुलासे हो रहे हैं और अलग-अलग खोज भी होती दिख रही हैं। अब EMBO Journal में एक स्टडी छपी है जिसके मुताबिक मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के रिसर्चरों ने एक ऐसी एंडीबॉडी का निर्माण किया है जो दूसरी एंडीबॉडी के मुकाबले कोरोना के खिलाफ 1000 गुना ज्यादा कारगर है। 'Alpacas' नाम के जानवर के खून से बनाई गई ये एंडीबॉडी कोरोना के खिलाफ एक नया हथियार बन सकता है।

Vikrant Shekhawat : Jul 30, 2021, 07:22 AM
Delhi: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए वैज्ञानिक दिन-रात एक कर रहे हैं। रोज नए खुलासे हो रहे हैं और अलग-अलग खोज भी होती दिख रही हैं। अब EMBO Journal में एक स्टडी छपी है जिसके मुताबिक  मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के रिसर्चरों ने एक ऐसी एंडीबॉडी का निर्माण किया है जो दूसरी एंडीबॉडी के मुकाबले कोरोना के खिलाफ 1000 गुना ज्यादा कारगर है। 'Alpacas' नाम के जानवर के खून से बनाई गई ये एंडीबॉडी कोरोना के खिलाफ एक नया हथियार बन सकता है।


कोरोना के खिलाफ नया हथियार

स्टडी के मुताबिक जिन नैनो बॉडी का निर्माण किया गया है, उनमें खर्चा कम आता है और उन्हें आसानी से ज्यादा तादात में बनाया जा सकता है। ऐसे में कोरोना से लड़ने के लिए इस एंटीबॉडी की ग्लोबल स्पलाई की जा सकती है। बताया गया है कि बीमार मरीजों को 'इंडस्ट्रियल' तरीके से एंटीबॉडी दी जा सकती हैं। उनके शरीर में वो एंटीबॉडी एक ड्रग की तरह काम करेंगी जिससे वे अपनी बीमारी से जल्दी ठीक हो सकेंगे। बड़ी बात ये भी सामने आई है कि इस एंटबॉडी के जरिए कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी अंदाज में लड़ा जा सकता है।


कैसे काम करेंगी एंटीबॉडी?

MPI के डायरेक्टर डिरिक गॉरलिच कहते हैं कि ये एंटीबॉडी ना सिर्फ संतुलन देती है बल्कि काफी कारगर भी है। ये एल्फा, बेटा, गामा, और डेल्टा के खिलाफ भी असरदार है। वहीं UMG इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर मैथिआस डौबिलस्टीन ने बताया है कि ये नैनो बॉडी 95 डिग्री सेल्सियस तक जिंदा रह सकती हैं। ऐसे में इंसान के शरीर में इनका असर भी लंबे समय तक रहेगा।

टेस्ट कैसे किया गया?

टेस्ट की बात करें तो इस एंटीबॉडी को डेवलप करने के लिए तीन alpacas का इस्तेमाल किया गया था। उन सभी को कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन से इम्यूनाइज किया गया था। उसके बाद उनसे जो एंटीबॉडी जनरेट हुईं, उसका सैंपल इकट्ठा किया गया और फिर रिसर्च की गई। अब उसी रिसर्च में दावा किया गया है कि उनके द्वारा निर्मित एंटीबॉडी कोरोना के खिलाफ काफी कारगर हैं और वेरिएंट के प्रभाव को भी कम कर सकते हैं।