Share Market Crash / भयावह गिरावट के बीच निफ्टी 22,300 के नीचे पहुंचा- 1 घंटे के अंदर ₹5,80,000 करोड़ बर्बाद

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी और जीडीपी आंकड़ों की चिंताओं के चलते भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 900 अंक गिरकर 73,683 पर पहुंचा, जबकि निफ्टी 22,271 पर आ गया। शुरुआती घंटे में निवेशकों के 5.8 लाख करोड़ रुपये डूब गए।

Share Market Crash: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी और वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ी चिंताओं ने शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में उथल-पुथल मचा दी। शुरुआती कारोबार में ही बाजार में बिकवाली का दबाव देखा गया, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने बड़ी गिरावट दर्ज की। सेंसेक्स 900 अंकों तक लुढ़क गया, जबकि निफ्टी 22,300 के नीचे पहुंच गया।

शेयर बाजार में 5.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान

शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। सुबह 9:39 बजे, बीएसई सेंसेक्स 929 अंकों (1.25 प्रतिशत) की गिरावट के साथ 73,683 पर आ गया, जबकि निफ्टी 273 अंकों (1.21 प्रतिशत) की गिरावट के साथ 22,271 पर पहुंच गया। इस गिरावट के कारण निवेशकों के करीब 5.8 लाख करोड़ रुपये डूब गए। बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप घटकर 387.3 लाख करोड़ रुपये पर आ गया।

आईटी, ऑटो, बैंकिंग सेक्टर में भारी गिरावट

आज की गिरावट में सबसे ज्यादा असर आईटी सेक्टर पर देखने को मिला, जहां निफ्टी आईटी इंडेक्स में 4% तक की गिरावट दर्ज की गई। पर्सिस्टेंट सिस्टम्स और टेक महिंद्रा के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट आई। इसके अलावा, निफ्टी ऑटो इंडेक्स भी 2% से ज्यादा गिर गया, जबकि बैंकिंग, मेटल, फार्मा, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑयल एंड गैस सेक्टर में 1-2% तक की गिरावट दर्ज की गई।

डॉलर की मजबूती बनी बाजार में गिरावट की बड़ी वजह

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के चलते ट्रेड वॉर की चिंताओं में इजाफा हुआ, जिससे अमेरिकी डॉलर अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में और मजबूत हो गया। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स शुक्रवार को बढ़कर 107.35 के स्तर पर पहुंच गया।

भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए डॉलर की मजबूती चिंता का विषय है, क्योंकि इससे विदेशी निवेश महंगा हो जाता है और भारतीय इक्विटी मार्केट से पूंजी का बहिर्वाह बढ़ सकता है। निवेशकों के मन में इस बात को लेकर चिंता है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो भारतीय बाजार में और गिरावट आ सकती है।

आगे क्या होगा?

वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार की चाल अब वैश्विक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगी। अमेरिकी नीतियों के साथ-साथ घरेलू अर्थव्यवस्था के संकेतकों पर भी निवेशकों को नजर रखनी होगी।

इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति, विदेशी निवेशकों का रुझान और वैश्विक बाजारों में होने वाली हलचलें भी बाजार की दिशा तय करेंगी। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सतर्क रहें और बाजार में किसी भी प्रकार का निवेश सोच-समझकर करें।