देश / कोविड-19 को कृत्रिम रूप से बनाए जाने के साक्ष्य नहीं: पूर्व आईसीएमआर वैज्ञानिक

आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर रमन आर. गंगाखेडकर ने कहा है कि कोविड-19 को कृत्रिम रूप से बनाए जाने या फिर जानवरों से इंसानों में आने के साक्ष्य नहीं हैं। बकौल गंगाखेडकर, इसकी शुरुआत पर 'निर्णायक' बात करने के लिए और प्रमाणों की आवश्यकता है। वहीं, एक ब्रिटिश अध्ययन के अनुसार वायरस को वुहान की लैब में बनाया गया था।

Vikrant Shekhawat : May 31, 2021, 03:46 PM
नई दिल्ली: कोरोनावायरस (Coronavirus) के बनने का मुद्दा हर दिन जोर पकड़ता जा रहा है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) में महामारी विज्ञान और संचारी रोग के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रमन आर गंगाखेडकर ने कहा कि हमारे पास अब भी ये सबूत नहीं हैं कि कोरोनावायरस को कृत्रिम रूप से (Artificially) बनाया गया. उन्होंने कहा कि न ही इस बात के सबूत हैं कि कोरोनावायरस जूनोटिक इंफेक्शन (Zoonotic Infection) के रूप में आया. उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस कैसे आया, इस पर निर्णायक रूप से कुछ भी कहने से पहले हमें सबूत मिलने का इंतजार करना होगा.

वहीं, देश की टीकाकरण रणनीति (Corona Vaccination Strategy) के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वैक्सीन (Covid Vaccine) प्राप्त करने के लिए सभी प्रयास करने होंगे. उन्होंने कहा, “अब जब देश में वैक्सीन की डोज उपलब्ध नहीं है, ऐसे में हमने कोरोना वैक्सीन के लिए अन्य विदेशी निर्माताओं से खरीद को खोल दिया है. हम अन्य देशों से भी इन टीकों को खरीदने के लिए तैयार हैं और हमने स्वदेशी कोरोना वैक्सीन की प्रोडक्शन कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए निवेश भी किया है.”

’45 साल से ज्यादा उम्र वर्ग के लोगों के टीकाकरण पर देना चाहिए ध्यान’

इसी के साथ, उन्होंने ये भी कहा कि देश को वैक्सीन की डोज मिलने में देरी होने के चलते 45 साल से ज्यादा उम्र वर्ग के लोगों के टीकाकरण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “यह देखते हुए कि देश को पर्याप्त डोज मिलने में अभी कुछ समय लगेगा, इसलिए पहले 45 साल से ज्यादा उम्र वर्ग के लोगों के टीकाकरण पर विशेष ध्यान दिया जाना समझदारी होगी. हम जानते हैं कि अब देशभर में संक्रमण के मामलों में कमी आई है, हमें इस अवसर का इस्तेमाल करना चाहिए और महामारी की चुनौती को कम करने के लिए स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को और मजबूत बनाना चाहिए.”

कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन B.1.6171.2 हो सकता है कितना खतरनाक?

उन्होंने कहा, “अगर हम बड़े पैमाने पर ऐसा कर सकते हैं तो मुझे यकीन है कि हम स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के लिए आने वाली चुनौतियों के संबंध में एक बड़ा बदलाव लाने में सक्षम होंगे.” वहीं, जब उनसे ये पूछा गया कि कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन B.1.6171.2 वेरियंट कैसे और कितना खतरनाक हो सकता है?, उन्होंने कहा कि इस वेरियंट की उच्च संचरण क्षमता (Higher Transmission Efficiency) हो सकती है, यानी अगर इसने एक व्यक्ति को संक्रमित किया है तो यह और भी व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है. उन्होंने कहा कि इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लोगों को कोरोना नियमों का पालन करना चाहिए और वैक्सीन भी लगवानी चाहिए.