Dainik Bhaskar : Nov 21, 2019, 08:34 AM
नई दिल्ली | सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार के पास लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट को आधार से जोड़ने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) की पॉलिसी के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति के आधार का गैर-कानूनी तरीके से इस्तेमाल करने, उसे ट्रैक करने और और उसकी प्रोफाइल तैयार करना प्रतिबंधित है। यहां तक कि आधार को बनाते वक्त या उसे अपग्रेड करते वक्त व्यक्ति के बायोमैट्रिक्स को इनक्रिप्टेड रखा जाता है और इसे किसी से भी साझा नहीं किया जाता है।प्रसाद ने कहा, “आधार तीन कोर सिद्धांत पर आधारित है- न्यूनतम सूचना, अपरिहार्य जानकारी और सुरक्षित डाटाबेस। व्यक्ति के पूरे जीवन में एक आधार डाटाबेस में केवल वही जानकारी होती है, जो व्यक्ति आधार बनवाते वक्त या अपडेशन के समय प्रदान करता है। आधार बनवाते वक्त या अपडेशन के दौरान जो जानकारी दी जाती है, उसे व्यक्ति के मोबाइल और ईमेल पर भी साझा किया जाता है।”आधार डाटाबेस में व्यक्ति का नाम, पता, लिंग, जन्मदिवस/आयु, फोटो और कोर बायोमैट्रिक्स (10 फिंगरप्रिंट्स और 2 आइरिस स्कैन्स) शामिल होता है।सोशल मीडिया पर 3433 यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर्स (यूआरएल) को ब्लॉक किया गयारविशंकर प्रसाद ने एक सवाल के जवाब में कहा कि गैर-प्रवासी भारतीय नागरिक भारत आने के बाद आधार नंबर के हकदार होंगे। उन्होंने कहा, “यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) एनआरआई नागरिकों को आधार से जोड़ने के लिए पहले ही इस सुविधा को लागू कर चुका है। 20 सितंबर 2019 से 14 नवंबर 2019 तक 2800 एनआरआई लोगों का आधार तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस साल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 3433 यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर्स (यूआरएल) को ब्लॉक किया गया है।