Vikrant Shekhawat : Apr 28, 2023, 01:08 PM
Electricity Crisis: गर्मी का मौसम शुरू हो गया है. इस बार मौसम विभाग ने अधिकतम तापमान का रिकॉर्ड टूटने का दावा किया है. इस खबर को पढ़कर शायद आपको भी पिछले साल का बिजली संकट याद आ गया हो. पिछली साल कोयले की आपूर्ति नहीं होने से देश के अलग-अलग थर्मल पावर प्रोजेक्ट में उत्पादन प्रभावित हुआ था. जिससे कई राज्यों में बिजली संकट का सामना करना पड़ा था. लेकिन इस बार गर्मियों में बिजली की बढ़ती डिमांड को देखकर भारतीय रेलवे ने नया प्लान तैयार किया है. रेलवे की तरफ से थर्मल पावर प्रोजेक्ट को कोयला आपूर्ति करने के लिए रोजाना 600 मालगाड़ियों का इस्तेमाल करने का रोडमैप तैयार किया गया है.कोयले की मांग बढ़कर 7.5 करोड़ टन तक जाएगीइस बारे में रेलवे मिनिस्ट्री के सीनियर अधिकारी का कहना है कि उम्मीद है जून तक अधिकतम कोयले की मांग बढ़कर 7.5 करोड़ टन (MT) हो जाएगी. हमने प्लान किया है कि कोयले की ढुलाई के लिए हर महीने जरूरत के आधार पर 35-40 मालगाड़ियों को बढ़ाया जाएगा. उन्होंने बताया कि रेलवे कोयले की ढुलाई के लिए जून तक करीब 4,000 वैगन या 80 मालगाड़ियों को जोड़ने की तैयारी चल रही है. रेलवे मिनिस्ट्री की तरफ से कहा गया कि कोयले की मांग बढ़ने पर जून और जुलाई में कोयला ढुलाई के लिए 60 मालगाड़ी और आवंटित करने की योजना बनाई है.अभी रोजाना 460 मालगाड़ियों का उपयोग होता हैरेलवे देश में सभी महत्वपूर्ण थर्मल पावर प्रोजेक्ट को कच्चा माल उपलब्ध कराने के लिए पावर मिनिस्ट्री और कोयला मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है. रेलवे मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि हमने कॉरिडोर बेस्ड अप्रोच पर काम किया है. रेलवे की एक अन्य अधिकारी की तरफ से बताया गया कि फिलहाल देश में कोयले के ट्रांसपोर्टेशन के लिए 460 मालगाड़ियों का उपयोग किया जाता है. गर्मियों को ध्यान में रखकर रेलवे मिनिस्ट्री दो बार में 80 और 60 मालगाड़ियों को और जोड़ने की योजना पर काम कर रही है. इस तरह कोयला ढुलाई के लिए मालगाड़ियों की संख्या बढ़कर 600 हो जाएगी. इन मालगाड़ियों से रोजाना कोयले की आपूर्ति की जाएगी.आपको बता दें एक मालगाड़ी में करीब 50 वैगन होते हैं. इसमें एक समय में 4,000 टन कोयला ले जा सकते हैं. वैगन की बढ़ती संख्या के साथ, रेलवे ने कोयला ले जाने वाले रेक की संख्या में सुधार करने की योजना बनाई है. साल 2022 में देश की जनता को भारी बिजली संकट से जूझना पड़ा था. देश के कई राज्यों में घोषित-अघोषित रूप से सात से आठ घंटे की बिजली कटौती की गई थी. बिजली संकट गहराने का मुख्य कारण कोयले की समय पर आपूर्ति नहीं होना रहा था.