Science / घंटी की तरह बज रहा है हमारा वायुमंडल, जानिए वैज्ञानिक क्यों कह रहे हैं ऐसा

जिस रह चंद्रमा के गुरुत्व से पृथ्वी के महासागरों पर असर होता है और वहां ज्वारभाटा की लहरें आती हैं। इसी तरह की तरंगें हमारे वायुमंडल में भी पैदा होती हैं। ताजा अध्ययन से पता चला है कि कैसे ये वायुमंडलीय तरंगे पूरी पृथ्वी पर प्रतिध्वनि सा प्रभाव दे रही हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे की घंटी की आवाज हवा में प्रभाव देती है।

News18 : Jul 11, 2020, 05:44 PM
Delhi: जिस रह चंद्रमा के गुरुत्व से पृथ्वी (Earth) के महासागरों पर असर होता है और वहां ज्वारभाटा की लहरें आती हैं। इसी तरह की तरंगें (Waves) हमारे वायुमंडल (Atmosphere) में भी पैदा होती हैं। ताजा अध्ययन से पता चला है कि कैसे ये वायुमंडलीय तरंगे पूरी पृथ्वी पर प्रतिध्वनि (Resonance) सा प्रभाव दे रही हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे की घंटी की आवाज (Ringing Bell) हवा में प्रभाव देती है।


पहली बार हुआ इतना व्यापक अध्ययन

इससे पहले हुए अध्ययनों में अब तक वायुमंडलीय दाब के स्थानीय स्तर पर और सीमित समय के लिए अध्ययन किया गया था। इनमें एक हजार से दस हजार किलोमीटर की वायुमंडलीय तरंगों के बारे में पता चलता तथा जिनकी आवृति कुछ ही घंटों की होती थी। ताजा अध्ययन में शोधकर्ताओं ने व्यापक प्रभाव पर शोध किया है। साइंस डायरेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार यह अध्ययन एटमॉस्फियरिक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।


नए आंकड़ों ने की मदद

लेकिन हाल ही में नए आंकड़े उपलब्ध हुए जिससे वैश्विक स्तर पर इनका अध्ययन संभव हो सका। इन आंकड़ों को यूरीपीय सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट  (ECMWF) की ओर से जारी किए गए थे। इन्ही आंकड़ों की मदद से क्योटो यूनिवर्सिटी, हवाई यूनिवर्सिटी मानोआ के वैज्ञानिकों ने दर्शाया है कि पृथ्वी का पूरा वायुमंडल एक तालमेल के साथ कंपन कर रहा है।

आवाज नहीं है ये लेकिन।।।।

हमारे वायुमंडल के मामले में यह कंपन एक ध्वनि के तौर पर नहीं आ रहा है जिसे हम सुन सकें। इसके बजाए यह बड़ी मात्रा में वायुमंडलीय दाब की तरंगों के रूप में देखा जा रहा है। ये तरंगे भूमध्य रेखा के पास पूरी पृथ्वी पर जा रही हैं। इनमें से कुछ तरंगें पूर्व से पश्चिम तो कुछ पश्चिम से पूर्व की ओर जा रही हैं। हर तरंग एक तरह की प्रतिध्वनित (Resonant) कंपन के रूप में पृथ्वी के वायुमंडल में फैल रही है। यह कंपन काफी कुछ घंटियों के प्रतिध्विनि की तरह है।

38 साल के आंकड़े हैं ये

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पिछले 38 साल के हर घंटे में पूरी पृथ्वी पर वायुमंडलीय दाब का सविस्तार विश्लेषण किया है। इस अध्ययन के नतीजों से पता है कि पृथ्वी के वायुमंडल में इस तरह की दर्जनों तरंगें मौजूद है।


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वैज्ञानिकों खास तौर पर दूसरे और 33वें घंटे के समय की तरंगों पर ध्यान दिया जो हमारे वायुमंडल पर क्षैतिज (Horizontally) यात्रा कर रही हैं। इस दौरान यह पूरी दुनिया में 700 मील प्रति घंटा की गति से चलती हैं। इस तरह से ये एक चैकरबोर्ड का पैटर्न बना रही हैं


200 साल पुराना संबंध

इस शोध के प्रमुख लेखक, ताकातोशी साकाजाकी ने कहा,  ये तेजी से चलने वाली तरंगों के रूप, हमारी अवलोकित की गई आवृतियों, और  वैश्विक प्रारूपों में हमारी सैद्धांतिक रूप से अनुमानित तरंगों से काफी मेल खा रही हैं। ये खास तरह का रोचक तारत्मय दिखा रही हैं। इस तरह का तालमेल भौतिकी में दो सदी पहले भौतिकविद लैपलास ने बताया था।


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हवाई यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल पैसिफिक रिसर्च सेंटर के केविन हैमिल्टन का कहना है कि  उनकी टीम के शोध में वास्तविक आंकड़ों स  की मोड (Modes) देखे हैं जो बजती हुई घंटी की तरह लगते हैं। इससे कई सवालो के जवाब तो मिलते हैं साथी शोध के नए आयाम भी खुलेंगे।