दुनिया / बलूच संस्कृति को मिटाने के मिशन में जुटा पाकिस्तान, चीन की तर्ज पर कर रहा ये साजिश

पाकिस्तान की इमरान खान सरकार बलूच संस्कृति को मिटाने के मिशन में जुट गई है। बलूच विद्रोहियों के साथ वैसा ही सलूक किया जा रहा है, जैसा कि चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ हो रहा है। पाकिस्तानी में चीन जैसे डिटेंशन कैंपों का निर्माण किया गया है, जहां बलूच विद्रोहियों का ब्रेन वॉश किया जाता है। ताकि वह बलूच संस्कृति छोड़कर पूरी तरह से सरकार के गुलाम बन जाएं।

Zee News : Sep 08, 2020, 07:18 AM
इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) की इमरान खान सरकार (Imran Khan) बलूच संस्कृति (Baloch Culture) को मिटाने के मिशन में जुट गई है। बलूच विद्रोहियों (Baloch fighters) के साथ वैसा ही सलूक किया जा रहा है, जैसा कि चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ हो रहा है। पाकिस्तानी में चीन जैसे डिटेंशन कैंपों का निर्माण किया गया है, जहां बलूच विद्रोहियों का ब्रेन वॉश किया जाता है। ताकि वह बलूच संस्कृति छोड़कर पूरी तरह से सरकार के गुलाम बन जाएं। 

बलूचिस्तान संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। यहां कई बार चीन के खिलाफ प्रदर्शन भी हो चुके हैं। इसलिए इमरान खान सरकार अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए चीन की राह पर चल निकली है। Zee News के सहयोगी चैनल WION के मुताबिक, पाकिस्तान में बनाये गए डिटेंशन कैंप बिल्कुल चीन के शिंजियांग प्रांत के कैंप जैसे ही हैं। पाकिस्तानी सेना द्वारा गुप्त रूप से संचालित इन शिविरों का मुख्य उद्देश्य बलूच सेनानियों का ब्रेन वॉश करना है, ताकि वह अपनी पहचान, संस्कृति भूलकर कानून का पालन करने वाले नागरिक बन जाएं।


आतंकी देते हैं जिहाद की शिक्षा

चीन उइगर मुस्लिमों की संस्कृति खत्म करने में लगा है। शिंजियांग प्रांत में बने शिविरों में उइगर मुस्लिमों को तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है। उसी तरह पाकिस्तान बलूच संस्कृति का नामोनिशान मिटाना चाहता है। बलूचिस्तान स्थित इन शिविरों में लाये जाने वाले बलूच विद्रोहियों को धार्मिक-देशभक्ति और जिहाद पढ़ाया जाता है। इसके लिए मुल्ला और आतंकी संगठनों के आकाओं की सेवाएं ली जाती हैं। विशेषतौर पर जमात ए इस्लामी से जुड़े आतंकी कैंपों में बलूच सैनिकों का ब्रेनवॉश करने जाते हैं। मुबीन खान खिलजी और नवाबजादा गोहरम बुगती और जमात ए इस्लामी के मौलाना अब्दुल हक हाशमी जैसे नेताओं को यहां बतौर गेस्ट स्पीकर आमंत्रित किया जाता है।


बाजवा ने शुरू किये थे कैंप

पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा ने इन डिटेंशन कैंपों की योजना तैयार की थी और उन्हीं की देखरेख में इनका निर्माण किया गया। बाजवा का नाम हाल ही में भ्रष्टाचार के मामले में सामने आया है। पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के विशेष सहायक और चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के अध्यक्ष बाजवा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के करीबी हैं। इसलिए उन्हें CPEC के विरोध में बलूचिस्तान से उठने वाली आवाजों को दबाने के अभियान की कमान सौंपी गई थी।


तीन महीने का ब्रेनवॉश कोर्स

पाकिस्तानी सेना शिविरों में रखे जाने वाले बलूच लड़ाकों के लिए तीन महीने ब्रेन वॉश कोर्स चलाती है। पहला बैच दिसंबर 2018 से मार्च 2019 तक पूरा हुआ था, जिसमें 50 बलूच विद्रोही थे। इन 50 विरोधियों में से पांच क्षेत्रीय कमांडर थे जबकि 45 सामान्य सैनिक। दूसरा बैच 128 उग्रवादियों का था, जिन्हें अप्रैल-जुलाई 2019 के बीच प्रशिक्षित किया गया। कैंप लाये जाने वाले अधिकांश लड़ाकों की उम्र 18 से 40  के बीच होती है और वे मुख्यतः डेरा बुगती, सिबी और कोहलू जिले से आते हैं। वर्तमान में जीओसी 41 डिवीजन के मेजर जनरल इरफान अहमद मलिक पर इन शिविरों को चलाने की जिम्मेदारी है।