India-China Apple iPhone / भारत देगा चीन को चुनौती, iPhone जैसे प्रोडक्ट बनाकर करेगा बंपर कमाई

भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर तेजी से उभर रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में इस सेक्टर का आकार 135-140 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। मोबाइल एक्सपोर्ट में 35% वृद्धि संभावित है। हालांकि, घरेलू मांग स्थिर है, जो चुनौती बन सकती है। भारत चीन को ट्रेड में चुनौती देने की तैयारी में है।

Vikrant Shekhawat : Jan 03, 2025, 06:00 AM
India-China Apple iPhone: भारत और चीन का हर मोर्चे पर आमना-सामना कोई नई बात नहीं है। अब इस टकराव का एक नया पहलू उभर रहा है, जहां दोनों देश जंग के मैदान में नहीं, बल्कि ट्रेड की दुनिया में एक-दूसरे को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। इस बार भारत ने चीन को चुनौती देने के लिए एक मजबूत हथियार तैयार किया है – इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और खासकर मोबाइल एक्सपोर्ट।

भारत में बढ़ती Apple iPhone मैन्युफैक्चरिंग

भारत अब इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का हब बनने की ओर बढ़ रहा है। Apple जैसे बड़े ब्रांड्स भारत में अपने प्रोडक्ट्स बना रहे हैं और एक्सपोर्ट कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर 15% की बढ़ोतरी के साथ $135-140 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है। यह वृद्धि मुख्य रूप से एक्सपोर्ट में आई तेजी के कारण हो रही है।

अप्रैल-दिसंबर 2024: एक्सपोर्ट के आंकड़े

साल 2024 के अप्रैल से दिसंबर के बीच भारत का इलेक्ट्रॉनिक एक्सपोर्ट ₹2.20 लाख करोड़ तक पहुंच गया। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक यह आंकड़ा ₹3.25 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है, जो वित्त वर्ष 2023-24 के ₹2.23 लाख करोड़ के मुकाबले 45% अधिक है।

मोबाइल एक्सपोर्ट: सबसे अहम योगदानकर्ता

मोबाइल एक्सपोर्ट इस सेक्टर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। अप्रैल-दिसंबर 2024 के बीच ₹1.25 लाख करोड़ का मोबाइल एक्सपोर्ट हुआ। यह उम्मीद की जा रही है कि FY25 में यह ₹1.75 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। यह वृद्धि भारत को वैश्विक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में एक मजबूत खिलाड़ी बना सकती है।

घरेलू मांग में स्थिरता

हालांकि एक्सपोर्ट में जबरदस्त बढ़ोतरी हो रही है, घरेलू मांग स्थिर बनी हुई है। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो इंडस्ट्री को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। भारतीय उपभोक्ताओं के बीच इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग में वृद्धि करना, स्थिर घरेलू बाजार को गति देने के लिए आवश्यक है।

भारत का 2030 लक्ष्य और चुनौतियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को ₹40 लाख करोड़ तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इसे हासिल करने के लिए हर साल 27.7% की वृद्धि आवश्यक है। हालांकि, वर्तमान में FY25 में केवल 15% बढ़ोतरी का अनुमान है। यह अंतर भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण रास्ता दर्शाता है।

चीन के लिए खतरा?

भारत के बढ़ते एक्सपोर्ट और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग की प्रगति चीन के लिए एक कड़ी चुनौती पेश कर रही है। चीन, जो इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का वैश्विक केंद्र रहा है, अब भारत के इस उभरते स्थान को नजरअंदाज नहीं कर सकता।

निष्कर्ष

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा है। अगर भारत घरेलू मांग को भी बढ़ा सके और अपने उत्पादन को और अधिक प्रतिस्पर्धी बना सके, तो यह न केवल चीन को चुनौती देगा बल्कि एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर बढ़ेगा। यह भारत के आर्थिक विकास की नई कहानी लिखने का वक्त हो सकता है।