Petrol-Diesel Price / पेट्रोल-डीजल के बढ़ सकते हैं दाम, जो बाइडन के इस बयान ने बढ़ाई टेंशन

इजराइल-ईरान युद्ध के बीच अमेरिकी हमले की चर्चा ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 5% तक की वृद्धि कर दी है। यदि यह तेजी जारी रहती है, तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, जिससे ऊर्जा संकट का असर दीर्घकालिक हो सकता है।

Vikrant Shekhawat : Oct 04, 2024, 01:00 AM
Petrol-Diesel Price: इजराइल और ईरान के बीच जारी तनाव और युद्ध की आहट अब भारत पर भी असर डाल सकती है, खासकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों के रूप में। अमेरिका के एक संभावित योजना के संकेत के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो भारत में ईंधन की कीमतें बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ सकता है।

अमेरिकी प्लान से बढ़ा बाजार में तनाव

गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में भारी उथल-पुथल तब देखने को मिली जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संकेत दिया कि अमेरिका इजराइल के साथ मिलकर ईरान के तेल ठिकानों पर संभावित हमले की योजना पर विचार कर रहा है। इस घोषणा ने तेल के बाजारों में हलचल मचा दी, और कीमतें 5% तक बढ़ गईं। यह बयान तब आया जब पहले से ही मध्य पूर्व में चल रहे तनाव और संघर्षों के कारण तेल की कीमतें अस्थिर बनी हुई थीं।

कच्चे तेल की आपूर्ति पर खतरा

बाइडेन के बयान के बाद से निवेशकों और व्यापारियों के बीच यह चिंता बढ़ गई है कि ईरान पर हमला वैश्विक तेल आपूर्ति को बाधित कर सकता है। ईरान दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक देशों में से एक है, और उसके तेल ठिकानों पर संभावित हमलों का मतलब है कि वैश्विक तेल आपूर्ति में गंभीर कटौती हो सकती है।

इससे वैश्विक बाजार में ऊर्जा संकट की आशंका और बढ़ गई है। गुरुवार को ब्रेंट क्रूड की कीमतें 5% उछलकर $89 प्रति बैरल तक पहुंच गईं, जो कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में तनाव की नई लहर का संकेत है।

भारत पर संभावित असर

भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए कच्चे तेल का बड़ा हिस्सा आयात करता है, और वैश्विक बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ता है। यदि कच्चे तेल की कीमतों में यह वृद्धि जारी रहती है, तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी वृद्धि देखने को मिल सकती है। इसका असर सिर्फ वाहनों के ईंधन तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि परिवहन, खाद्य पदार्थों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी वृद्धि हो सकती है, जिससे महंगाई और बढ़ने का खतरा है।

वैश्विक तेल बाजार की अस्थिरता

तेल की कीमतें पहले से ही मध्य पूर्व में चल रहे संघर्षों के कारण अस्थिर थीं। अब, यदि अमेरिका और इजराइल द्वारा ईरान पर हमला होता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति और उत्पादन में दीर्घकालिक रुकावट आ सकती है। अमेरिकी ऊर्जा बाजार भी बाइडेन के इस बयान के बाद हिल गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस तनाव का असर वैश्विक बाजारों पर लंबे समय तक देखने को मिल सकता है।

भविष्य में क्या हो सकता है?

मौजूदा स्थिति को देखते हुए, बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान पर वास्तव में हमला होता है, तो तेल की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। इस तनावपूर्ण माहौल में तेल की आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे वैश्विक ऊर्जा संकट गहराने की संभावना है। ऐसे में भारत जैसे देशों को इस संकट से निपटने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और बेहतर आपूर्ति प्रबंधन की दिशा में कदम उठाने की जरूरत होगी।

निष्कर्ष

इजराइल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव और अमेरिकी योजनाओं के संकेत ने वैश्विक तेल बाजारों में बड़ी उथल-पुथल मचा दी है। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का असर भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर भी दिखाई दे सकता है। अगर यह स्थिति और गंभीर होती है, तो महंगाई बढ़ने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।