Crude Oil Price Down / कच्चा तेल हुआ कोक और पेप्सी से भी सस्ता, क्या अब सस्ता होगा पेट्रोल?

पिछले दो दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में 13% गिरावट आई है। चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर के चलते ये गिरावट तीन साल के निचले स्तर तक पहुंची। इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड 35 रुपये/लीटर हो गया, फिर भी भारत में पेट्रोल-डीजल 100 रुपये से ऊपर बिक रहा है।

Crude Oil Price Down: पिछले दो दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की गई है। वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर और ओपेक+ देशों की नीतियों के चलते कच्चा तेल तीन साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। इस गिरावट के बावजूद भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगभग एक साल से स्थिर बनी हुई हैं, जिससे आम उपभोक्ता के मन में कई सवाल खड़े हो गए हैं।


13% गिरावट और तीन साल का निचला स्तर

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाए जाने और चीन की ओर से जवाबी टैरिफ के एलान ने ग्लोबल मार्केट में हलचल मचा दी है। महज दो दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में 13.5% तक की गिरावट देखी गई है। ब्रेंट क्रूड जहां 65 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ चुका है, वहीं अमेरिकी WTI क्रूड 62 डॉलर से नीचे ट्रेड कर रहा है। सत्र के दौरान यह क्रमशः 64.03 और 60.45 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए, जो पिछले चार वर्षों में सबसे निचला स्तर है।


रुपए में देखें तो सिर्फ ₹35 प्रति लीटर!

टीवी9 भारतवर्ष की बिजनेस टीम द्वारा की गई गणना के अनुसार, एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है। 65 डॉलर प्रति बैरल की दर से देखें तो प्रति लीटर कीमत मात्र 0.40 डॉलर यानी लगभग ₹35 होती है। तुलना करें तो यह कीमत कोक और पेप्सी जैसी कोल्ड ड्रिंक्स से भी कम है, जिनकी बाजार कीमत ₹65 प्रति लीटर के आसपास है।


भारत में पेट्रोल-डीजल क्यों है महंगा?

भारत में फिलहाल पेट्रोल और डीजल की औसतन कीमतें क्रमशः ₹95 और ₹88 प्रति लीटर से अधिक हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों में तो ये कीमतें ₹100 के पार हैं। हैरानी की बात यह है कि बीते एक साल में पेट्रोल-डीजल के दामों में केवल एक बार, मार्च 2024 में, ₹2 प्रति लीटर की कटौती हुई थी। उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट के बावजूद घरेलू कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ।


ट्रेड वॉर और मंदी की आशंका से दबाव

चीन द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर 34% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के एलान के बाद बाजारों में मंदी की आशंका और तेज हो गई है। जेपी मॉर्गन जैसे वैश्विक निवेश बैंक ने वैश्विक मंदी की संभावना 40% से बढ़ाकर 60% कर दी है। वहीं, गोल्डमैन सैक्स और HSBC जैसे बड़े वित्तीय संस्थान वर्ष 2025 के लिए तेल की मांग और कीमतों का पूर्वानुमान घटा चुके हैं।


आगे क्या? 50 डॉलर तक गिर सकते हैं दाम

एनर्जी स्पेशलिस्ट स्कॉट शेल्टन के अनुसार, यदि वैश्विक मांग में और कमी आती है तो WTI क्रूड की कीमतें निकट भविष्य में 50 डॉलर तक गिर सकती हैं। ओपेक+ द्वारा उत्पादन बढ़ाने का निर्णय भी कीमतों पर दबाव बनाएगा। अगर ऐसा होता है, तो भारत जैसे आयात-निर्भर देशों को इसका लाभ मिलना चाहिए — लेकिन सरकार की कर नीति और विंडफॉल टैक्स इसमें बाधा बन सकते हैं।


क्या सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल?

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुज गुप्ता का मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 5 से 25 रुपए प्रति लीटर तक की कटौती होनी चाहिए। हालांकि यह कटौती सरकार की कर नीति, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की मुनाफा नीति और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करेगी।