Vikrant Shekhawat : May 17, 2022, 08:07 PM
नई दिल्ली। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उस जगह को सुरक्षित करने का आदेश दिया जहा शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है, लेकिन मुसलमानों के मस्जिद में जाने और वहां नमाज पढ़ने पर किसी तरह की पाबंदी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने आदेश में ज्ञानवापी मस्जिद पर निचली अदालत के आदेश को सीमित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जिस जगह पर शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है सिर्फ उस जगह को सुरक्षित किया जाएगा। ये सुरक्षा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट प्रदान करेंगे। वो सुनिश्चित करेंगे कि जिस चीज को शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है उसे कोई नुकसान न हो।”
इस आदेश का असर ये होगा कि मस्जिद में बने वजूखाने का इस्तेमाल पूरी तरह से नहीं हो पाएगा क्योंकि वजूखाने के बीचोंबीच ही शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है वो वजूखाने का फव्वारा है। सुप्रीम कोर्ट के मंगलवार के आदेश के मुताबिक ज्ञानवापी मस्जिद में मुसलमानों के जाने पर कोई पाबंदी नहीं होगी और किसी भी तादाद में नमाज़ी मस्जिद में जाएंगे व अपने तरीके से नमाज पढ़ेंगे।सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में निचली अदालत के उस फैसले पर भी रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि सिर्फ 20 नमाज़ी ही ज्ञानवापी मस्जिद में जाएंगे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इशारा किया कि निचली अदालत अब इस मामले में कोई आदेश नहीं देगा, लेकिन आधिकारिक तौर पर निचली अदालत की कार्रवाई पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई गुरुवार 19 मई को होगी। शीर्ष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार समेत सभी पक्षकारों को नोटिस भी जारी किया।जज ने कहा, “हम नोटिस जारी कर रहे हैं। गुरुवार, 19 मई को सुनवाई करेंगे। उस दिन सिविल कोर्ट में जो वादी हैं, उनके वकील को भी सुना जाएगा। हम 16 मई के आदेश को सीमित कर रहे हैं।” इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर किसी ने शिवलिंग पर पैर लगा दिया तो कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है। इस पर पीठ ने कहा कि उन्होंने निचली अदलात कि सुनवाई पर रोक नहीं लगाई है।इस पर यूपी सरकार की तरफ से पेश वकील तुषार मेहता ने कहा कि लोग नमाजी वजूखाने में हाथ-पैर धोते हैं, ऐसे में वहां इस केस से जुड़ा कुछ महत्वपूर्ण हो सकता है और वो नष्ट हो सकता है। एसजी मेहता ने आशंका जताई कि शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है। इस पर जज ने कहा कि हम सुरक्षा का आदेश देंगे। मेहता ने फिर कहा, “मैं इस पर कल बताना चाहूंगा। हम यह चाहते हैं कि आपके आदेश का कोई अवांछित असर न पड़े।”इसके बाद मस्जिद कमिटी की ओर से पैरवी कर रहे हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा कि कोर्ट के इस आदेश से जगह की स्थिति बदल जाएगी। उन्होंने कोर्ट को बताया, “वज़ू के बिना नमाज़ नहीं होती। उस जगह का इस्तेमाल सदियों से हो रहा है।” इसके बाद जज ने कहा, “हम गुरुवार को सुनवाई करेंगे। अभी हम उस जगह के संरक्षण का आदेश बरकरार रखेंगे, जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है। हम डीएम को इसका निर्देश देंगे। अगर कोई शिवलिंग मिला है तो उसका संरक्षण ज़रूरी है, लेकिन अभी नमाज़ नहीं रोकी जानी चाहिए।”उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बीच शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई की क्योंकि वाराणसी की एक अदालत ने सोमवार को वहां के जिला प्रशासन को उस परिसर के अंदर सर्वेक्षण स्थल को सील करने का निर्देश दिया, जहां सर्वेक्षण दल को कथित रूप से ‘शिवलिंग’ मिला है।शीर्ष अदालत की मंगलवार के कामकाज की सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्ह की पीठ वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली प्रबंधन समिति ‘अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद’ की याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा शुक्रवार को जारी लिखित आदेश में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था।
इस आदेश का असर ये होगा कि मस्जिद में बने वजूखाने का इस्तेमाल पूरी तरह से नहीं हो पाएगा क्योंकि वजूखाने के बीचोंबीच ही शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है वो वजूखाने का फव्वारा है। सुप्रीम कोर्ट के मंगलवार के आदेश के मुताबिक ज्ञानवापी मस्जिद में मुसलमानों के जाने पर कोई पाबंदी नहीं होगी और किसी भी तादाद में नमाज़ी मस्जिद में जाएंगे व अपने तरीके से नमाज पढ़ेंगे।सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में निचली अदालत के उस फैसले पर भी रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि सिर्फ 20 नमाज़ी ही ज्ञानवापी मस्जिद में जाएंगे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इशारा किया कि निचली अदालत अब इस मामले में कोई आदेश नहीं देगा, लेकिन आधिकारिक तौर पर निचली अदालत की कार्रवाई पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई गुरुवार 19 मई को होगी। शीर्ष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार समेत सभी पक्षकारों को नोटिस भी जारी किया।जज ने कहा, “हम नोटिस जारी कर रहे हैं। गुरुवार, 19 मई को सुनवाई करेंगे। उस दिन सिविल कोर्ट में जो वादी हैं, उनके वकील को भी सुना जाएगा। हम 16 मई के आदेश को सीमित कर रहे हैं।” इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर किसी ने शिवलिंग पर पैर लगा दिया तो कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है। इस पर पीठ ने कहा कि उन्होंने निचली अदलात कि सुनवाई पर रोक नहीं लगाई है।इस पर यूपी सरकार की तरफ से पेश वकील तुषार मेहता ने कहा कि लोग नमाजी वजूखाने में हाथ-पैर धोते हैं, ऐसे में वहां इस केस से जुड़ा कुछ महत्वपूर्ण हो सकता है और वो नष्ट हो सकता है। एसजी मेहता ने आशंका जताई कि शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है। इस पर जज ने कहा कि हम सुरक्षा का आदेश देंगे। मेहता ने फिर कहा, “मैं इस पर कल बताना चाहूंगा। हम यह चाहते हैं कि आपके आदेश का कोई अवांछित असर न पड़े।”इसके बाद मस्जिद कमिटी की ओर से पैरवी कर रहे हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा कि कोर्ट के इस आदेश से जगह की स्थिति बदल जाएगी। उन्होंने कोर्ट को बताया, “वज़ू के बिना नमाज़ नहीं होती। उस जगह का इस्तेमाल सदियों से हो रहा है।” इसके बाद जज ने कहा, “हम गुरुवार को सुनवाई करेंगे। अभी हम उस जगह के संरक्षण का आदेश बरकरार रखेंगे, जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है। हम डीएम को इसका निर्देश देंगे। अगर कोई शिवलिंग मिला है तो उसका संरक्षण ज़रूरी है, लेकिन अभी नमाज़ नहीं रोकी जानी चाहिए।”उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बीच शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई की क्योंकि वाराणसी की एक अदालत ने सोमवार को वहां के जिला प्रशासन को उस परिसर के अंदर सर्वेक्षण स्थल को सील करने का निर्देश दिया, जहां सर्वेक्षण दल को कथित रूप से ‘शिवलिंग’ मिला है।शीर्ष अदालत की मंगलवार के कामकाज की सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्ह की पीठ वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली प्रबंधन समिति ‘अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद’ की याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा शुक्रवार को जारी लिखित आदेश में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था।