Vikrant Shekhawat : May 28, 2022, 05:43 PM
गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहकार को गांवों के स्वावलंबन का बहुत बड़ा माध्यम बताया और कहा कि इसी में आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा है। उन्होंने आगे कहा, “आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए गांवों का आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है, इसलिए पूज्य बापू और सरदार पटेल ने हमें जो रास्ता दिखाया, उसके अनुसार आज हम आदर्श सहकारी गांव की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।” वे यहां शनिवार को आयोजित ‘सहकार से समृद्धि’ कार्यक्रम में बोल रहे थे।
अपने संबोधन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में ‘सहकार से समृद्धि’ कार्यक्रम में इफको, कलोल में निर्मित नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने कहा, “आज आत्मनिर्भर कृषि के लिए देश पहले नैनो यूरिया लिक्विड प्लांट का उद्घाटन करते हुए मैं विशेष आनंद की अनुभूति करता हूं। अब यूरिया की एक बोरी की जितनी ताकत है, वो एक बोतल में समाहित है। नैनो यूरिया की करीब आधा लीटर बोतल, किसान की एक बोरी यूरिया की जरूरत को पूरा करेगी।”‘आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल है सहकार’पीएम मोदी ने कहा, ‘आत्मनिर्भरता में भारत की अनेक मुश्किलों का हल है। आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, सहकार है। ये हमने गुजरात में बहुत सफलता के साथ अनुभव किया है और आप सभी साथी इस सफलता के सेनानी हैं। डेयरी सेक्टर के कोऑपरेटिव मॉडल का उदाहरण हमारे सामने है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जिसमें गुजरात की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है। बीते सालों में डेयरी सेक्टर तेजी से बढ़ भी रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ज्यादा कंट्रीब्यूट भी कर रहा है।’‘सरकार सहकारी क्षेत्र को फलने-फूलने की आजादी देती है’वे बोले, ‘गुजरात में दूध आधारित उद्योगों का व्यापक प्रसार इसलिए हुआ, क्योंकि इसमें सरकार की तरफ से पाबंदियां कम से कम रहीं। सरकार जितना बच सके बचने की कोशिश करती है और सहकारी क्षेत्र को फलने-फूलने की आजादी देती है। सरकार यहां सिर्फ एक सहायक की भूमिका निभाती है, बाकी का काम या तो आप जैसे सहकार करते हैं, किसान करते हैं।’‘सहकार की सबसे बड़ी ताकत भरोसा है’कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘सहकार के भावों को आजादी के अमृतकाल की भावनाओं से जोड़ने के लिए हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। इसी उद्देश्य के साथ केंद्र में सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया। कोशिश यही है कि देश में सहकारिता आधारित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित किया जाए। सहकार की सबसे बड़ी ताकत भरोसा है, सहयोग है, सबके सामर्थ्य से संगठन के सामर्थ्य को बढ़ाने का है। यही आजादी के अमृतकाल में भारत की सफलता की गारंटी है।’
अपने संबोधन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में ‘सहकार से समृद्धि’ कार्यक्रम में इफको, कलोल में निर्मित नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने कहा, “आज आत्मनिर्भर कृषि के लिए देश पहले नैनो यूरिया लिक्विड प्लांट का उद्घाटन करते हुए मैं विशेष आनंद की अनुभूति करता हूं। अब यूरिया की एक बोरी की जितनी ताकत है, वो एक बोतल में समाहित है। नैनो यूरिया की करीब आधा लीटर बोतल, किसान की एक बोरी यूरिया की जरूरत को पूरा करेगी।”‘आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल है सहकार’पीएम मोदी ने कहा, ‘आत्मनिर्भरता में भारत की अनेक मुश्किलों का हल है। आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, सहकार है। ये हमने गुजरात में बहुत सफलता के साथ अनुभव किया है और आप सभी साथी इस सफलता के सेनानी हैं। डेयरी सेक्टर के कोऑपरेटिव मॉडल का उदाहरण हमारे सामने है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जिसमें गुजरात की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है। बीते सालों में डेयरी सेक्टर तेजी से बढ़ भी रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ज्यादा कंट्रीब्यूट भी कर रहा है।’‘सरकार सहकारी क्षेत्र को फलने-फूलने की आजादी देती है’वे बोले, ‘गुजरात में दूध आधारित उद्योगों का व्यापक प्रसार इसलिए हुआ, क्योंकि इसमें सरकार की तरफ से पाबंदियां कम से कम रहीं। सरकार जितना बच सके बचने की कोशिश करती है और सहकारी क्षेत्र को फलने-फूलने की आजादी देती है। सरकार यहां सिर्फ एक सहायक की भूमिका निभाती है, बाकी का काम या तो आप जैसे सहकार करते हैं, किसान करते हैं।’‘सहकार की सबसे बड़ी ताकत भरोसा है’कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘सहकार के भावों को आजादी के अमृतकाल की भावनाओं से जोड़ने के लिए हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। इसी उद्देश्य के साथ केंद्र में सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया। कोशिश यही है कि देश में सहकारिता आधारित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित किया जाए। सहकार की सबसे बड़ी ताकत भरोसा है, सहयोग है, सबके सामर्थ्य से संगठन के सामर्थ्य को बढ़ाने का है। यही आजादी के अमृतकाल में भारत की सफलता की गारंटी है।’