विश्व / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएनजीए में आतंकवाद के खिलाफ दुनिया से एकजुट होने का आह्वान करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र आम सभा के मंच से शुक्रवार को दुनिया को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी दुनिया को कश्मीर पर लिए गए सरकार के फैसले की जरूरतों के बारे में बताएंगे और आतंकवाद के खिलाफ दुनिया से एकजुट होने का आह्वान करेंगे। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की तमाम नाकाम कोशिशों के बाद एक बार फिर इमरान यूएन के मंच से जहर उगल सकते हैं।

AMAR UJALA : Sep 27, 2019, 06:47 AM
यूएनजीए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (narendra modi) संयुक्त राष्ट्र आम सभा (United Nations General Assembly) के मंच से शुक्रवार को दुनिया को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी दुनिया को जम्मू-कश्मीर (jammu kashmir) पर लिए गए सरकार के फैसले की जरूरतों के बारे में बताएंगे और आतंकवाद के (terrorism) खिलाफ दुनिया से एकजुट होने का आह्वान करेंगे। 

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बोलना है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की तमाम नाकाम कोशिशों के बाद एक बार फिर इमरान यूएन के मंच से जहर उगल सकते हैं। 

हालांकि, इसका उन्हें बहुत फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि संयुक्त राष्ट्र समेत दुनिया की तमाम महाशक्तियां पहले ही कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बता चुकी हैं और इसमें दखल देने से इनकार कर चुकी हैं।

आतंकियों को शरण देने वाले देशों पर हो कड़ी कार्रवाई : भारत

भारत ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में आतंकियों को शरण और वित्तीय मदद देने वाले देशों की पहचान पर जोर दिया। विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंत्रिस्तरीय बहस को संबोधित कर रहे थे। 

इस दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा कि आतंक पर लगाम लगाने के लिए उसे बढ़ावा देने वाले देशों के खिलाफ ठोस कदम उठाना और उनकी जवाबदेही तय करना बेहद जरूरी है। मुरलीधरन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बिना किसी विलंब के तत्काल सीसीआईटी (अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते) को स्वीकार करने की भी अपील की, जिससे आतंकवाद पर एकजुट तरीके से चोट की जा सके। 

सीसीआईटी संधि का प्रस्ताव भारत ने 1996 में संयुक्त राष्ट्र में पेश किया था, लेकिन करीब ढाई दशक बाद भी सभी देश इस पर सहमति नहीं बना सके हैं। इस प्रस्तावित संधि का मकसद सभी तरह के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को अपराध के तौर पर चिह्नित करना और आतंकियों व उनके वित्त पोषकों और समर्थकों को वित्त, हथियारों व सुरक्षित ठिकानों से वंचित करना है।