Vikrant Shekhawat : Oct 13, 2021, 02:20 PM
Pollution Under Control: देश भर में नवंबर से ठीक पहले प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC(पीयूसी)) पर सख्ती बढ़ने लगी है। नवंबर में ठंड की शुरुआत के साथ ही दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई इलाके में स्मॉग की गंभीर समस्या होती है, इसे रोकने के लिए सरकार ने अभी से PUC पर सख्ती बढ़ा दी है।दिल्ली सरकार ने कहा है कि तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित होने समेत दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए वाहन मालिकों को वैध ‘प्रदूषण नियंत्रण’ प्रमाण पत्र (पीयूसी(PUC)) साथ लेकर चलना चाहिए। परिवहन विभाग की ओर से जारी एक सार्वजनिक नोटिस में कहा गया कि वैध पीयूसी के बिना पकड़े जाने पर वाहन मालिकों को छह महीने जेल की सजा या 10 हजार रुपये जुर्माना या दोनों भुगतना पड़ सकता है।PUC सर्टिफिकेट का बदला तरीकासड़क परिवहन मंत्रालय ने इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसमें पहली बार वाहन से अधिक प्रदूषण मिलने पर अमान्य पर्ची देने का प्रावधान जोड़ा गया है। केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में किये गए बदलाव के अंतर्गत समान प्रमाण पत्र के लिए नया फॉर्मेट भी जारी किया जाएगा जिस पर क्यूआर कोड होगा। इसमें वाहन की पूरी जानकारी मसलन रजिस्ट्रेशन संख्या, चेंचिस संख्या, वाहन स्वामी का नाम, उसके परमिट आदी की पूरी जानकारी अपलोड की जाएगी।क्या है PUC?सड़क पर चलने वाली गाड़ियों से जो धुआं (Emission) निकलता है, वह पर्यावरण (Environment) के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इस तरह के प्रदूषण के लिए पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए जो मानक (Pollutants Standards) तय किए गए हैं, उनके मुताबिक ही आपकी गाड़ी का धुआं प्रदूषण फैला रहा है, इस बात की पुष्टि करने के लिए एक टेस्ट (Pollution Test) किया जाता है। इस टेस्ट के बाद जो सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, उसे पीयूसी(PUC) कहते हैं। भारत में मोटर या इंजन वाली सभी गाड़ियों के लिए यह अनिवार्य है। वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण कारक तत्वों जैसे कार्बन डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के लिए उनकी नियमित जांच की जाती है जिसके बाद पीयूसी दिया जाता है।नए वाहन पर PUCजब आप एक नई कार खरीदते हैं तो पीयूसी(PUC) उसके साथ दिया जाता है, जो अधिकतम 1 साल तक के लिए वैध होता है। इसके बाद आपको तय समय में जांच करवाकर पीयूसी सर्टिफिकेट लेना होता है।आम तौर पर पीयूसी की वैधता 6 महीने की होती है यानी आपको हर छह महीने में यह जांच कराना चाहिए। गाड़ी किस फ्यूल टाइप की है, इस आधार पर पीयूसी टेस्ट की कीमत 60 से 100 रुपये तक होती है।PUC टेस्ट करने का तरीकाPUC(पीयूसी) सर्टिफिकेट देने वाले सेंटर पर कंप्यूटर से जुड़ा एक गैस ऐनालाइजर होता है। इस कंप्यूटर में कैमरा और प्रिंटर भी जुड़ा होता है। गैस ऐनालाइजर को गाड़ी के साइलेंसर में डालते हैं। गाड़ी को चालू रखा जाता है। यह गैस ऐनालाइजर गाड़ी से निकलने वाले प्रदूषण की जांच करता है और आंकड़े कंप्यूटर को भेजता है। एक कैमरा गाड़ी के लाइसेंस प्लेट की फोटो लेता है। अगर गाड़ी से तय दायरे में प्रदूषण फ़ैल रहा है, तो उसका PUC(पीयूसी) सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है। प्रदूषण चेक करने की प्रक्रिया में पेट्रोल और डीजल वाहनों में कुछ अंतर होता है:पेट्रोल वाहन: पेट्रोल वाहन के लिए गाड़ी के एक्सलरेटर को बिना दबाए सिर्फ एक बार रीडिंग ली जाती है।डीजल वाहन: डीजल वाहन के लिए गाड़ी एक्सलरेटर को पूरी तरह दबाया जाता है और धुएं से पलूशन की रीडिंग ली जाती है। ऐसा चार-पांच बार करने के बाद एवरेज निकालकर फाइनल रीडिंग ली जाती है।PUC के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
- PUC(पीयूसी) पूरे देश में वैध होता है। आप अगर किसी दूसरे शहर में जा रहे हैं तब भी आपको नया पीयूसी(PUC) करवाने की ज़रूरत नहीं है।
- दो पहिया, तीन पहिया या चार पहिया किसी भी तरह के मोटर व्हीकल के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट ज़रूरी है।
- पीयूसी(पीयूसी) सेंटर सभी पेट्रोल पंप पर मिल जाते हैं। आटोमोबाइल कंपनियों के गैराजों में भी PUC(पीयूसी) टेस्टकी सुविधा होती है।
- पीयूसी जांच वही व्यक्ति कर सकता है जिसके पास मोटर मैकेनिक या आटोमोबाइल इंजीनियरिंग की न्यूनतम वैध डिग्री हो।
- गाड़ी में इतनी रिपेयरिंग करना जानता हो, जिससे प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है, लेकिन गाड़ी के इंजन की क्षमता पर कोई खराब असर न हो।
- पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट में इसका सीरियल नंबर होता है।
- जिस वाहन का पीयूसी टेस्ट किया गया है उसके लाइसेंस प्लेट का नंबर होता है।
- जिस तारीख को पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल टेस्ट किया गया है वह डेट होता है।
- इसके साथ ही पीएस पीयूसी(PUC) सर्टिफिकेट की एक्सपायरी डेट डेट होती है।
- इसके अलावा यू सी सर्टिफिकेट में रीडिंग और टेस्ट के ऑब्जर्वेशन के बारे में लिखा होता है।
- बैटरी से चलने वाली कार
- ई-रिक्शा
- बैटरी से चलने वाली स्कूटी/बाइक