उत्तराखंड / पुष्‍कर सिंह धामी चुने गए विधायक दल के नेता, फिर संभालेंगे CM की कुर्सी

पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनेंगे। भाजपा विधायकों की बैठक में ‌उन्हें सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया। बैठक में भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी भी मौजूद रहे। इसके साथ ही राज्य में 11 दिनों से जारी मुख्यमंत्री पद का सस्पेंस खत्म हो गया। दरअसल पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा चुनाव में खटीमा सीट से हार जाने के कारण अन्य नेता भी सीएम पद के लिए दावेदारी करने लगे थे

Vikrant Shekhawat : Mar 21, 2022, 06:09 PM
पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनेंगे। भाजपा विधायकों की बैठक में ‌उन्हें सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया। बैठक में भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी भी मौजूद रहे। इसके साथ ही राज्य में 11 दिनों से जारी मुख्यमंत्री पद का सस्पेंस खत्म हो गया। दरअसल पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा चुनाव में खटीमा सीट से हार जाने के कारण अन्य नेता भी सीएम पद के लिए दावेदारी करने लगे थे। चुनाव प्रचार के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा था धामी फ्लावर भी हैं और फायर भी।


पुष्कर सिंह धामी: कोश्यारी और राजनाथ के करीबी, उत्तराखंड के पहले भाजयुमो अध्यक्ष

16 सितंबर 1975 को पिथैरागढ़ के तुंडी गांव में जन्मे पुष्कर सिंह धामी की पार्टी में मजबूत पकड़ है। वे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के करीबी हैं। इसके अलावा धामी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भी करीबी माने जाते हैं। जब उत्तराखंड अलग राज्य बना था, तब धामी भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

पुष्कर सिंह धामी 2012 में पहली बार खटीमा सीट से विधायक बने। उन्होंने तब कांग्रेस के देवेंद्र चंद को करीब 5 हजार वोटों से अंतर से हराया था। 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में धामी ने खटीमा से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। इस बार उन्होंने कांग्रेस के भुवन चंद्र कापड़ी को 3 हजार से कम अंतर से हराया। वह उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री बने। इस बार कापड़ी ने उन्हें छह हजार वोटों से हरा दिया है।


राज्य की सत्ता के उतार चढ़ाव

नौ नवंबर 2000 को देश के 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आए उत्तराखंड को अब तक 12 मुख्यमंत्री मिल चुके हैं। वर्ष 2000 को पहली अंतरिम सरकार बनाने का मौका भाजपा को मिला और पहले मुख्यमंत्री बने नित्यानंद स्वामी। एक साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अक्टूबर 2001 में स्वामी की विदाई हो गई और उनकी जगह भगत सिंह कोश्यारी को सीएम बना दिया गया। कोश्यारी को लगभग चार महीने का ही कार्यकाल मिला, क्योंकि वर्ष 2002 की शुरुआत में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता से बेदखल हो गई।

कांग्रेस से तिवारी बने सीएम

कांग्रेस के सत्ता में आने पर नारायण दत्त तिवारी राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री बने। तिवारी अब तक अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। वर्ष 2007 के दूसरे विधानसभा चुनाव में फिर भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला। भाजपा ने तत्कालीन सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी को मुख्यमंत्री बनाया मगर सवा दो साल बाद जून 2009 में खंडूड़ी को हटा मुख्यमंत्री के रूप में रमेश पोखरियाल निशंक की ताजपोशी कर दी गई। निशंक को भी लगभग सवा दो साल ही इस पद पर रहने का मौका मिला और सितंबर 2011 में फिर खंडूड़ी को दोबारा भाजपा ने सरकार की कमान सौंप दी।

कांग्रेस को फिर मिली सत्ता

वर्ष 2012 के तीसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई। कांग्रेस ने भी विधायक के बजाय एक सांसद विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया। बहुगुणा मार्च 2012 से जनवरी 2014 तक कुर्सी पर रहे। कांग्रेस में अंदरूनी कलह के कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा और हरीश रावत फरवरी 2014 में मुख्यमंत्री बन गए।

भाजपा सत्ता में आई

वर्ष 2017 के चौथे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्ता से विदाई हुई और फिर अवसर मिला भाजपा को। इस बार भाजपा ने विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत को मार्च 2017 में मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। चार साल का कार्यकाल पूरा करने से कुछ ही दिन पहले नौ मार्च 2021 को त्रिवेंद्र को अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा। 10 मार्च को तीरथ सिंह रावत राज्य के 10वें मुख्यमंत्री बने और महज 114 दिन में उनकी विदाई हो गई। इसके बाद 11वें सीएम के रूप में पुष्कर सिंह धामी की ताजपोशी हुई


मप्र के सागर में भी पढ़े धामी

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मप्र के सागर जिले से गहरा नाता रहा है। केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई के अलावा वह आरएसएस से जुड़े रहे और इस दौरान पूर्व मंत्री स्व. हरनाम सिंह राठौर के परिवार से उनका जुड़ाव रहा है।

दरअसल धामी के पिता आर्मी में सागर में पदस्थ रहे। वर्ष 1993-94 के दौरान पुष्कर सिंह की केंद्रीय विद्यालय सागर में पढ़ाई हुई। वह यहां पढ़ाई के साथ-साथ छात्र राजनीति से भी जुड़े रहे हैं। आरएसएस से जुड़े होने के कारण पुष्कर का पूर्व मंत्री स्व. हरनाम सिंह राठौर के घर अक्सर आना-जाना लगा रहता था।

पूर्व विधायक राठौर के साथ भोपाल में वह पार्टी के कई कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं।