ABP News : Apr 10, 2020, 04:15 PM
नई दिल्ली |ट्रेन चलाने का फ़ैसला सरकार के कोविड सम्बंधी आंकलन पर निर्भर करेगा रेल मंत्रालय के एग्जीक्यूटिव ड़ाईरेक्टर आरडी वाजपेयी का कहना है कि लॉकडाउन के तुरंत बाद ट्रेनों को चलाए जाने सम्बंधी कोई भी अंतिम फ़ैसला केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के निर्देशों और उनके कोविड सम्बंधी स्वास्थ्य आंकलन और ज़रूरतों के अनुसार किया जाएगा। यानी राज्य सरकारें केंद्र सरकार को अपने-अपने राज्यों के हालात और ज़रूरतें बताएंगी उसके बाद केंद्र सरकार ये फ़ैसला लेगी कि किन राज्यों में ट्रेनों को चलाने से कोरोना फैलने का ख़तरा नहीं है।सभी यात्री गाड़ियां एक साथ चलाना सम्भव नहीं रेलवे रोज़ाना 12 हज़ार यात्री गाड़ियां चलाती है जिनमें एक लाख कर्मचारी ऑनबोर्ड काम करते हैं लेकिन हक़ीक़त ये है कि इतने कर्मचारियों के लिए पर्सनल प्रटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई ) उपलब्ध नहीं है। ऐसे में 14 तारीख़ के तुरंत बाद सभी यात्री गाड़ियां चलाना रेलवे के लिए एक बड़ी चुनौती है।ट्रेन चलाने के लिए रेलवे को चाहिए सिर्फ़ चार घंटे की मोहलत रेलवे बोर्ड के पूर्व सलाहकार सुनील कुमार का कहना कि भारतीय रेल नेटवर्क इतना सक्षम है कि महज़ चार घंटों की मोहलत पर भी यात्री गाड़ियां चला सकता है। दरअसल, रेलवे के इंफ़्रास्ट्रक्चर के अलावा उसे पटरियों के रखरखाव से लेकर सिग्नलिंग आदि तक पर जो कार्य करना होता है उसके लिए अगर कर्मचारी काम पर मौजूद हैं तो सिर्फ़ चार घंटे में सभी सुरक्षा मानक पूरे किए जा सकते हैं। ऐसे में सवाल रेलवे की क्षमता का नहीं बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य सम्बंधी सुरक्षा और सरकारी दिशा निर्देशों का है।किस तरह रेलवे हर समय तैयार है ? देश भर के रेलवे स्टेशनों पर सूनापन और सन्नाटा है लेकिन भले ही वहाँ कोई भी यात्री न आ रहा हो लेकिन प्लेटफ़ार्मों और फुटओवर ब्रिज की फ़र्श को रोज़ धुला जा रहा है। यानी स्टेशन भी ट्रेनों के लिए हर रोज़ तैयार हैं। इसी तरह भले ही यात्री गाड़ियां थम गई हैं लेकिन माल गाड़ियां पहले से तीन से चार गुनी रफ़्तार से दौड़ रही हैं। अलग-अलग राज्यों में साग, सब्ज़ी, चीनी, नमक, फल, दूध जैसी आवश्यक चीजें पहुंचा रही है ताकि लॉकडाउन में लोगों की दिक्कतें कम हों। यानी एक बड़े पैमाने पर रेल कर्मचारी लगातार काम पर हैं।