Farmers Protest / PM के बयान पर टिकैत का वार बोले- हम आंदोलन करते हैं, जुमलेबाज तो नहीं

राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आंदोलनजीवी वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि हम आंदोलन करते हैं, हम जुमलेबाज तो नहीं हैं। एमएसपी पर कानून बनना चाहिए वो नहीं बन रहा। तीनों काले कानून खत्म नहीं हो रहे हैं। प्रधानमंत्री जी ने 2011 में कहा था कि देश में एमएसपी पर कानून बनेगा। यह जुमलेबाजी थी। उन्होंने आज फिर यह दोहराया कि यह आंदोलन अभी लंबा चलेगा।

Vikrant Shekhawat : Feb 09, 2021, 07:34 PM
Farmers Protest: नए कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के गांव गुमथला गडु में मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने एक विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया। हमेशा की तरह हजारों की तादाद में लोगों ने इस महापंचायत में हिस्सा लिया। इस दौरान महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाए नहीं तो आंदोलन जारी रहेगा।

राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आंदोलनजीवी वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि हम आंदोलन करते हैं, हम जुमलेबाज तो नहीं हैं। एमएसपी पर कानून बनना चाहिए वो नहीं बन रहा। तीनों काले कानून खत्म नहीं हो रहे हैं। प्रधानमंत्री जी ने 2011 में कहा था कि देश में एमएसपी पर कानून बनेगा। यह जुमलेबाजी थी।

उन्होंने आज फिर यह दोहराया कि यह आंदोलन अभी लंबा चलेगा। टिकैत ने कहा कि अभी सरकार को 2 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। दिल्ली से किसान वापस नहीं आ रहे थे, जो साढ़े तीन लाख ट्रैक्टर गए थे। सरकार किसी गलतफहमी में न रहे कि किसान वापस चला जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार को 2 अक्टूबर तक का समय दिया है। इसके बाद हम आगे की प्लानिंग करेंगे। हम दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे। 

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार किसानों को नोटिस भेजकर डरा रही है, लेकिन इससे किसान डरने वाले नहीं हैं। हमने किसानों के बोए काटों पर फूल उगा दिए हैं। 

गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 76वें दिन भी जारी है। केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।