AMAR UJALA : Jan 04, 2020, 11:02 AM
लखनऊ | भले ही श्रीराम जन्मभूमि निर्माण के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार ट्रस्ट का गठन अभी न हो पाया है लेकिन निर्माण प्रक्रिया की योजना के मंथन के निष्कर्ष धीरे-धीरे बाहर आने लगे हैं। जिनसे यह पता चलता है कि देश व दुनिया के आकर्षण का केंद्र बिंदु अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का खाका लगभग खींचा जा चुका है। मुख्य बात यह है कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र और उनकी जिज्ञासा को समेटे बनने वाले इस मंदिर के मुख्य गर्भगृह में अकेले सिर्फ भगवान राम ही बालरूप में बिराजेंगे। उनके साथ सीता नहीं होंगी। सीता की प्रतिमा मुख्य गर्भगृह से ऊपर के तल पर होगी। जहां भगवान राम का पूरा दरबार रहेगा।राम का मंदिर की चर्चा आते ही हर व्यक्ति की आंखों के सामने जो दृश्य उभरता है उसमें भगवान राम के साथ विराजमान सीता की तस्वीर दिमाग में आती है। पर, यहां ऐसा नहीं होगा। न सीता होंगी और न भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान। भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न भी इस गर्भगृह में नहीं होंगे। ऐसा नहीं है कि इनकी मूर्तियां मंदिर में होंगी ही नहीं। मंदिर में इन सभी की मूर्तियां होंगी लेकिन मुख्य गर्भगृह से ऊपर के तल पर बनने वाले राम दरबार में। वैसे विचार यह भी हो रहा है कि मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों को भगवान राम के साथ बाल स्वरूप भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मूर्तियों को दर्शन कराने के लिए भी नीचे के ही तल पर स्थापित कर चारों भाइयों के बाल स्वरूप का दर्शन कराया जाए। पर, इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। यह है वजहदरअसल, जिस विवादित स्थल लगभग 1500 वर्ग गज को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का बीते 9 नवंबर को फैसला आया है। इसी को श्रीराम की जन्मभूमि माना जाता है। कहा जाता है कि इसी जगह महारानी कौशल्या के सामने भगवान राम प्रगट हुए थे। शेष तीनों भाइयों में भरत का जन्म कैकेयी और लक्ष्मण व शत्रुघ्न का जन्म सुमित्रा के महल में हुआ था। इसलिए भगवान राम के जन्मस्थान पर बनने वाले मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की ही बालस्वरूप प्रतिमा ही स्थापित हो सकती है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष और अयोध्या आंदोलन के प्रमुख किरदारों में शामिल रहे महंत नृत्यगोपाल दास भी इसकी पुष्टि करते हैं। कहते हैं कि संबंधित स्थल पर बनने वाले श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के संबंधित स्थल पर बनने वाले मुख्य गर्भगृह में सिर्फ भगवान राम ही बालस्वरूप में बिराजेंगे। कारण, प्रभु का मॉं सीता से विवाह तो उनके प्रगट होने के बाद का प्रसंग है। जब वह प्रगट हुए तो महारानी कौशल्या के आग्रह पर बालरूप धारण कर लिया इसलिए मुख्य गर्भगृह में बालस्वरूप प्रभु श्रीराम ही विराजित होंगे।