Vikrant Shekhawat : Jun 23, 2020, 12:51 PM
मुम्बई | सुशांत सिंह राजपूत की मौत (Sushant Singh Rajput Death) के बाद पूरे फिल्म जगत (Bollywood Industry) में अलग तरह का माहौल है। नेपोटिज्म (Nepotism) पर बहस के बीच भोजपुरी फिल्मों की सुपर स्टार (Bhojpuri Film Star) रानी चटर्जी (Rani Chatterjee) भी आगे आई हैं और उन्होंने कंगना राणावत (Kangana Ranaut) का समर्थन करते हुए कहा है कि सभी फिल्म इण्डस्ट्री में नेपोटिज्म है। उनकी पहली फिल्म सुपरहिट रही, लेकिन बाद में लम्बे समय तक उन्हें काम के लिए संघर्ष करना पड़ा। रानी चटर्जी ने कहा कि सुशांत की मौत ने हम सबको गहरा सदमा दिया है और इससे हम दु:खी हैं। रानी ने सलमान, करण जौहर, कंगना राणावत और सोनाक्षी समेत अन्य स्टार पर भी इस इंटरव्यू में बेबाकी से अपनी राय रखी।उन्होंने कहा कि नेपोटिज्म सभी के साथ होता है। बड़े प्रोड्यूसरों को तथाकथित बताते हुए कहा कि वे लोग ढंग से पेमेंट नहीं करते और रोते रहते हैं। पहले उन्होंने मुझे अवॉइड किया, बाद में मैंने उन्हें अवॉइड किया। लोग सफलता के साथ ही कॉम्प्लीमेंट बदल जाते हैं। अपनी सफलता के बारे में बताती रानी ने बताया कि अवॉर्ड शो में नहीं बुलाया जाता हमें, लेकिन खास लड़कियों को वे लोग पूरा मौका देते हैं। उन्होंने कहा कि जहां भी मैं हूं, वहां किसी भी गॉडफादर का हाथ नहीं है। खतरों के खिलाड़ी के बारे में बताते हुए भी रानी ने अपनी बात कही। मनोज तिवारी, निरहुआ और रविकिशन के साथ उन्हें काम तब मिला, जब मैं स्टार के तौर पर सैट हो चुकी थी।ग्रुप बनाकर काम करते हैं
इण्डस्ट्री में ग्रुपिज्म की बात कहते हैं कि डिस्ट्रीब्यूटर, प्रॉड्यूसर और अभिनेता सभी को अपना समूह बनाकर काम करना होता है। समझ नहीं आता कि ये फिल्म जनता के लिए बनाते हैं या खुद के लिए। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से मानसिक तनाव की बात भी कही है। रानी ने सलमान, करण जौहर, कंगना राणावत और सोनाक्षी समेत अन्य स्टार पर भी इस इंटरव्यू में बेबाकी से अपनी राय रखी।कास्टिंग काउच है और उससे निपटने का तरीका भी
रानी ने कहा है कि इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच है तो उससे निपटने का तरीका भी है। अधिकतर लोग सहमति से ऐसा करते हैं, जल्दी सफलता मिलने के लिए ऐसा किया जाता है। यदि सफलता नहीं मिलती तो वही सामने आकर चिल्लाने लगते हैं।भोजपुरी फिल्मों की बड़ी स्टार हैं चटर्जीरानी चटर्जी मुख्य रूप से भोजपुरी फिल्मों में काम करती हैं। इन्हें मुख्य रूप से इनके भोजपुरी फिल्मों में निभाए गए इनके किरदारों के कारण इन्हें जाना जाता है। इनके प्रमुख भोजपुरी फिल्मों में ससुरा बड़े पैसा वाला, सीता, देवरा बड़ा सतावेला, और रानी न॰ 786 है। मुंबई में पली बढ़ीं रानी को ब्रेक मिला 2003 में भोजपुरी पारिवारिक फिल्म ससुरा बड़ा पइसावाला में मनोज तिवारी के साथ। ये फिल्म काफी सफल रही और कई सारे पुरस्कार जीतने में भी कामयाब रही। इन्हें नागिन के लिये 2013 में हुए 6वें भोजपुरी पुरस्कार समारोह में साल की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार भी मिला था। अपनी पहली फिल्म करने के बाद इन्होंने कई अन्य फिल्मों में भी काम किया था, इनमें बंधन टूटे ना (2005), दामाद जी (2006), सीता (2007), तोहार नइखे कवनो जोड़ तू बेजोड़ बाड़ू हो (2009), देवरा बड़ा सतावेला (2010), दिलजले (2011), छैला बाबू (2011), फूल बनल अंगार (2011), गंगा यमुना सरस्वती (2012) और धड़केला टोहरे नेम करेजवा (2012) आदि है। महिला विषयक फिल्में प्रमुखता से करने के लिए भी यह प्रभावी तरीके से पहचान रखती हैं।
इण्डस्ट्री में ग्रुपिज्म की बात कहते हैं कि डिस्ट्रीब्यूटर, प्रॉड्यूसर और अभिनेता सभी को अपना समूह बनाकर काम करना होता है। समझ नहीं आता कि ये फिल्म जनता के लिए बनाते हैं या खुद के लिए। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से मानसिक तनाव की बात भी कही है। रानी ने सलमान, करण जौहर, कंगना राणावत और सोनाक्षी समेत अन्य स्टार पर भी इस इंटरव्यू में बेबाकी से अपनी राय रखी।कास्टिंग काउच है और उससे निपटने का तरीका भी
रानी ने कहा है कि इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच है तो उससे निपटने का तरीका भी है। अधिकतर लोग सहमति से ऐसा करते हैं, जल्दी सफलता मिलने के लिए ऐसा किया जाता है। यदि सफलता नहीं मिलती तो वही सामने आकर चिल्लाने लगते हैं।भोजपुरी फिल्मों की बड़ी स्टार हैं चटर्जीरानी चटर्जी मुख्य रूप से भोजपुरी फिल्मों में काम करती हैं। इन्हें मुख्य रूप से इनके भोजपुरी फिल्मों में निभाए गए इनके किरदारों के कारण इन्हें जाना जाता है। इनके प्रमुख भोजपुरी फिल्मों में ससुरा बड़े पैसा वाला, सीता, देवरा बड़ा सतावेला, और रानी न॰ 786 है। मुंबई में पली बढ़ीं रानी को ब्रेक मिला 2003 में भोजपुरी पारिवारिक फिल्म ससुरा बड़ा पइसावाला में मनोज तिवारी के साथ। ये फिल्म काफी सफल रही और कई सारे पुरस्कार जीतने में भी कामयाब रही। इन्हें नागिन के लिये 2013 में हुए 6वें भोजपुरी पुरस्कार समारोह में साल की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार भी मिला था। अपनी पहली फिल्म करने के बाद इन्होंने कई अन्य फिल्मों में भी काम किया था, इनमें बंधन टूटे ना (2005), दामाद जी (2006), सीता (2007), तोहार नइखे कवनो जोड़ तू बेजोड़ बाड़ू हो (2009), देवरा बड़ा सतावेला (2010), दिलजले (2011), छैला बाबू (2011), फूल बनल अंगार (2011), गंगा यमुना सरस्वती (2012) और धड़केला टोहरे नेम करेजवा (2012) आदि है। महिला विषयक फिल्में प्रमुखता से करने के लिए भी यह प्रभावी तरीके से पहचान रखती हैं।