Vikrant Shekhawat : May 12, 2022, 10:23 PM
श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री घोषित किए गए हैं. श्रीलंका की 225 सदस्यीय संसद में पूर्व पीएम रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP ) की केवल एक सीट है. देश की सबसे पुरानी पार्टी यूएनपी 2020 में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी और यूएनपी के मजबूत गढ़ रहे कोलंबो से चुनाव लड़ने वाले विक्रमसिंघे भी हार गए थे. बाद में वह कम्युलेटिव नेशनल वोट के आधार पर यूएनपी को आवंटित राष्ट्रीय सूची के माध्यम से संसद पहुंच सके.चार बार प्रधानमंत्री रह चुकेश्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था. हालांकि दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें इस पद पर बहाल कर दिया था.न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (SLPP ) विपक्षी समगी जन बालावेगाया (SJB ) के एक धड़े और अन्य कई दलों ने संसद में विक्रमसिंघे के बहुमत साबित करने के लिए अपना समर्थन जताया.चार बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रह चुके हैं विक्रमसिंघेश्रीलंका के वर्तमान प्रधानमंत्री और यूनाइटेड नेशनल पार्टी के एकमात्र सांसद रानिल विक्रमसिंघे का जन्म 24 मार्च 1949 को हुआ था। वह 1994 से यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता हैं। उन्होंने 7 मई 1993 से 18 अगस्त 1994, 8 दिसंबर 2001 से 6 अप्रैल 2004, 9 जनवरी 2015 से 26 अक्टूबर 2018 और 15 दिसंबर 2018 से 21 नवंबर 2019 तक श्रीलंका के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया है। वह श्रीलंकाई संसद में दो बार विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं। ऐसे में श्रीलंका की राजनीति में रानिल विक्रमसिंघे एक जाना पहचाना चेहरा हैं।1977 में पहली बार बने थे सांसदरानिल विक्रमसिंघे का जन्म श्रीलंका के एक धनी राजनीतिक परिवार में हुआ था। उन्होंने सीलोन विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1972 में सीलोन लॉ कॉलेज से वकालत की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने यूनाइटेड नेशनल पार्टी के साथ जुड़कर 1970 के दशक के मध्य में राजनीति में सक्रिय हुए थे। वे 1977 के संसदीय चुनावों में पहली बार बियागामा से सांसद चुने गए थे। जिसके बाद उनके चाचा राष्ट्रपति जे.आर. जयवर्धने ने रानिल को विदेश मामलों का उप मंत्री नियुक्त किया। इसके बाद उन्हें युवा मामलों और रोजगार मंत्री नियुक्त किया गया। इस तरह वे श्रीलंका के इतिहास में सबके कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बने।2020 के चुनाव में विक्रमसिंघे को देखना पड़ा था हार का मुंहदेश की सबसे पुरानी पार्टी यूएनपी 2020 के संसदीय चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। यूएनपी के मजबूत गढ़ रहे कोलंबो से चुनाव लड़ने वाले विक्रमसिंघे भी हार गये थे। बाद में वह सकल राष्ट्रीय मतों के आधार पर यूएनपी को आवंटित राष्ट्रीय सूची के माध्यम से संसद पहुंच सके। उनके साथी रहे सजीत प्रेमदासा ने उनसे अलग होकर अलग दल एसजेबी बना लिया जो मुख्य विपक्षी दल बन गया। विक्रमसिंघे को दूरदृष्टि वाली नीतियों के साथ अर्थव्यवस्था को संभालने वाले नेता के तौर पर व्यापक स्वीकार्यता है। उन्हें श्रीलंका का ऐसा राजनेता माना जाता है जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी जुटा सकते हैं।