Shardiya Navratri / नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पढ़ें कथा, घर आएंगी खुशियां

नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है, जिनका स्वरूप शांति और कल्याण का प्रतीक है। उनकी पूजा से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और रोगों-कष्टों से मुक्ति मिलती है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा है। सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा करती हैं।

Vikrant Shekhawat : Oct 05, 2024, 08:27 AM
Shardiya Navratri: नवरात्रि का तीसरा दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप को समर्पित है। मां चंद्रघंटा का यह स्वरूप अत्यंत शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है। उनके उपासक मानते हैं कि मां की पूजा से उन्हें आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है, जो जीवन में आंतरिक शांति और सद्गुणों को विकसित करने में सहायक होती है। इसके साथ ही, मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।

मां चंद्रघंटा का स्वरूप और प्रतीक

मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, इसलिए उन्हें "चंद्रघंटा" कहा जाता है। उनका शरीर स्वर्ण के समान चमकता है, जो दिव्यता और पवित्रता का प्रतीक है। मां सिंह पर सवार होकर शत्रुओं का संहार करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं, जिनमें शस्त्र और आशीर्वाद दोनों के प्रतीक होते हैं, यह बताता है कि वे एक ओर तो शक्ति की देवी हैं और दूसरी ओर दयालु और करुणामयी माता भी हैं।

पूजा का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए नवरात्रि के तीसरे दिन का समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस वर्ष, पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 तक रहेगा। इस समय में भक्त मां की आराधना कर, उन्हें विशेष भोग अर्पित करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

मां चंद्रघंटा की कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां चंद्रघंटा का अवतार तब हुआ जब देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा था। महिषासुर नामक असुर स्वर्ग पर अधिकार जमाने के लिए देवताओं से युद्ध कर रहा था। देवताओं ने इस संकट को देखकर त्रिमूर्ति - ब्रह्मा, विष्णु और महेश से सहायता की प्रार्थना की। देवताओं की प्रार्थना सुनकर त्रिमूर्ति के क्रोध से जो ऊर्जा प्रकट हुई, उससे एक दिव्य देवी का अवतार हुआ। इस देवी को भगवान शिव ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, और इंद्र ने घंटा प्रदान किया। इसके साथ ही, सूर्य ने उन्हें अपना तेज और एक तलवार दी, जबकि सिंह को उनका वाहन बनाया गया।

मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का अंत कर, देवताओं की रक्षा की और संसार में शांति की स्थापना की। मां का यह रूप शक्तिशाली और साहसी होते हुए भी अपने भक्तों के लिए करुणामयी और सौम्य है। वह सभी कष्टों को हरने वाली और शांति प्रदान करने वाली देवी हैं।

मां चंद्रघंटा की आराधना का महत्व

मां चंद्रघंटा की पूजा से साधक के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है। मां के आशीर्वाद से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति में धैर्य, सहनशीलता और संतुलन की भावना विकसित होती है। साथ ही, मां चंद्रघंटा के उपासक को रोगों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है, और वह भयमुक्त होकर जीवन के सभी संघर्षों का सामना कर पाता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है, क्योंकि इस दिन मां की कृपा से शांति, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।

मां चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी कष्ट, रोग और बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।