Vikrant Shekhawat : Oct 07, 2021, 06:17 PM
अगर आपकी गाड़ी(vehicles) 15 साल से अधिक पुरानी है तो अगली बार उसके रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल के लिए आपको 8 गुना ज्यादा फीस देनी होगी. हैवी कमर्शियल वाहन जैसे बस-ट्रक के मालिकों को फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए 8 गुना अधिक फीस भरनी होगी. नए नियम अप्रैल 2022 से लागू होंगे. रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मंत्रालय ने इस मामले में 4 अक्टूबर को नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.पुरानी गाड़ी चलाना पड़ेगा महंगाहालांकि नए नियमों का असर दिल्ली-एनसीआर पर नहीं पड़ेगा. वजह ये कि यहां 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियां(vehicles) पहले से ही बैन हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मिनिस्ट्री के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 15 साल पुरानी कार का दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अगले साल अप्रैल से 5000 रुपए खर्च करने होंगे. जबकि इस समय इसकी फीस मात्र 600 रुपए है.
इसी तरह, पुरानी बाइक के रजिस्ट्रेशन और रिन्यूअल के लिए अगले साल अप्रैल से 1000 रुपए खर्च करने पड़ेंगे जबकि अब तक 300 रुपए में काम हो जाता था. उसी तरह बस और ट्रक के मामले में देखें तो फिटनेस रिन्यूअल सर्टिफिकेट के लिए 12500 रुपए खर्च करने होंगे. अभी इसके लिए 1500 रुपए लगते हैं. प्राइवेट गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के रिन्यूअल में देरी पर हर महीने 300 रुपये लगेंगे. कमर्शियल गाड़ियों के मामले में हर महीने 500 रुपये का पेमेंट करना होगा. कमर्शियल गाड़ियों(vehicles) के फिटनेस सर्टिफिकेट में देरी पर हर दिन 50 रुपए के हिसाब से जुर्माना लगेगा.फीस बढ़ाने का उद्देश्य लोगों को पुरानी गाड़ियां(vehicles) चलाने से दूर रखना है. 15 साल पुरानी प्राइवेट गाड़ियों के मामले में मालिक को हर 5 साल में रजिस्ट्रेशन को रिन्यू कराना अनिवार्य होगा. इसी तरह, कमर्शियल गाड़ियों के मामले में 8 साल पूरे होने के बाद हर साल फिटनेस सर्टिफिकेट का रिन्यूअल अनिवार्य है. नोटिफिकेशन में वाहनों के मैनुअल और ऑटोमैटिक फिटनेस टेस्ट के लिए फीस भी निर्धारित की गई है. सरकार का लक्ष्य फिटनेस जांच की मैनुअल प्रणाली को खत्म करना है, जिसमें हेरफेर या धांधली की संभावना बनी रहती है.पीएम ने लॉन्च की थी योजनाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त में नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैपिंग पॉलिसी लॉन्च की थी. पीएम ने कहा था कि देश में अनफिट वाहनों को वैज्ञानिक तरीके से हटाने में ये नीति बड़ी भूमिका निभाएगी. पीएम ने इस नीति के चार फायदे भी गिनाए थे-
इसी तरह, पुरानी बाइक के रजिस्ट्रेशन और रिन्यूअल के लिए अगले साल अप्रैल से 1000 रुपए खर्च करने पड़ेंगे जबकि अब तक 300 रुपए में काम हो जाता था. उसी तरह बस और ट्रक के मामले में देखें तो फिटनेस रिन्यूअल सर्टिफिकेट के लिए 12500 रुपए खर्च करने होंगे. अभी इसके लिए 1500 रुपए लगते हैं. प्राइवेट गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के रिन्यूअल में देरी पर हर महीने 300 रुपये लगेंगे. कमर्शियल गाड़ियों के मामले में हर महीने 500 रुपये का पेमेंट करना होगा. कमर्शियल गाड़ियों(vehicles) के फिटनेस सर्टिफिकेट में देरी पर हर दिन 50 रुपए के हिसाब से जुर्माना लगेगा.फीस बढ़ाने का उद्देश्य लोगों को पुरानी गाड़ियां(vehicles) चलाने से दूर रखना है. 15 साल पुरानी प्राइवेट गाड़ियों के मामले में मालिक को हर 5 साल में रजिस्ट्रेशन को रिन्यू कराना अनिवार्य होगा. इसी तरह, कमर्शियल गाड़ियों के मामले में 8 साल पूरे होने के बाद हर साल फिटनेस सर्टिफिकेट का रिन्यूअल अनिवार्य है. नोटिफिकेशन में वाहनों के मैनुअल और ऑटोमैटिक फिटनेस टेस्ट के लिए फीस भी निर्धारित की गई है. सरकार का लक्ष्य फिटनेस जांच की मैनुअल प्रणाली को खत्म करना है, जिसमें हेरफेर या धांधली की संभावना बनी रहती है.पीएम ने लॉन्च की थी योजनाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त में नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैपिंग पॉलिसी लॉन्च की थी. पीएम ने कहा था कि देश में अनफिट वाहनों को वैज्ञानिक तरीके से हटाने में ये नीति बड़ी भूमिका निभाएगी. पीएम ने इस नीति के चार फायदे भी गिनाए थे-
- -पीएम ने कहा था कि पहला लाभ ये होगा कि पुरानी गाड़ी(vehicles) को स्क्रैप करने पर एक सर्टिफिकेट मिलेगा. ये सर्टिफिकेट जिसके पास होगा, उसे नई गाड़ी की खरीद पर रजिस्ट्रेशन के लिए कोई पैसा नहीं देना होगा. उसे रोड टैक्स में भी कुछ छूट दी जाएगी.
- -दूसरा लाभ ये होगा कि पुरानी गाड़ी की मेंटिनेंस कॉस्ट, रिपेयर कॉस्ट और ईंधन क्षमता (यानी Fuel Efficiency) में भी बचत होगी.
- -तीसरा लाभ सीधा जीवन से जुड़ा है. पुरानी गाड़ियों, पुरानी टेक्नॉलॉजी के कारण रोड एक्सीडेंट का खतरा बहुत अधिक रहता है, जिससे मुक्ति मिलेगी.
- -चौथा, इससे हमारे स्वास्थ्य पर प्रदूषण के कारण जो असर पड़ता है, उसमें कमी आएगी.