Dollar vs Rupee News: भारतीय मुद्रा रुपया और अमेरिकी डॉलर के बीच की जंग मंगलवार को एक नए मोड़ पर पहुंच गई। एक पुरानी कहावत है, ‘100 सुनार की और एक लौहार की’, और इस कहावत को भारतीय रुपए ने चरितार्थ कर दिया। बीते कुछ महीनों से डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में लगातार गिरावट देखी जा रही थी, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी कुछ हद तक नुकसान हुआ। लेकिन मंगलवार को रुपया एक ही झटके में मजबूत हुआ और डॉलर को दो साल का सबसे बड़ा झटका देने में कामयाब रहा। यह मजबूती भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप और वैश्विक वित्तीय कारकों का परिणाम रही।
रुपये की सबसे लंबी छलांग
ट्रेड वॉर की आशंकाओं के बीच आरबीआई द्वारा किए गए हस्तक्षेप ने रुपये को जबरदस्त समर्थन दिया, जिससे यह डॉलर के मुकाबले 61 पैसे मजबूत होकर 86.84 तक पहुंच गया। कारोबारी सत्र के दौरान, रुपये में लगभग 1% की वृद्धि देखी गई, जो नवंबर 2022 के बाद से इसकी सबसे बड़ी छलांग मानी जा रही है। दिन के शुरुआती सत्र में यह 86.69 तक पहुंच गया, हालांकि बाद में यह थोड़ा पीछे हटकर 86.6362 प्रति डॉलर पर आ गया। यह तेजी दर्शाती है कि भारतीय मुद्रा अब अपनी ताकत को पुनः प्राप्त कर रही है और वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
एशिया की बड़ी ताकत बनकर उभरा रुपया
भारत, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अपनी मुद्रा को डॉलर के मुकाबले मजबूत बनाए रखने में सफल रहा। खास बात यह रही कि चीन का युआन और जापान का येन, जो आमतौर पर मजबूत प्रदर्शन करते हैं, इस बार डॉलर के मुकाबले पिछड़ते नजर आए। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा था कि डॉलर के मुकाबले रुपये में अत्यधिक गिरावट नहीं आई है, बल्कि डॉलर ही अधिक मजबूत हुआ है। इस संदर्भ में रुपये की हालिया मजबूती यह संकेत देती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था डॉलर के झटकों का प्रभावी ढंग से सामना कर रही है।
आरबीआई का हस्तक्षेप और प्रभाव
रुपये की इस मजबूती में भारतीय रिजर्व बैंक की अहम भूमिका रही। बाजार के सूत्रों के अनुसार, आरबीआई ने सोमवार को सरकारी बैंकों के माध्यम से डॉलर की बिक्री की, जिससे रुपये को आवश्यक समर्थन मिला। यह हस्तक्षेप तब और भी महत्वपूर्ण हो गया जब बाजार खुलने के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा। व्यापारियों का मानना है कि यह अप्रत्याशित कदम बाजार को संतुलन में रखने के लिए उठाया गया था।
आरबीआई ने न केवल स्पॉट मार्केट में डॉलर की बिक्री की, बल्कि लिक्विडिटी प्रबंधन के लिए डॉलर-रुपये की खरीद/बिक्री की अदला-बदली भी की। इससे यह सुनिश्चित किया गया कि भारतीय मुद्रा की मजबूती स्थायी बनी रहे और बाजार में संतुलन बना रहे।
डॉलर इंडेक्स और वैश्विक प्रभाव
मंगलवार को डॉलर इंडेक्स 108.3 के स्तर पर फ्लैट रहा, जबकि अन्य एशियाई मुद्राओं में 0.1% से 0.7% तक की गिरावट देखी गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सभी स्टील और एल्युमिनियम आयात पर 25% टैरिफ लगाने के फैसले के बाद डॉलर के प्रति निवेशकों की धारणा में बदलाव देखा गया। इस कदम से अमेरिकी मुद्रा को कुछ समर्थन मिला, लेकिन भारतीय रुपये ने इसका सामना बखूबी किया।
आगे की राह
भले ही भारतीय रुपया मौजूदा समय में मजबूती के साथ खड़ा है, लेकिन वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते आगे की राह चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। आरबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को रुपये को स्थिर बनाए रखने के लिए सतर्क रहना होगा। कोटक महिंद्रा बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, निकट भविष्य में रुपये पर दबाव बना रह सकता है, लेकिन फिलहाल यह उचित मूल्य स्तर पर बना हुआ है।
निष्कर्ष
भारतीय रुपये ने मंगलवार को जो छलांग लगाई, वह दिखाती है कि मजबूत आर्थिक नीतियों और सटीक हस्तक्षेप से वैश्विक मुद्रा बाजार में प्रतिस्पर्धा की जा सकती है। यह भारत की वित्तीय स्थिरता और आर्थिक सुदृढ़ता का संकेत है। अगर भविष्य में भी इस प्रकार के प्रयास जारी रहे, तो भारतीय मुद्रा वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार रहेगी।