वैक्सीन / रूस ने बच्चों के लिए कोविड-19 वैक्सीन के नेज़ल स्प्रे का किया परीक्षण: रिपोर्ट

स्पूतनिक-वी वैक्सीन बनाने वाले गमालेया इंस्टीट्यूट (रूस) के वैज्ञानिक अलेक्ज़ेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा है कि रूस ने 8-12 साल के बच्चों के लिए अपनी कोविड-19 वैक्सीन के नेज़ल स्प्रे का परीक्षण किया है। बतौर रिपोर्ट्स, गिंट्सबर्ग ने कहा है कि इस स्प्रे में उसी वैक्सीन का इस्तेमाल हुआ है और 'सिर्फ सुई की जगह नोज़ल का प्रयोग किया जाता है।'

Vikrant Shekhawat : Jun 14, 2021, 09:54 AM
मास्को: आने वाले दिनों में बच्चों को कोरोना वायरस (Covid-19) से मजबूत सुरक्षा मिलने वाली है. यह नेज़ल स्प्रे कोविड-19 वैक्सीन (नाक में दिया जाने वाला स्प्रे) से संभव होगा. दरअसल, रूस ने बच्चों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए नेज़ल स्प्रे कोविड-19 वैक्सीन का टेस्ट (Nasal spray COVID-19 vaccine) किया है. यह नेजल स्प्रे 8-12 साल के बच्चों के लिए उपयोगी होगा. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, रूस सितंबर में नए प्रोडक्ट को लॉन्च करने की योजना बना रहा है. यह जानकारी स्पुतनिक वी वैक्सीन को डेलवप करने वाले वैज्ञानिकों ने दी है.

सुई के जरिये नहीं बल्कि नाक से दिया जा सकेगा

TASS न्यूज एजेंसी ने बताया कि अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग, जो स्पुतनिक वी डेवलप करने वाले गामालेया इंस्टीट्यूट के प्रमुख हैं, ने कहा कि यह बच्चों के लिए एक खास स्प्रे होगा जो सुई के जरिये नहीं बल्कि नाक से दिया जा सकेगा. खबर के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मीटिंग के दौरान गिंट्सबर्ग के हवाले से कहा गया कि बच्चों का शॉट 15 सितंबर तक डिस्ट्रीब्यूशन के लिए तैयार होने की उम्मीद है.

कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आया

रिसर्च ग्रुप ने आठ साल से 12 साल तक के बच्चों पर इस स्प्रे का ट्रायल किया और टेस्ट ग्रुप में किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आया है. इसमें बच्चों को फीवर भी नहीं आया. गिंट्सबर्ग ने हालांकि इस बात की जानकारी नहीं दी कि टेस्ट में कितने बच्चों को शामिल किया गया है. 

भारत में बच्चों पर हो रहा है वैक्सीन का ट्रायल

देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल आज से शुरू हो रहा है. यह ट्रायल 6 से 12 साल के बच्चों पर किया जाएगा. खबर के मुताबिक, करीब 5 से 10 बच्चों को ट्रायल में शामिल किया जाएगा. शनिवार तक तक 10 बच्चों को वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. ये बच्चे 12 से 18 साल तक की उम्र के थे. इसके अलावा भारत के कई शहरों में भी बच्चों पर ट्रायल किए जा रहे हैं.