Vikrant Shekhawat : Apr 08, 2021, 05:48 PM
नई दिल्ली: आप सभी को कभी ना कभी खून की जरूरत पड़ती होगी तो आप भी ब्लड बैंक का चक्कर लगते होंगे। या अब तक आपने लोगों को खून के लिए मशक्क्त करते देखा होगा। लेकिन अब आपको ऐसा नहीं करना पड़ेगा क्योंकि वैज्ञानिकों ने अब A ब्लड ग्रुप को यूनिवर्सल डोनर बना दया है।अगर यह प्रक्रिया बड़ पैमाने पर सफल होने में कामयाब होती है तो मानव जात के लिए यह क्रांतिकारी बदलाव होगा।
वैज्ञानिकों ने किया चमत्कार एक शोध के बाद वैज्ञानिकों ने अब ओ ब्लड ग्रुप के साथ साथ ए ब्लड ग्रुप (A Blood Group) को भी यूनिवर्सल डोनर माना है। दरअसल ओ ग्रुप का ब्लड रेयर होने की वजह से मिलने में समस्या होती थी। तो अब इस स्टडी के बाद लोगों को खून की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। कनाडा (Canada) के वैज्ञानिकों ने खास बैक्टीरियल एंजाइम के प्रयोग के जरिए ए ब्लड ग्रुप को यूनिवर्सल डोनर में तब्दील कर दिया है।अब A ब्लड Universal Accepterब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए साधारणतः एक जैसे ब्लड ग्रुप की जरूरत होती है। या फिर यूनिवर्सल एक्सेप्टेर ओ बल्ड ग्रुप के लोग किसी को भी खून दे सकते हैं। लेकिन ओ ग्रुप वाले लोग बहुत कम मिलते हैं। ऐसे में, वैज्ञानिकों ने आंत में माइक्रोब्स की खोज की है जिसके मुताबिक जो दो तरह के एंजाइम का स्राव करते हैं। इसकी मदद से ब्लड ग्रुप ए को यूनिवर्सल डोनर में बदला जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने किया चमत्कार एक शोध के बाद वैज्ञानिकों ने अब ओ ब्लड ग्रुप के साथ साथ ए ब्लड ग्रुप (A Blood Group) को भी यूनिवर्सल डोनर माना है। दरअसल ओ ग्रुप का ब्लड रेयर होने की वजह से मिलने में समस्या होती थी। तो अब इस स्टडी के बाद लोगों को खून की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। कनाडा (Canada) के वैज्ञानिकों ने खास बैक्टीरियल एंजाइम के प्रयोग के जरिए ए ब्लड ग्रुप को यूनिवर्सल डोनर में तब्दील कर दिया है।अब A ब्लड Universal Accepterब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए साधारणतः एक जैसे ब्लड ग्रुप की जरूरत होती है। या फिर यूनिवर्सल एक्सेप्टेर ओ बल्ड ग्रुप के लोग किसी को भी खून दे सकते हैं। लेकिन ओ ग्रुप वाले लोग बहुत कम मिलते हैं। ऐसे में, वैज्ञानिकों ने आंत में माइक्रोब्स की खोज की है जिसके मुताबिक जो दो तरह के एंजाइम का स्राव करते हैं। इसकी मदद से ब्लड ग्रुप ए को यूनिवर्सल डोनर में बदला जा सकता है।
कैसे A ब्लड ग्रुप बना यूनिवर्सल डोनरआपके जेहन में ये सवाल जरूर आएगा कि आखिर ये कैसे संभव हो सकता है? अगर ब्लड ग्रुप A की एक यूनिट में मामूली सा एंजाइम डाल दिया जाए तो वो इसके लाल रक्त कोशिकाओं के शुगर कोटिंग को निकाल देता है। अगर प्रैक्टीकल यूटिलिटी के आधार पर देखें तो यह खोज बहुत महत्वपूर्ण है। अगर इसे यूनिवर्सल डोनर घोषित कर दिया जाता है तो यह देश में खून की सप्लाई दोगुनी हो जाएगी। मरीजों को खून के लिए मशक्क्त नहीं करनी होगी।इंसानों में होते हैं चार ब्लड ग्रुपइंसानों में चार तरह के ब्लड ग्रुप होते हैं- A, B, AB या O। लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) के चारों तरफ मौजूद शुगर मॉलीक्यूल्स कणों से इनकी पहचान की जाती है। अगर किसी इंसान को जिसका ब्लड ग्रुप A है और उसे ब्लड ग्रुप B का खून दे दिया जाए तो ये शुगर मॉलीक्यूल्स कण जिन्हें ब्लड एंटीजन (Blood Antigen) कहते हैं, ये RBC पर हमला कर देते हैं। इससे इम्यून सिस्टम काम करना बंद कर देता है और गंभीर परिस्थितियों में इंसान की मौत भी हो सकती है।A revolution in blood donation and transfusion may be on the horizon. That's the goal of researchers studying a process that converts the common blood type A into a more universally accepted type. https://t.co/k6OaBVrWQF #WorldHealthDay
— AAAS (@aaas) April 7, 2021