Virat Kohli / देखिए कैसा रहा कप्तान कोहली का सफर, ऑस्ट्रेलिया में आगाज अफ्रीका में अंजाम

विराट कोहली ने भारत की टेस्ट टीम की कप्तानी भी छोड़ दी है और अब वो किसी भी फॉर्मेट में भारतीय टीम की कमान नहीं संभालेंगे। साल 2015 में विराट भारत के नियमित टेस्ट कप्तान बने थे और 2022 में उन्होंने कप्तानी छोड़ी है। लगभग छह साल लंबे कप्तानी कैरियर में विराट ने कई मुकाम हासिल किए, जो कोई दूसरा भारतीय कप्तान हासिल नहीं कर पाया। वो टेस्ट में भारत के सबसे सफल कप्तान हैं। वहीं विदेशों में भी उनका रिकॉर्ड शानदार है।

Vikrant Shekhawat : Jan 16, 2022, 06:33 PM
विराट कोहली ने भारत की टेस्ट टीम की कप्तानी भी छोड़ दी है और अब वो किसी भी फॉर्मेट में भारतीय टीम की कमान नहीं संभालेंगे। साल 2015 में विराट भारत के नियमित टेस्ट कप्तान बने थे और 2022 में उन्होंने कप्तानी छोड़ी है। लगभग छह साल लंबे कप्तानी कैरियर में विराट ने कई मुकाम हासिल किए, जो कोई दूसरा भारतीय कप्तान हासिल नहीं कर पाया। वो टेस्ट में भारत के सबसे सफल कप्तान हैं। वहीं विदेशों में भी उनका रिकॉर्ड शानदार है। विराट ने बतौर कप्तान 40 टेस्ट मैच जीते हैं और दुनिया के सबसे सफल कप्तानों की सूची में चौथे नंबर पर हैं। 

विराट कोहली साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में पहली बार भारत के कप्तान बने थे। चार मैचों की इस सीरीज में विराट ने शुरुआती दो मैचों में कप्तानी की थी, लेकिन तीसरे मैच में टीम के नियमित कप्तान महेंन्द्र सिंह धोनी वापस आए। हालांकि धोनी ने बॉक्सिंग डे टेस्ट खेलने के बाद टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। इसके बाद विराट 2015 में भारत की टेस्ट टीम के नियमित कप्तान बने थे। पहली बार भारत की कप्तानी करते हुए विराट ने दोनों पारियों में शतक लगाया था, जबकि नियमित कप्तान बनने के बाद भी कोहली ने पहली पारी में शतक जड़ा था। 

विराट ने पहली बार श्रीलंका के खिलाफ पूरी सीरीज में भारत की कप्तानी की थी। टीम इंडिया का नियमित टेस्ट कप्तान बनने के बाद यह विराट की पहली टेस्ट सीरीज थी। इस सीरीज के पहले मैच में भारत को करारी हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि इसके बाद भारतीय टीम ने शानदार वापसी की थी और तीन मैचों की सीरीज में 2-1 से जीत हासिल की थी। इस सीरीज में भारत के तेज गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया था। तेज गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत ही भारत सीरीज में वापसी कर पाया था और बाकी दोनों मैच जीते थे।  

विराट की कप्तानी में भारत की पहली घरेलू टेस्ट सीरीज दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ थी। इस सीरीज में टीम इंडिया ने अफ्रीकी टीम को 3-0 से हराया था। दक्षिण अफ्रीका इस समय टेस्ट की नंबर एक टीम थी, लेकिन भारत ने नागपुर में अफ्रीका को हराने के साथ ही टेस्ट में नंबर एक का स्थान हासिल कर लिया था। चार मैचों की इस सीरीज का एक मैच ड्रॉ रहा था, जबकि बाकी के तीन मैच भारत ने जीते थे। रविचंद्रन अश्विन ने पूरी सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लिए थे और उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया था। वहीं रहाणे ने इस सीरीज की दोनों पारियों में शतक लगाया था। 

2016 में भारत ने विराट कोहली की कप्तानी में वेस्टइंडीज का दौरा किया था और चार टेस्ट मैच की सीरीज में 2-0 से जीत हासिल की थी। सीरीज का पहला और तीसरा मैच भारत ने बड़े अंतर से जीता था, जबकि दूसरा और चौथा मैच ड्रॉ रहा था। विराट ने इस सीरीज में बल्ले से भी कमाल किया था और 62 के औसत से 251 रन बनाए थे। वहीं अश्विन इस सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। अश्विन ने बल्ले के साथ भी अच्छा योगदान दिया था और पूरी सीरीज में 58 से ज्यादा के औसत से 235 रन बनाए थे। 

2016 और 2017 में भारतीय लंबे समय तक अपने घरेलू मैदान में खेली थी। इस दौरान भारत ने न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेली थी। टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को 3-0, इंग्लैंड को 4-0, ऑस्ट्रेलिया को 2-1 और बांग्लादेश को 1-0 से हराया था। इस दौरान विराट ने इंग्लैंड के खिलाफ बेहतरीन दोहरा शतक भी लगाया था। इंग्लैंड के अलावा बांग्लादेश के खिलाफ भी कोहली ने दोहरा शतक लगाया था। यही वो दौर था, जब विराट ने वनडे के बाद टेस्ट में भी अपनी बादशाहत कायम की और कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए, जिसके बाद सभी को यह यकीन हो गया था कि वो जल्द ही सचिन का 100 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ देंगे। 

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मैच कंगारू टीम ने जीता था और भारत ने दूसरा मैच जीतकर वापसी की थी। सीरीज का तीसरा मैच ड्रॉ रहा था और निर्णायक मैच धर्मशाला के मैदान में खेला गया था और विराट इस मैच में नहीं थे। हालांकि उनकी गैरमौजूदगी में रहाणे ने बहुत ही बेहतरीन ढंग से कप्तानी की और भारत को जीत दिलाई। इस दौरान भारत टेस्ट में दुनिया की नंबर एक टीम बना रहा। इस समय टेस्ट में टीम इंडिया का जो दबदबा कायम हुआ उसे आगे बरकरार रखना मुश्किल था, लेकिन विराट को लड़ाकों ने यह काम भी कर दिखाया।  

2017 में भारतीय टीम एक बार फिर श्रीलंका के दौरे पर गई। अब तक विराट एक कप्तान के रूप में खुद को स्थापित कर चुके थे। इस बार भारत ने श्रीलंका को उसके घर में 3-0 से हराया और शानदार जीत दर्ज की। इस सीरीज में भारत ने तीनों मैच बड़े अंतर से जीते थे। दो मैच तो टीम इंडिया पारी के अंतर से जीती थी। शिखर धवन ने सबसे ज्यादा 358 रन बनाए थे और उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया था। वहीं अश्विन और जडेजा ने गेंद के साथ कमाल किया था। हालांकि इस सीरीज में विराट के बल्ले से ज्यादा रन नहीं निकले थे, क्योंकि भारत ने तीन मैचों में सिर्फ चार पारियों में ही बल्लेबाजी की थी। 

2017-18 में भारतीय टीम विराट की कप्तानी में पहली बार दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गई थी। इस दौरे में भारत ने तीन टेस्ट मैच की सीरीज 1-2 के अंतर से गंवा दी थी, लेकिन सीरीज का आखिरी मैच जीतकर विराट ने बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। वो सिर्फ तीसरे कप्तान थे, जिन्होंने अफ्रीकी जमीन में कोई टेस्ट मैच जीता था। वहीं अफ्रीका में भारत की यह सिर्फ तीसरी टेस्ट जीत थी। इसके साथ ही विराट ने जोहानिसबर्ग में भारत के न हारने का रिकॉर्ड भी कायम रखा था। जोहानिसबर्ग में जीत के साथ ही भारत के विदेशों में टेस्ट जीतने का एक सिलसिला शुरू हुआ था।  

विराट की कप्तानी में भारत 2018 में इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेलने पहुंचा था। यहां टीम इंडिया को 1-4 से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन विराट ने एक बल्लेबाज के रूप में खुद को साबित किया था। उन्होंने पांच मैचों में 593 रन बनाए थे, जिसमें दो शतक शामिल थे। उनके इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने हर मैच में लड़ने का जज्बा दिखाया था, लेकिन बाकी खिलाड़ियों से समर्थन नहीं मिलने के कारण मैच नहीं जीत पाया था। इस सीरीज में सैम करण ही इंग्लैंड की जीत की वजह बने थे। उन्होंने गेंद और बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया था। 

2019 में विराट कोहली ने वह मुकाम हासिल किया, जो दूसरा कोई एशियाई कप्तान नहीं हासलि कर पाया था। कोहली की कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में जाकर टेस्ट सीरीज अपने नाम की। विश्व क्रिकेट के इतिहास में यह पहला मौका था, जब कोई एशियाई टीम ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीती थी। इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज डेविड वॉर्नर और स्टीव स्मिथ नहीं थे, लेकिन कंगारुओं को उनके घर में हराना किसी भी टीम के लिए बड़ी बात थी। चार मैचों की इस सीरीज के दो मैच भारत ने जीते थे, जबकि एक मैच ऑस्ट्रेलिया के नाम रहा था और एक मैच ड्रॉ हुआ था। 

सितंबर 2019 में विराट ने एक बार फिर वेस्टइंडीज की टीम को उसके घर में जाकर हराया और इस सीरीज जीत के साथ ही विराट भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान बन गए। इस सीरीज के दोनों मैच भारत ने बड़े अंतर से जीते थे। हनुमा विहारी और अजिंक्य रहाणे ने बल्ले के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया था। हालांकि विराट इस सीरीज में बल्ले के साथ कुछ खास नहीं कर पाए थे। धोनी ने भारत को 27 टेस्ट जिताए थे और विराट की कप्तानी में भारत ने इस सीरीज में 28वां टेस्ट जीता था। भारत के लिए जसप्रीत बुमराह और ईशांत शर्मा ने कमाल की गेंदबाजी की थी।  

साल 2020 में विराट की कप्तानी में भारत ने पहली बार करारी हार का स्वाद चखा। न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारत को 0-2 से हार का सामना करना पड़ा। दो मैचों की टेस्ट सीरीज के दोनों मैच कीवी टीम ने बड़े अंतर से जीते थे। इस सीरीज में दोनों टीम का कोई भी बल्लेबाज ज्यादा रन नहीं बना पाया था, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों का हाल कुछ ज्यादा ही खराब था। इस सीरीज में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले मयंक अग्रवाल का औसत 25.50 का था। विराट ने तो इस सीरीज में सिर्फ 9.50 के औसत से रन बनाए थे। 

न्यूजीलैंड के खिलाफ मिली हार के बाद कोहली की टीम इंडिया जीत की पटरी से उतर चुकी थी और एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। डे नाइट टेस्ट मैच की दूसरी पारी में टीम इंडिया सिर्फ 36 रनों पर सिमट गई थी। इसी समय विराट पिता बनने वाले थे और पहले मैच के बाद वो भारत लौट गए। इसके बाद रहाणे की कप्तानी में भारत ने शानदार वापसी की। अगले मैच में टीम इंडिया ने आठ विकेट से जीत दर्ज की और सीरीज में बराबरी पर आई। तीसरा मैच ड्रॉ रहा और गाबा में ऐतिहासिक टेस्ट जीतकर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरी बार उसके घर में टेस्ट सीरीज में हराया।

इस बार ऑस्ट्रेलिया की टीम में सभी दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे और भारत की आधी टीम चोटिल हो चुक थी। इसके बावजूद पंत और गिल जैसे युवा खिलाड़ियों ने गाबा में ऑस्ट्रेलिया का  घमंड तोड़ा और 32 साल बाद कंगारू टीम को इस मैदान में हराया। 

भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, लेकिन विराट की रूठी किस्मत अभी नहीं मानी थी। न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भारत को हार का सामना करना पड़ा। यह विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का पहला संस्करण था और लगातार मैच जीतने की वजह से टीम इंडिया फाइनल में पहुंची थी। ऑस्ट्रेलिया में भारत के शानदार प्रदर्शन के बाद सभी को जीत की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और केन विलियमसन की कप्तानी वाली कीवी टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की पहली विजेता बनी। यहां विराट एक बार फिर आईसीसी ट्रॉफी जीतने से चुक गए थे। 

2021 में भारत ने एक बार फिर इंग्लैंड का दौरा किया और इस बार टीम इंडिया पुरानी इतिहास बदलने के लिए तैयार थी। सीरीज के पहले मैच में भारत जीत के बेहद करीब था, लेकिन बारिश की वजह से मैच ड्रॉ हो गया। दूसरी मैच भारत बड़े अंतर से जीता और तीसरा मैच बड़े अंतर से हार गया। चौथा मैच फिर भारत ने अपने नाम किया, लेकिन कोरोना की वजह से सीरीज का पांचवां मैच नहीं हो सका। यह सीरीज अभी भी अधूरी है और भारत के पास 2-1 की बढ़त है। इसी साल जुलाई के महीने में भारत को बचा हुआ पांचवां टेस्ट खेलना है। अगर यह मैच भारत ड्रॉ करा लेता है या जीत हासिल करता है तो 2007 के बाद टीम इंडिया पहली बार इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीतेगी।  

2021-22 में एक बार फिर टीम इंडिया विराट की कप्तानी में अफ्रीका पहुंची थी। भारत को यकीन था कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बाद अब अफ्रीका भी फतेह किया जाएगा। शुरुआत भी कुछ इसी अंदाज में हुई। भारत ने पहला टेस्ट 113 रन से जीता, लेकिन इसके बाद विराट चोटिल हो गए। दूसरे मैच में विराट की राहुल ने कप्तानी की और भारत नौ विकेट से यह मैच हार गया। तीसरे मैच में भी टीम इंडिया वापसी नहीं कर पाई। पहली पारी में विराट और दूसरी में पंत ने भारत के लिए रन बनाए पर कोई तीसरा बल्लेबाज नहीं टिक सका। इस वजह से भारत यह सीरीज भी 1-2 से हार गया। 

इस हार के साथ ही विराट ने कप्तानी को अलविदा कह दिया। उन्होंने 68 में से 40 टेस्ट मैच जीते हैं।