अमेरिका / तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर छह महीने बाद धरती पर लौटा सोयूज एमएस-15 विमान

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में छह महीने तक रहने के बाद तीन अंतरिक्ष यात्री शुक्रवार सुबह धरती पर वापस लौट आए हैं। यह सभी रूसी विमान सोयूज एमएस-15 से आए हैं। 62वें अभियान में नासा के अतंरिक्ष यात्री जेसिका मेयर, एंड्रयू मोर्गन और रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग स्क्रिपोचका शामिल थे।

AMAR UJALA : Apr 17, 2020, 03:21 PM
अमेरिका:  अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में छह महीने तक रहने के बाद तीन अंतरिक्ष यात्री शुक्रवार सुबह धरती पर वापस लौट आए हैं। यह सभी रूसी विमान सोयूज एमएस-15 से आए हैं। 62वें अभियान में नासा के अतंरिक्ष यात्री जेसिका मेयर, एंड्रयू मोर्गन और रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग स्क्रिपोचका शामिल थे। 

तीनों अंतरिक्ष यात्री अपना अभियान खत्म करने के बाद गुरुवार शाम को सोयूज एमएस-15 विमान से धरती के लिए रवाना हुए। यही विमान 25 सितंबर, 2019 को इन्हें आईएसएस लेकर गया था। आईएसएस पर रहते हुए इन तीनों ने जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, भौतिक विज्ञान और पृथ्वी विज्ञान को लेकर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण प्रयोगशाला के अंदर हजारों प्रयोग किए।

वह इन कार्यों को अगले (63वें अभियान) क्रू सदस्यों को सौंप देंगे। अब मई के मध्य में स्पेसएक्स के डीएम-2 (जिसे डेमो 2 के नाम से भी जाना जाता है) का क्रू ड्रैगन उड़ान भरेगा। जिसके जरिए नासा के अंतरिक्ष यात्री डाउग हर्ले और रॉबर्ट बेह्नकेन छह हफ्ते से तीन महीने तक आईएसएस में रुकेंगे। 

डेमो-2 को मूल रूप से क्रू ड्रैगन की एक छोटी परीक्षण उड़ान के रूप में बनाया गया था। हालांकि कई कारकों ने मिशन को एक से दो सप्ताह की उड़ान से बढ़ाकर छह सप्ताह से तीन महीने की उड़ान तक बढ़ाने का काम किया है।

 Download Amar Ujala App for Breaking News in Hindi & Live यह मेयर की पहली और ऐतिहासिक अतंरिक्ष यात्रा थी। उन्होंने अपने सहकर्मी और दोस्त, नासा की अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टिना कोच के साथ मिलकर पहली केवल महिला स्पेसवॉक का संचालन किया। जिसमें उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन के पावर नेटवर्क की एक खराब बैटरी को ठीक करने के लिए आईएएस के बाहर 7 घंटे और 17 मिनट का समय बिताया।

क्या होता है आईएसएस और क्या है इसका काम

आईएसएस एक सेटलाइट है जो पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित है। यह पांच देशों की परियोजना है। जिसमें अमेरिका, रूस, जापान, यूरोप और कनाडा शामिल हैं। इसका काम टेस्टिंग करना होता है। यह टेस्टिंग उन स्पेसक्राफ्ट सिस्टम और सामान की होती है जो चांद और मंगल ग्रह पर जाने के लिए जरूरी होते हैं।