Chaitra Navratri 2021 / आज से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत, इस शुभ मुहूर्त में करें सही विधि से कलश स्थापना, पूरे साल मिलेगा लाभ

13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होने वाली है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है। लोग तरह-तरह मां दुर्गा को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। नवरात्रि की शुरूआत कलश स्थापना या घट स्थापना से होती है। ज्योतिर्विद कमल नंदलाल से जानते हैं कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त से लेकर इसकी पूरी विधि और इसके नियम।

Vikrant Shekhawat : Apr 13, 2021, 06:30 AM
Delhi: 13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होने वाली है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है। लोग तरह-तरह मां दुर्गा को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। नवरात्रि की शुरूआत कलश स्थापना या घट स्थापना से होती है। ज्योतिर्विद कमल नंदलाल से जानते हैं कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त से लेकर इसकी पूरी विधि और इसके नियम।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त- नवरात्रि का पहला दिन मंगलवार को है। इस दिन सूर्योदय सुबह 5 बजकर 58 मिनट पर होगा। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इसी समय से शुरू हो जाएगा जो 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

जो लोग द्विस्वभाव लग्न में घट स्थापना करना चाहते हैं वो सुबह 4 बजकर 38 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 3 मिनट तक घट स्थापना कर सकते हैं। हालांकि मान्यता के अनुसार सूर्योदय के बाद ही घट स्थापना की जानी चाहिए। 

इस दिन विष कुंभ योग है। नवरात्रि का पहला दिन मंगलवार को है इसलिए पहला चौघड़िया रोग का होगा। कलश स्थापना इसी चौघड़िया में करना शुभ रहेगा। जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में घट स्थापना करना चाहते हैं वो सुबह 4 बजकर 27 मिनट से लेकर वो 5 बजकर 58 मिनट तक कर सकते हैं। 

राहु काल का समय दोपहर 3 बजकर 34 मिनट से लेकर 5 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आपको पूजा-पाठ संबंधित कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। इस पूरे दिन का विशेष समय सुबह 9 बजकर 10 मिनट तक का ही है। सुबह 8।30 से पहले अखंड ज्योत जला लें। नवरात्रि में सन्धि पूजा का मुहूर्त 21 अप्रैल रात 12 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर रात को 1 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।

ऐसे करें तैयारी- नवरात्रि के पहले दिन लाल रंग के कपड़े का प्रयोग करें। पूजा के लिए तैयारी पहले कर लें। इसके लिए मिट्टी की हांडी, कलश, नारियल, शुद्ध मिट्टी, गंगाजल, पीतल या तांबे का कलश, कलावा, इत्र, सुपारी, सिक्के, अशोक या आम के पांच-पांच पत्ते, पान का पत्ता, अक्षत और फूल-माला एकत्रित कर लें। दुर्गा मां के पूजन में दूर्वा का इस्तेमाल नहीं होता है।  

ऐसे करें स्थापना- कलश की स्थापना ईशान कोण में करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मिट्टी की हांडी लेकर उसमें थोड़ी मिट्टी डाल दें। अब इस पर सात अनाज बिखेर दें। एक परत फिर मिट्टी की बनाकर सात अनाज बिखेर दें। इसी तरह से मिट्टी और अनाज की तीन परत बनाएं। इस पर एक मटका रखें। मटके में जल, सुपारी, सिक्का और औषधि डालें। साथ-साथ गणेश जी की भी स्थापना कर लें। गणेश जी की स्थापना हमेशा कलश की बाईं और करनी चाहिए।

कलश में जल भर कर इसमें सुपारी, इत्र डालकर इस पर एक नारियल रखें, देवी को पुकारते हुए नारियल पर मौली बांधें। अब इस नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मटके के ढक्कन पर रखें। याद रखें कि अखंड दीपक पहले प्रज्वलत करना है। इसके लिए घी का दीपक जलाएं। इसके बाद दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। शक्ति शिव के बगैर अधूरी हैं इसलिए इसके बाद शिव का पाठ जरूर करें।