Gyanvapi Survey / ज्ञानवापी में आज तीसरे दिन होगा सर्वे- हिंदू पक्ष का दावा-प्राचीन मंदिर के मिले कई सबूत

वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में आज लगातार तीसरे दिन सर्वे होगा. सर्वे सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएगा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 4 टीमें सर्वे में जुटीं हुई हैं. कल एएसआई ने दो शिफ्ट में पांच घंटे से ज्यादा समय तक मैपिंग की. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया कि तहखाने की दीवार पर मनुष्य और पशु के शरीर वाली मूर्ति मिली है. कल सर्वे के बाद हिंदू पक्ष की ओर से याचिका दायर करने वाली महिला सीता साहू ने एक मूर्ति

Vikrant Shekhawat : Aug 06, 2023, 09:45 AM
Gyanvapi Survey: वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में आज लगातार तीसरे दिन सर्वे होगा. सर्वे सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएगा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 4 टीमें सर्वे में जुटीं हुई हैं. कल एएसआई ने दो शिफ्ट में पांच घंटे से ज्यादा समय तक मैपिंग की. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया कि तहखाने की दीवार पर मनुष्य और पशु के शरीर वाली मूर्ति मिली है. कल सर्वे के बाद हिंदू पक्ष की ओर से याचिका दायर करने वाली महिला सीता साहू ने एक मूर्ति मिलने का दावा किया है. सीता साहू की मानें तो मूर्ति किसकी है, यह जांच की जा रही है. साहू ने कहा है कि मूर्ति में जो आकृति है, वह आधी पशु और आधी मानव की है. दावा किया जा रहा है कि सर्वे के डर से मुस्लिम पक्ष ने कुछ मूर्तियां इसमें छिपा दी हैं. हिंदू पक्ष चाहता है कि मलबा हटाया जाए.

बताया जा रहा है कि हिंदू पक्ष की तरफ से आज सिर्फ वकीलों को ही अंदर जाने की इजाजत दी गई है.महिला याचिकाकर्ता ज्ञानवापी परिसर नहीं जाएंगी. वहीं, मुस्लिम पक्ष की तरफ से आज सिर्फ एक वकील रहेंगे. हिंदू पक्ष के सोहन लाल का दावा है कि अगर तहखाना खुला तो कई बड़े प्रमाण मिल सकते हैं, जबकि रेखा पाठक ने भी सीता साहू की बात के आगे बढ़ाते हुए कहा कि पश्चिमी दीवार पर आधा मानव और आधा पशु वाली आकृति मिली है.

एएसआई की टीम के साथ कई वकील भी शामिल

सर्वे के दौरान एएसआई की टीम के साथ कई वकील भी शामिल हैं, जिन्होंने कहा कि सर्वे के दौरान कुछ जगहों पर मशीन लगाकर जांच की जा रही है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक बगैर खुदाई और तोड़फोड़ के जांच होनी है. वकीलों की मुताबिक ASI के 40 सदस्यों को चार टीमों बांटकर सर्वे जारी है. कई जगहों पर मलबा जमा है.

जीपीआर टेक्नोलॉजी से सामने आएगा सच!

जांच में कई अत्याधुनिक मशीनें भी लगाई गई हैं. जीपीआर लगाए जा रहे हैं. एएसआई के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक बीआर. मणि ने बताया है कि जीपीआर टेक्नोलॉजी का काम बिना तोड़फोड के यह पता लगाना है कि परिसर के नीचे कोई संरचना दबी हुई है भी या नहीं. एएसआई के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक बीआर. मणि ने बताया कि जीपीआर टेक्नोलॉजी में कई प्रकार के स्पेशल डिवाइस शामिल होते हैं.

गुंबद के हॉल की फोटोग्राफी और मैपिंग 

हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी ने बताया कि सर्वे की टीम मस्जिद परिसर के केंद्रीय गुंबद के हॉल में जहां नमाज पढ़ी जाती है, उसका शनिवार को सर्वे किया और उस जगह की फोटोग्राफी और मैपिंग की गयी। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे टीम व्यास परिवार के कब्जे वाले तहखाने का सर्वे किया, लेकिन मुस्लिम पक्ष के कब्‍जे वाले दूसरे तहखाने में सर्वेक्षण की टीम अभी पहुंच नहीं पाई है। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी परिसर में कुल चार तहखाने हैं, जिसमें से एक व्यास परिवार के कब्जे में है और दूसरा मुस्लिम पक्ष के कब्जे में है। बाकी दो तहखानों में मलबा भरा हुआ है। शुक्रवार को हुए सर्वे कार्य में मुस्लिम पक्ष शामिल नहीं हुआ था।

आधी पशु और आधी देवता की मूर्ति -हिंदू पक्ष

हिन्दू पक्ष की एक वादी सीता साहू ने परिसर से बाहर आ कर बताया कि ज्ञानवापी परिसर के पश्चिमी दीवार पर आधी पशु और आधी देवता की मूर्ति दिखी। तहखाने में भी टूटी-फूटी मूर्तियां और खम्भे पड़े दिखे।  मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता तौहीद खान ने बताया कि शनिवार को जारी सर्वे कार्य के दौरान अधिवक्ता अखलाक और मुमताज सहित मुस्लिम पक्ष के पांच लोग एएसआई टीम के साथ मौजूद थे।

आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट कर रहे हैं एएसआई की मदद

आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों की एक टीम ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने में एएसआई की सहायता कर रही है। इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद एएसआई की एक टीम कड़ी सुरक्षा के बीच शुक्रवार सुबह ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुई थी और सर्वेक्षण कार्य शुरू किया था। शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने एएसआई को सर्वेक्षण के दौरान परिसर में किसी भी तरह की तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था। 

सर्वे से क्या हासिल होगा?

बता दें कि ज्ञानवापी सर्वे के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि ज्ञानवापी परिसर का निर्माण 17वीं शताब्दी में मंदिर के ढांचे को तोड़कर उसके ऊपर तो नहीं किया गया.