Vikrant Shekhawat : Feb 04, 2022, 11:39 AM
कोरोना महामारी में स्वास्थ्यकर्मियों ने अहम भूमिका निभाई है, इसलिए इनको कोरोना वॉरियर्स का दर्जा दिया गया है. वहीं, कुछ ऐसे कर्मचारी भी होते हैं, जिनकी हरकतों से पूरे समुदाय की साख पर बट्टा लग जाता है. ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र के अमरावती में सामने आया था, जहां कोरोना टेस्ट के नाम पर एक लैब टेक्नीशियन ने महिला के प्राइवेट पार्ट से स्वैब सेंपल लिया. इस मामले में अब अमरावती के सेशंस कोर्ट ने आरोपी को 10 साल की सजा सुनाई है.कोरोना के पहले लहर के दौरान हुई घटनामहाराष्ट्र में कोरोना की पहली लहर के दौरान अमरावती में एक मॉल कर्मचारी का कोरोन टेस्ट पॉजिटिव आया था. इसके बाद मॉल के सभी कर्मचारियों को बडनेरा स्थित ट्रॉमा केयर सेंटर भेजा गया. सभी कर्मचारियों का टेस्ट लेने के बाद दोषी लैब टेक्नीशियन अल्केश देशमुख ने एक महिला कर्मचारी से कहा कि उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव है और अगले टेस्ट के लिए लैब आना होगा. इसके बाद उसने लैब में महिला के प्राइवेट पार्ट से स्वैब सैंपल लिया.महिला ने पुलिस थाने में शिकायत कराई दर्जइस तरह से सैंपल लिए जाने के बाद महिला को शक हुआ, उसने इसकी शिकायत अपने भाई से की. इस बाबत, जब जिला अस्पताल से पूछा गया, तो पता चला कि सैंपल ऐसे नहीं लिया जाता है. इसके बाद महिला ने बडनेरा पुलिस स्टेशन में लैब टेक्नीशियन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. कोर्ट में यह मामला पिछले डेढ़ साल से चल रहा था.जेल की सजा के साथ 10 हजार का जुर्मानाअब अमरावती सेशंस कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए लैब टेक्नीशियन को 10 साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. बता दें कि 20 जुलाई 2020 को दोषी ने घटना को अंजाम दिया था. इसके बाद घटना का विरोध करते हुए राजनीतिक दल व समाजिक संगठनों ने आरोपी को सख्त सजा दिए जाने की मांग की थी.