Vikrant Shekhawat : Jun 12, 2022, 08:57 PM
MH: स्वरा भास्कर बॉलीवुड की मुखर अभिनेत्री हैं और ट्विटर पर खुलकर अपनी राय रखती हैं। उन्हें इस वजह से आए दिन ट्रोलिंग का भी सामना करना पड़ता है। हालांकि एक्ट्रेस को इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता। इन दिनों नूपुर शर्मा का मुद्दा गरमाया हुआ है। एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के बाद नूपुर शर्मा को भाजपा ने पार्टी से सस्पेंड कर दिया। वह राष्ट्रीय प्रवक्ता थीं। हाल ही में इस पर कंगना रनौत ने पोस्ट लिखकर नूपुर शर्मा का समर्थन किया था। अब स्वरा की ओर से मामले में प्रतिक्रिया दी है।
दरअसल पूर्व क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद ने नूपुर शर्मा का पुतला फूंकने की निंदा की थी और कहा था कि उन्हें यकीन नहीं आ रहा कि यह 21वीं सदी के भारत में हो रहा है। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे लोगों से आग्रह किया कि वो राजनीति को छोड़कर विवेक का इस्तेमाल करें।
वेंकटेश प्रसाद के ट्वीट पर स्वरा ने कहा, ‘इस बात से सहमत हूं। मुझे उम्मीद है कि हम सभी समझदार लोगों को बीफ लिंचिंग पर ऐसा ही खौफ महसूस होगा… और जब राजस्थान के राजसमंद में कथित लव जेहाद के शक के आधार पर एक गरीब प्रवासी मजदूर को जिंदा जला दिया गया था। ये एक पुतला है वे असली लोग थे। हमारा डर पहचान पर आधारित नहीं होना चाहिए।‘
महात्मा गांधी का दिया उदाहरणएक अन्य ट्वीट में स्वरा लिखती हैं, ‘हिंसा... गलत होने के अलावा न्याय के तरीकों और वैध वजहों को बदनाम करती है। हिंसा... अमानवीय, अनैतिक और खराब राजनीतिक रणनीति है। इसे महात्मा गांधी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता था। पीड़ितों को हिंसा के लिए उकसाना एक जाल की तरह है। इसमें मत गिरो।‘
दरअसल पूर्व क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद ने नूपुर शर्मा का पुतला फूंकने की निंदा की थी और कहा था कि उन्हें यकीन नहीं आ रहा कि यह 21वीं सदी के भारत में हो रहा है। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे लोगों से आग्रह किया कि वो राजनीति को छोड़कर विवेक का इस्तेमाल करें।
वेंकटेश प्रसाद के ट्वीट पर स्वरा ने कहा, ‘इस बात से सहमत हूं। मुझे उम्मीद है कि हम सभी समझदार लोगों को बीफ लिंचिंग पर ऐसा ही खौफ महसूस होगा… और जब राजस्थान के राजसमंद में कथित लव जेहाद के शक के आधार पर एक गरीब प्रवासी मजदूर को जिंदा जला दिया गया था। ये एक पुतला है वे असली लोग थे। हमारा डर पहचान पर आधारित नहीं होना चाहिए।‘
महात्मा गांधी का दिया उदाहरणएक अन्य ट्वीट में स्वरा लिखती हैं, ‘हिंसा... गलत होने के अलावा न्याय के तरीकों और वैध वजहों को बदनाम करती है। हिंसा... अमानवीय, अनैतिक और खराब राजनीतिक रणनीति है। इसे महात्मा गांधी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता था। पीड़ितों को हिंसा के लिए उकसाना एक जाल की तरह है। इसमें मत गिरो।‘