Vikrant Shekhawat : Jul 23, 2021, 05:48 PM
Delhi: सोहेल पारदीस ईद के मौके पर अपनी बहन को लेने के लिए अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अपने घर से पास के खोस्त प्रांत में जा रहे थे। सोहेल पारदीस ईद का जश्न पूरे परिवार के साथ मनाने के लिए बहन को लेने जा रहे थे। लेकिन 12 मई 2021 को पांच घंटे लंबी यात्रा के दौरान जब पारदीस रेगिस्तान के एक हिस्से से गुजर रहे थे, तालिबान आतंकवादियों ने उनकी कार को चौकी पर रोक दिया।
कुछ ही दिन पहले, पारदीस ने अपने दोस्त को बताया था कि उन्होंने 16 महीने अमेरिकी सेना के लिए अनुवादक के तौर पर काम किया था, और इसी वजह से उन्हें तालिबान से जान से मारने की धमकी मिल रही है। पारदीस के दोस्त और सहकर्मी अब्दुल हक अयूबी ने सीएनएन को बताया, "तालिबान उनसे कहते थे कि तुम अमेरिकियों के जासूस हो, तुम अमेरिकियों की आंख हो, तुम काफिर हो, हम तुम्हें और तुम्हारे परिवार को मार डालेंगे।" चेक प्वाइंट पर जैसे ही पारदीस को रोका गया, उन्होंने अपने कार की रफ्तार बढ़ा दी। लेकिन इसके बाद वह जिंदा नजर नहीं आए। घटना के चश्मदीद गांव वालों ने रेड क्रिसेंट को बताया कि तालिबान लड़ाकों ने उनकी कार को घुमाने और रुकने से पहले गोली मार दी थी। फिर उन्होंने पारदीस को कार से बाहर निकाला और उनका सिर कलम कर दिया।32 साल के पारदीस उन हजारों अफगान दुभाषियों में से एक थे जिन्होंने अमेरिकी सेना के लिए काम किया और अब तालिबान के खतरे का सामना कर रहे हैं। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के ऐलान के बाद अनुवादकों की शामत आ गई है। जून में जारी बयान में तालिबान ने कहा था कि वो उन लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा जिन्होंने विदेशी सैनिकों के लिए काम किया। पारदीस की हत्या को लेकर तालिबान के प्रवक्ता ने सीएनएन को बताया कि वह घटना को वेरिफाई करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्होंने कहा कि कुछ घटनाएं वैसी नहीं होतीं जैसी उन्हें दिखाया जाता है।सीएनएन से बात करने वाले अनुवादकों ने बताया कि उनकी जान अब खतरे में है। तालिबान ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद बदला लेने के लिए हमले शुरू कर दिए हैं। अफगानिस्तान में जब युद्ध अपने चरम पर था तब करीब 100,000 अमेरिकी सैनिक तैनात थे। अयूबी ने कहा, "हम यहां सांस नहीं ले सकते। तालिबान हम पर कोई रहम नहीं करने वाला है।" अमेरिकी सेना के लिए काम करने वाले लगभग 18,000 अफगानों ने विशेष अप्रवासी वीजा के लिए अप्लाई किया है ताकि उन्हें अमेरिका में शरण मिल सके। व्हाइट हाउस ने 14 जुलाई को कहा कि वह "ऑपरेशन एलाइज रिफ्यूजी" शुरू कर रहा है। यह उन हजारों अफगान दुभाषियों और अनुवादकों को शिफ्ट करने का प्रयास है जिन्होंने अमेरिका के लिए काम किया और जिनकी जान अब जोखिम में है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने एक ब्रीफिंग में कहा कि विशेष अप्रवासी वीजा (एसआईवी) के लिए आवेदन करने वालों को जुलाई के अंतिम सप्ताह में निकालना शुरू किया जाएगा। बाइडेन प्रशासन पहले ही कह चुका है कि जब तक वो लंबी अवधि के वीजा प्रक्रिया को पूरा नहीं कर लेता तब तक वह अपने मददगार को लेकर सुरक्षित पनाहगाह के लिए कई देशों से बातचीत कर रहा है। साफ है कि अमेरिकी सरकार तालिबान के खतरे से अच्छी तरह वाकिफ है। पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बुधवार को कहा कि रक्षा विभाग उन विकल्पों पर विचार कर रहा है जहां अफगान नागरिक और उनके परिवार को संभावित रूप से सुरक्षित रखा जा सकता है।पारदीस अपने पीछे 9 साल की एक बेटी छोड़ गए हैं जिसका भविष्य अब अनिश्चितता में फंस गया है। उसकी देखभाल पारदीस के भाई नजीबुल्ला सहक कर रहे हैं, जिन्होंने बताया कि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए काबुल में अपना घर छोड़ना पड़ा, इस डर से कि अगला निशाना अब उन्हें बनाया जाएगा। अपने भाई की कब्रगाह के पास बैठे सहक ने कहा कि वह सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा, "मैं अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हूं। इस देश में ज्यादा काम नहीं है और सुरक्षा की स्थिति बहुत खराब है।"अमेरिका के लिए 16 महीने काम करने के बाद 2012 में पॉलीग्राफ या लाई डिटेक्टर टेस्ट में फेल होने पर पारदीस को टर्मिनेट कर दिया गया था। दोस्त अयूबी बताते हैं कि पारदीस अफगानिस्तान से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रहे थे। लेकिन टर्मिनेशन के चलते उन्हें वीजा नहीं मिला। अनुवादकों ने बताया कि आमतौर पर अफगानिस्तान में अमेरिकी ठिकानों तक पहुंचने के लिए सुरक्षा मंजूरी के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट से गुजरना होता है। वीजा के लिए आवेदन करने पर स्क्रीनिंग के दौरान इसी पॉलीग्राफ टेस्ट के रिजल्ट का इस्तेमाल किया जाता है। पारदीस को कभी नहीं बताया गया कि वह पॉलीग्राफ में फेल कैसे हुए?अब्दुल राशिद शिरजाद को भी ऐसे ही एक मामले के चलते अनुवादक के काम से टर्मिनेट कर दिया गया था। शिरजाद कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि उन्होंने क्या गलत किया और अपनी बर्खास्तगी के लिए उन्हें कभी कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला। वह कहते हैं, "अगर अफगानिस्तान में शांति होती, अगर मैंने अमेरिकी सेना की सेवा नहीं की होती, अगर तालिबान मेरे पीछे नहीं होते, तो मैं अपना देश कभी नहीं छोड़ता।" शिरज़ाद अपने गृह प्रांत वापस नहीं जा सकते और हर महीने उन्हें अपने परिवार के साथ ठिकाना बदलते रहना पड़ता है। अपने सबसे छोटे बच्चे को गले लगाते हुए उनकी पत्नी ने कहा कि हम बहुत डरे हुए हैं। मेरे पति और बच्चों का भविष्य खतरे में है। मेरे पति उनके (अमेरिकी सेना) साथ काम कर रहे थे और उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल दी और अब मैं चाहती हूं कि अमेरिकी मेरे पति को तालिबान के खतरे से बचाएं।काबुल में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि वे हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हम उन लोगों की मदद कर सकें जिन्होंने हमारी मदद की। हम उन लोगों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिन्होंने अमेरिकी सेना और अन्य सरकारी कर्मियों की ड्यूटी के दौरान मदद की है।
कुछ ही दिन पहले, पारदीस ने अपने दोस्त को बताया था कि उन्होंने 16 महीने अमेरिकी सेना के लिए अनुवादक के तौर पर काम किया था, और इसी वजह से उन्हें तालिबान से जान से मारने की धमकी मिल रही है। पारदीस के दोस्त और सहकर्मी अब्दुल हक अयूबी ने सीएनएन को बताया, "तालिबान उनसे कहते थे कि तुम अमेरिकियों के जासूस हो, तुम अमेरिकियों की आंख हो, तुम काफिर हो, हम तुम्हें और तुम्हारे परिवार को मार डालेंगे।" चेक प्वाइंट पर जैसे ही पारदीस को रोका गया, उन्होंने अपने कार की रफ्तार बढ़ा दी। लेकिन इसके बाद वह जिंदा नजर नहीं आए। घटना के चश्मदीद गांव वालों ने रेड क्रिसेंट को बताया कि तालिबान लड़ाकों ने उनकी कार को घुमाने और रुकने से पहले गोली मार दी थी। फिर उन्होंने पारदीस को कार से बाहर निकाला और उनका सिर कलम कर दिया।32 साल के पारदीस उन हजारों अफगान दुभाषियों में से एक थे जिन्होंने अमेरिकी सेना के लिए काम किया और अब तालिबान के खतरे का सामना कर रहे हैं। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के ऐलान के बाद अनुवादकों की शामत आ गई है। जून में जारी बयान में तालिबान ने कहा था कि वो उन लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा जिन्होंने विदेशी सैनिकों के लिए काम किया। पारदीस की हत्या को लेकर तालिबान के प्रवक्ता ने सीएनएन को बताया कि वह घटना को वेरिफाई करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्होंने कहा कि कुछ घटनाएं वैसी नहीं होतीं जैसी उन्हें दिखाया जाता है।सीएनएन से बात करने वाले अनुवादकों ने बताया कि उनकी जान अब खतरे में है। तालिबान ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद बदला लेने के लिए हमले शुरू कर दिए हैं। अफगानिस्तान में जब युद्ध अपने चरम पर था तब करीब 100,000 अमेरिकी सैनिक तैनात थे। अयूबी ने कहा, "हम यहां सांस नहीं ले सकते। तालिबान हम पर कोई रहम नहीं करने वाला है।" अमेरिकी सेना के लिए काम करने वाले लगभग 18,000 अफगानों ने विशेष अप्रवासी वीजा के लिए अप्लाई किया है ताकि उन्हें अमेरिका में शरण मिल सके। व्हाइट हाउस ने 14 जुलाई को कहा कि वह "ऑपरेशन एलाइज रिफ्यूजी" शुरू कर रहा है। यह उन हजारों अफगान दुभाषियों और अनुवादकों को शिफ्ट करने का प्रयास है जिन्होंने अमेरिका के लिए काम किया और जिनकी जान अब जोखिम में है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने एक ब्रीफिंग में कहा कि विशेष अप्रवासी वीजा (एसआईवी) के लिए आवेदन करने वालों को जुलाई के अंतिम सप्ताह में निकालना शुरू किया जाएगा। बाइडेन प्रशासन पहले ही कह चुका है कि जब तक वो लंबी अवधि के वीजा प्रक्रिया को पूरा नहीं कर लेता तब तक वह अपने मददगार को लेकर सुरक्षित पनाहगाह के लिए कई देशों से बातचीत कर रहा है। साफ है कि अमेरिकी सरकार तालिबान के खतरे से अच्छी तरह वाकिफ है। पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बुधवार को कहा कि रक्षा विभाग उन विकल्पों पर विचार कर रहा है जहां अफगान नागरिक और उनके परिवार को संभावित रूप से सुरक्षित रखा जा सकता है।पारदीस अपने पीछे 9 साल की एक बेटी छोड़ गए हैं जिसका भविष्य अब अनिश्चितता में फंस गया है। उसकी देखभाल पारदीस के भाई नजीबुल्ला सहक कर रहे हैं, जिन्होंने बताया कि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए काबुल में अपना घर छोड़ना पड़ा, इस डर से कि अगला निशाना अब उन्हें बनाया जाएगा। अपने भाई की कब्रगाह के पास बैठे सहक ने कहा कि वह सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा, "मैं अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हूं। इस देश में ज्यादा काम नहीं है और सुरक्षा की स्थिति बहुत खराब है।"अमेरिका के लिए 16 महीने काम करने के बाद 2012 में पॉलीग्राफ या लाई डिटेक्टर टेस्ट में फेल होने पर पारदीस को टर्मिनेट कर दिया गया था। दोस्त अयूबी बताते हैं कि पारदीस अफगानिस्तान से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रहे थे। लेकिन टर्मिनेशन के चलते उन्हें वीजा नहीं मिला। अनुवादकों ने बताया कि आमतौर पर अफगानिस्तान में अमेरिकी ठिकानों तक पहुंचने के लिए सुरक्षा मंजूरी के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट से गुजरना होता है। वीजा के लिए आवेदन करने पर स्क्रीनिंग के दौरान इसी पॉलीग्राफ टेस्ट के रिजल्ट का इस्तेमाल किया जाता है। पारदीस को कभी नहीं बताया गया कि वह पॉलीग्राफ में फेल कैसे हुए?अब्दुल राशिद शिरजाद को भी ऐसे ही एक मामले के चलते अनुवादक के काम से टर्मिनेट कर दिया गया था। शिरजाद कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि उन्होंने क्या गलत किया और अपनी बर्खास्तगी के लिए उन्हें कभी कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला। वह कहते हैं, "अगर अफगानिस्तान में शांति होती, अगर मैंने अमेरिकी सेना की सेवा नहीं की होती, अगर तालिबान मेरे पीछे नहीं होते, तो मैं अपना देश कभी नहीं छोड़ता।" शिरज़ाद अपने गृह प्रांत वापस नहीं जा सकते और हर महीने उन्हें अपने परिवार के साथ ठिकाना बदलते रहना पड़ता है। अपने सबसे छोटे बच्चे को गले लगाते हुए उनकी पत्नी ने कहा कि हम बहुत डरे हुए हैं। मेरे पति और बच्चों का भविष्य खतरे में है। मेरे पति उनके (अमेरिकी सेना) साथ काम कर रहे थे और उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल दी और अब मैं चाहती हूं कि अमेरिकी मेरे पति को तालिबान के खतरे से बचाएं।काबुल में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि वे हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हम उन लोगों की मदद कर सकें जिन्होंने हमारी मदद की। हम उन लोगों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिन्होंने अमेरिकी सेना और अन्य सरकारी कर्मियों की ड्यूटी के दौरान मदद की है।