पाकिस्तान में सियासी संकट / पीएम इमरान की बढ़ी टेंशन, अविश्वास प्रस्ताव के बीच सेना प्रमुख से की मुलाकात

अपनी सरकार के खिलाफ चल रहे अविश्वास प्रस्ताव के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की। बैठक का उद्देश्य देश में हाल के राजनीतिक अस्थिरता के साथ-साथ पाकिस्तान में आगामी इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) शिखर सम्मेलन पर चर्चा करना था। इसके अलावा इस दौरान बलूचिस्तान में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर भी चर्चा हुई।

Vikrant Shekhawat : Mar 19, 2022, 10:12 AM
अपनी सरकार के खिलाफ चल रहे अविश्वास प्रस्ताव के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की। बैठक का उद्देश्य देश में हाल के राजनीतिक अस्थिरता के साथ-साथ पाकिस्तान में आगामी इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) शिखर सम्मेलन पर चर्चा करना था। इसके अलावा इस दौरान बलूचिस्तान में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर भी चर्चा हुई।

राजनीतिक अस्थिरता को एक बार फिर से पटरी पर लाने के लिए चर्चा

वहीं पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अधिकांश नेता इस बैठक के नतीजे का इंतजार कर रहे हैं। देश में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच इस बैठक का नतीजा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बैठक का मकसद पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता को एक बार फिर से पटरी पर लाने का है। माना जाता है कि पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिरता लाने में सेना का महत्वपूर्ण योगदान होता है। सेना के सहयोग के बिना वहां सरकार चलाना मुश्किल है।

सेना प्रमुख की नाराजगी की बात भी आई सामने

बताया जा रहा है कि पीएम इमरान खान द्वारा 11 मार्च को दिए गए भाषण में अपमानजनक टिप्पणी को लेकर सेना प्रमुख नाराज चल रहे हैं। दरअसल, सेना प्रमुख ने इमरान खान को विपक्षी नेताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी थी लेकिन इमरान खान ने इसे खारिज कर दिया था। इस मामले पर सफाई देते हुए इमरान खान ने कहा कि मैं सिर्फ जनरल बाजवा से बात कर रहा था और उन्होंने मुझसे फजल को 'डीजल' नहीं कहने के लिए कहा था। लेकिन मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं। लोगों ने उनका नाम डीजल रखा है। इमरान खान जेयूआई-एफ नेता मौलाना फजलुर रहमान का जिक्र कर रहे थे।

27 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान

दरअसल, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 342 सदस्य हैं। 27 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाले मतदान के दौरान प्रधानमंत्री इमरान खान अगर 172 सदस्यों का समर्थन हासिल नहीं कर सके, तो उनकी सरकार गिर जाएगी। ऐसा होने की मजबूत संभावना मानी जा रही है।