Gorakhpur / हैवानों की पिटाई से घायल महिला की टूट गई जीवन की डोर

हैवानों की पिटाई से घायल महिला की बुधवार को जीवन की डोर टूट गई... चार माह से अधिक समय तक वह जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती रही। गरीबी के कारण नियमित रूप से इलाज नहीं करा पाने से उसकी जान चली गई। दरिंदों के दिए घाव पर पुलिस ने भी मरहम लगाने बजाए नमक ही छिड़का था।

Vikrant Shekhawat : May 12, 2022, 02:49 PM
हैवानों की पिटाई से घायल महिला की बुधवार को जीवन की डोर टूट गई... चार माह से अधिक समय तक वह जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती रही। गरीबी के कारण नियमित रूप से इलाज नहीं करा पाने से उसकी जान चली गई। दरिंदों के दिए घाव पर पुलिस ने भी मरहम लगाने बजाए नमक ही छिड़का था।


यदि पुलिस ने आरोपियों पर कार्रवाई की होती तो शायद उसकी उम्मीद बंधती और वह जिंदगी की जंग जीत जाती। पुलिस ने तो उल्टा उसे ही आरोपी बना दिया था।


जानकारी के अनुसार, गुलरिहा इलाके के एक गांव में बीते 30 दिसंबर को 26 वर्षीय महिला से गांव के तीन युवकों ने दुष्कर्म की कोशिश की थी। महिला के विरोध करने पर हैवानों ने उसकी बेरहमी से पिटाई की थी। उस समय महिला दो महीने की गर्भवती थी।


पिटाई के 15 दिन बाद उसका गर्भपात हो गया। इसके बाद उसकी हालत ऐसी बिगड़ी की फिर नहीं संभली। इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती भी कराया गया, लेकिन फायदा नहीं हुआ। गरीबी की वजह से वह नियमित रूप से उपचार कराने मेडिकल कॉलेज नहीं जा पाती थी।


इससे तबीयत खराब होती चली गई। बुधवार को अचानक तबीयत अधिक खराब हो गई। परिवार वाले उसे लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। डॉक्टर इलाज कर रहे थे कि इसी बीच महिला ने दम तोड़ दिया। महिला की मौत से नाराज परिजन शव लेकर मुख्य आरोपी के घर पहुंच गए और कार्रवाई की मांग करने लगे।


मामले की जानकारी होने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची और कार्रवाई का आश्वासन देकर परिजनों को शांत कराया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। गांव में पुलिस फोर्स तैनात की गई है।


पुलिस ने पीड़िता के खिलाफ ही दर्ज किया था केस

30 दिसंबर को मारपीट के बाद महिला के परिजनों ने गुलरिहा थाने में तहरीर दी थी। पुलिस ने मामले में मारपीट और छेड़खानी की धारा में केस दर्ज किया था। पुलिस ने आरोपितों को पकड़ने के बजाए उलटे विपक्षी की तहरीर पर पीड़िता के खिलाफ ही मारपीट का केस दर्ज किया था।