Vikrant Shekhawat : Feb 18, 2022, 07:15 PM
उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण का चुनाव काफी रोचक होने वाला है। 16 जिलों की 59 सीटों पर 20 फरवरी को मतदान होने हैं। यह सभी सीटें प्रदेश की दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और सपा के लिए जरूरी हैं। इनमें से कई जिले कभी समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करते थे। 2017 में भाजपा ने इसमें सेंध लगा दी थी। तब भाजपा ने इन 59 में से 49 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार सपा के सामने अपने गढ़ को दोबारा हासिल करने, वहीं भाजपा के लिए अपना पिछला रिकार्ड दोहराने की चुनौती है। इस चरण में हाथरस, फिरोजाबाद, एटा, इटावा, मैनपुरी, कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा में चुनाव होना है। पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तक की किस्मत दांव परतीसरे चरण के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल समेत कई दिग्गज खुद मैदान में हैं। योगी सरकार के तीन मंत्रियों की साख भी दांव पर लगी है। इसके अलावा इस चरण में मुलायम सिंह यादव के समधी और भाई भी चुनाव लड़ रहे हैं। जानिए तीसरे चरण की दस सबसे हॉट सीटों के बारे में...1. करहल में अखिलेश बनाम बघेलइस समय पूरे यूपी की सबसे हॉट सीट मैनपुरी की करहल विधानसभा है। यहां से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और मोदी कैबिनेट में मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल आमने-सामने हैं। प्रो. बघेल के राजनीतिक गुरु अखिलेश के पिता और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव हैं। करहल के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा 1.35 लाख यादव वोटर्स हैं। इसके बाद 35 हजार शाक्य, 18 हजा बघेल, 12 हजार लोधी, 18 हजार ब्राह्मण, 25 हजार दलित, 18 हजार मुस्लिम वोटर्स हैं। 2017 में यहां से समाजवादी पार्टी के सोबरन सिंह यादव ने भाजपा की रमा शाक्य को हराया था। 2. जसवंतनगर से शिवपाल मैदान में : इटावा की जसवंतनगर से फिर शिवपाल सिंह यादव चुनावी मैदान में हैं। वैसे तो शिवपाल ने प्रगतिशील समाज पार्टी बना ली है, लेकिन वह यहां समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस चुनाव से शिवपाल पूरी तरह से किनारे हो गए हैं। सपा में उन्हें अब तवज्जो नहीं मिल रही है, जैसा पहले मिला करती थी। इसका जिक्र शिवपाल खुले मंच से कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि वह कम से कम 100 सीटें मांग रहे थे, लेकिन मिली सिर्फ एक। 2017 में भी इस सीट पर शिवपाल ने जीत हासिल की थी।3. सिरसागंज से मुलायम के समधी मैदान में : राजनीति में कोई किसी का दोस्त और दुश्मन नहीं होता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण फिरोजाबाद जिले की सिरसागंज विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव साइकिल को पंचर करने में जुटे हैं। भगवा रथ पर सवार हरिओम को उनके ही राजनीतिक शिष्य सर्वेश यादव सपा से चुनौती देंगे। हरिओम के हर पैंतरे का जवाब देने के लिए ही सपा ने सर्वेश को मैदान में उतारा है। दोनों के एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में ताल ठोकने से माहौल गरमाया हुआ है।4. महाराजपुर सीट पर योगी के मंत्री की परीक्षा : कानपुर नगर जिले की महाराजपुर विधानसभा सीट की लड़ाई भी काफी दिलचस्प है। यहां से भाजपा ने योगी सरकार में मंत्री सतीश महाना को फिर से मैदान में उतारा है। महाना पिछले 35 वर्षों से भाजपा के विधायक हैं। 8वीं बार जीत दर्ज करने के लिए फिर उतरे हैं। जबकि समाजवादी पार्टी ने यहां से 36 वर्ष के सिख उम्मीदवार फतेह बहादुर को टिकट दिया है। महाना विपरीत परिस्थितियों में भी यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं। लेकिन इस बार महाना के किले को भेदने के लिए सपा के फतेह बहादुर दिन रात लगे हुए हैं। फतेह घर जाकर लोगों के पैर छू कर वोट उन्हें ही डालने की कसमें तक खिला रहे हैं।5. मैनपुरी का भोगांव विधानसभा : इस सीट से भाजपा ने योगी कैबिनेट के मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर हमेशा से समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। 1989 के बाद पिछली बार यानी 2017 में पहली बार यहां कमल खिला और रामनरेश को इसका इनाम भी मिला। उन्हें सूबे का आबकारी मंत्री बनाया गया। रामनरेश के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री आलोक कुमार शाक्य को टिकट दिया है। 6. कानपुर की कल्याणपुर सीट : कानपुर की कल्याणपुर सीट से भाजपा ने योगी सरकार में राज्यमंत्री नीलिमा कटियार पर फिर से भरोसा जताया है। नीलिमा का मां प्रेमलता कटियार लंबे समय तक यहां विधायक और बाद में मंत्री भी रहीं। इस बार नीलिमा की डगर काफी कठिन होने वाली है। नीलिमा के खिलाफ समाजवादी पार्टी से पूर्व विधायक सतीश निगम को मैदान में उतारा है। 7. फर्रुखाबाद से लुईस खुर्शीद मैदान में : फर्रुखाबाद सदर सीट से इस बार पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। लुईस के खिलाफ भाजपा से मौजूदा विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी को टिकट मिला है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्या की पत्नी सुमन मौर्या को मैदान में उतारा है। 8. कन्नौज में पूर्व पुलिस कमिश्नर की साख दांव पर : चुनाव से ठीक पहले इत्र नगरी कन्नौज पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गया था। यहां से भाजपा ने कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण को टिकट दे दिया। असीम दलित वर्ग से आते हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी ने यहां से अनिल दोहरे को मैदान में उतारा है। बता दें कि कन्नौज के इत्र कारोबारी पुष्पराज जैन उर्फ पंपी जैन के घर ईडी की छापेमारी में 196 करोड़ रुपये नकदी और 20 करोड़ से ज्यादा के जेवरात मिले थे। भाजपा ने आरोप लगाया था कि पंपी जैन समाजवादी पार्टी का नेता है और अखिलेश यादव का करीबी है। 9. सादाबाद सीट से रामवीर उपाध्याय : हाथरस के सादाबाद सीट से इस बार बसपा के बागी और पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय चुनावी मैदान में हैं। रामवीर ने हाल ही में भाजपा का दामन थामा था। उनके खिलाफ सपा-रालोद गठबंधन से प्रदीप चौधरी और बसपा से अविन शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। 10. सिकंदरा सीट पर भी मंत्री की किस्मत दांव पर : कानपुर देहात के सिकंदरा सीट से भाजपा ने योगी सरकार के राज्यमंत्री अजीत सिंह पाल को फिर से उम्मीदवार बनाया है। अजीत योगी सरकार में आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मामलों के राज्यमंत्री हैं। अजीत के खिलाफ सपा ने प्रभाकर पांडेय को मैदान में उतारा है। वहीं, बसपा ने औरैया निवासी लालजी शुक्ला और कांग्रेस ने नरेश कटियार को टिकट दिया है।