Special / देश का वो फल, जो खाने के काम आता है और कपड़ा धोने के भी, जानिए इसके बारें में सबकुछ

हम सभी के घरों के आसपास बेल के पेड़ जरूर होंगे. ये पेड़ छोटे से लेकर बड़े आकार वाले होते हैं. बेल देश के सबसे प्राचीन पेड़ों और फलों में शुमार किया जाता है. जिसका इस्तेमाल खाने में तो होता ही है, औषधियों में भी इसका खूब इस्तेमाल होता है. इसके सेवन को स्वास्थ्य के लिए बहुत बेहतर बताया गया है. लेकिन बेल का कई इस्तेमाल ऐसा भी है जो हैरान करने वाला है.

Vikrant Shekhawat : Oct 15, 2021, 06:45 PM
हम सभी के घरों के आसपास बेल के पेड़ जरूर होंगे. ये पेड़ छोटे से लेकर बड़े आकार वाले होते हैं. बेल देश के सबसे प्राचीन पेड़ों और फलों में शुमार किया जाता है. जिसका इस्तेमाल खाने में तो होता ही है, औषधियों में भी इसका खूब इस्तेमाल होता है. इसके सेवन को स्वास्थ्य के लिए बहुत बेहतर बताया गया है. लेकिन बेल का कई इस्तेमाल ऐसा भी है जो हैरान करने वाला है.

बेल का इस्तेमाल खाने से लेकर लीकेज, कपड़ा धोने और पेंटिंग्स के संरक्षण में भी होता है. सबसे बड़ी बात ये है आयुर्वेद में बेल के पेड़ को सबसे ज्यादा रोगों को नष्ट करने वाला पेड़ भी माना गया है.

जब भारत में डिटर्जेंट और कपड़ा धोने के साबुन नहीं होते थे, तो रीठे से लेकर कई चीजों का इस्तेमाल कपड़ों को साफ करने में होता है. जो कपड़ों को साफ ही नहीं करते थे बल्कि चमका भी देते थे. आगे हम बताएंगे कि इनसे कैसे कपड़ों को डिटर्जेंट की तरह धोया और चमकाया जाता है.

बेल को बिल्व, बेल या बेलपत्थर भी कहा जाता है. बेल के पेड़ भारत में लगभग हर जगह पाए जाते हैं. इसे मंदिरों के पास खूब देखा जा सकता है, क्योंकि पूजा पाठ में भी इसका खासा इस्तेमाल होता है. बेल के पेड़ प्राकृतिक रूप से भारत के अलावा दक्षिणी नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया एवं थाईलैंड में उगते हैं. इनकी खेती भी की जाती है.

इसे भगवान शिव का रूप में माना गया है

धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है. हिन्दू धर्म में इसे भगवान शिव का रूप माना जाता है. माना जाता है कि मूल यानि जड़ में महादेव का वास है. इसके एक साथ रहने वाले तीन पत्तों को त्रिदेव का स्वरूप मानते हैं इन्हें पूजा में जरूर रखा जाता है. लेकिन पांच पत्तों के समूह वाले पत्तों को अधिक शुभ माना जाता है.

कैसे होते हैं बेल के पेड़

बेल के पेड़ 15-30 ऊंचे होते हैं. इनमें कांटे भी होते हैं. ये मौसम में फलों से लद जाते हैं. गर्मियों में पत्ते गिरते. मई में इस पर नए फूल आते हैं. मार्च से मई के बीच इस पर फल भी लगने लगते हैं. इसके फूल हरी आभा लिए सफेद रंग के होते हैं. इनकी सुगंध अच्छी होती है.

कैसा होता है

बेल का फल 05-17 सेंटीमीटर व्यास का होता है. ये हरे रंग के कड़े खोल के अंदर होता है. पकने पर इसका रंग बदलता है और ये सुनहरे पीले रंग का हो जाता है. इसे तोड़ने पर मीठा रेशेदार सुगंधित गूदा निकलता है. बेल के फल को पुरानी पेचिश, दस्तों और बवासीर में फायदेमंद मानते हैं. इससे आंतों की क्षमता बढ़ती है. पेट को ठंडा रखता है. भूख को बढ़ाता है.

कैसे करता कपड़ों को साफ

बेल फल का गूदा केवल खाने या खाद्य पदार्थों के तौर पर ही इस्तेमाल नहीं होता बल्कि डिटर्जेंट का भी काम करता है. इसे लेकर जब कपड़ों पर रगड़ते हैं तो कपड़े की गंदगी दूर हो जाती है और इसमें चमक भी आ जाती है.

लीकेज में कैसे काम आता है

ये लीकेज को रोकने में भी बहुत काम आता है. जब इसे चूने के प्लास्टर के साथ मिलाया जाता है जो कि जलअवरोधक का काम करता है. कहीं अगर पानी की लीकेज हो रही हो और इसे लगा देते हैं तो ये पानी का टपकना बंद कर देता है. इसी वजह से इसे मकान की दीवारों में सीमेंट में जोड़ा जाता है.

पेंटिंग्स के संरक्षण में भी

क्या आप ये सोच सकते हैं कि ये फल महंगी पेंटिग्स के संरक्षण में भी काम आता है. पुराने समय में पेंटर अपने चित्रों को संरक्षित करने में इसका खूब उपयोग करते थे. चित्रकार अपने जलरंग मे बेल को मिलाते हैं जो कि चित्रों पर एक सुरक्षात्मक परत के तौर पर काम करने लगता है.

बेल के ये लाभ भी

बेल के फलों में ‘बिल्वीन’ नाम या ‘मार्मेसोलिन’ नामक तत्व होता है. इसके ताज़े पत्तों से मिलने वाला हरे रंग का उत्पत तेल स्वाद में तीखा और सुगन्धित होता है. पत्तों का रस घाव ठीक करने, वेदना दूर करने, ज्वर नष्ट करने, जुकाम और श्वास रोग मिटाने तथा मूत्र में शर्करा कम करने वाला होता है. इसकी छाल और जड़ घाव, कफ, ज्वर, गर्भाशय का घाव, नाड़ी अनियमितता, हृदयरोग आदि दूर करने में काम आती है.इसीलिए आयुर्वेद में इसे बहुत महत्व दिया गया है.