Vikrant Shekhawat : Jun 10, 2021, 10:58 AM
Delhi: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बिहार में मौतों के आंकड़ों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। खुद पटना हाई कोर्ट ने कई बार सरकार को आंकड़ों में भारी अंतर को लेकर लताड़ भी लगाई है। चाहे बक्सर में गंगा किनारे लाशें मिलने का मामला हो या पटना के श्मशान घाटों पर जल रही लाशों की संख्या।।। सरकारी आंकड़े हमेशा से संदेह के घेरे में थे।
लेकिन अब तो खुद सरकार ने मान लिया है कि कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में भारी गड़बड़ी हुई है। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए ये जानकारी दी कि अब तक मौतों का जो आंकड़ा 5424 बताया गया था, वो गलत है जबकि असली आंकड़ा 9375 (7 जून तक) है।दरअसल 18 मई को ही राज्य सरकार ने कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों को लेकर जांच कराने का निर्णय लिया था। इसके लिए दो तरह की टीमें बनाई गई थीं, जिनकी जांच रिपोर्ट में ये लापरवाही सामने आई है।स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिलों में कराई गई जांच में ये खुलासा हुआ है कि कोरोना से मौत के आंकड़ों में घोर अनियमितता बरती गई है। प्रत्यय अमृत ने माना है कि इस संवेदनशील मामले में काफी असंवेदनशीलता की गई है। उन्होंने ऐसी लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई करने की बात तो कही, लेकिन अब तक कितने लोगों पर कार्रवाई हुई, इस सवाल पर चुप्पी साध ली।इतना ही नहीं, प्रत्यय अमृत ने कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में पकड़ी गई घोर लापरवाही पर कुछ तर्क भी दिए। उन्होंने बताया कि कई सारे लोगों की मौत होम आइसोलेश में हो गयी, काफी लोग संक्रमित होने के बाद दूसरे जिलों में चले गए, जहां उनकी मौत हो गई, कुछ लोगों की मौत अस्पताल जाने के क्रम में हुई, तो कुछ मौतें पोस्ट कोविड भी हुई, ऐसे में मौतों का सही आंकड़ा नहीं मिल पाया।हालांकि, विपक्ष लगातार सरकार पर मौतों के आंकड़े छिपाने का आरोप लगाता रहा है। सरकार ने मौत के आंकड़ों में सुधार जरूर किया है लेकिन दावा है कि बिहार के ग्रामीण इलाकों में ऐसे अनगिनत लोगों की मौत हुई है जिन्हें कोरोना के लक्षण तो थे, लेकिन उनकी कोरोना जांच नहीं हो पाई, इसलिए वो सरकारी आंकड़ों में कभी जगह नहीं बना पाए।
लेकिन अब तो खुद सरकार ने मान लिया है कि कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में भारी गड़बड़ी हुई है। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए ये जानकारी दी कि अब तक मौतों का जो आंकड़ा 5424 बताया गया था, वो गलत है जबकि असली आंकड़ा 9375 (7 जून तक) है।दरअसल 18 मई को ही राज्य सरकार ने कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों को लेकर जांच कराने का निर्णय लिया था। इसके लिए दो तरह की टीमें बनाई गई थीं, जिनकी जांच रिपोर्ट में ये लापरवाही सामने आई है।स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिलों में कराई गई जांच में ये खुलासा हुआ है कि कोरोना से मौत के आंकड़ों में घोर अनियमितता बरती गई है। प्रत्यय अमृत ने माना है कि इस संवेदनशील मामले में काफी असंवेदनशीलता की गई है। उन्होंने ऐसी लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई करने की बात तो कही, लेकिन अब तक कितने लोगों पर कार्रवाई हुई, इस सवाल पर चुप्पी साध ली।इतना ही नहीं, प्रत्यय अमृत ने कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में पकड़ी गई घोर लापरवाही पर कुछ तर्क भी दिए। उन्होंने बताया कि कई सारे लोगों की मौत होम आइसोलेश में हो गयी, काफी लोग संक्रमित होने के बाद दूसरे जिलों में चले गए, जहां उनकी मौत हो गई, कुछ लोगों की मौत अस्पताल जाने के क्रम में हुई, तो कुछ मौतें पोस्ट कोविड भी हुई, ऐसे में मौतों का सही आंकड़ा नहीं मिल पाया।हालांकि, विपक्ष लगातार सरकार पर मौतों के आंकड़े छिपाने का आरोप लगाता रहा है। सरकार ने मौत के आंकड़ों में सुधार जरूर किया है लेकिन दावा है कि बिहार के ग्रामीण इलाकों में ऐसे अनगिनत लोगों की मौत हुई है जिन्हें कोरोना के लक्षण तो थे, लेकिन उनकी कोरोना जांच नहीं हो पाई, इसलिए वो सरकारी आंकड़ों में कभी जगह नहीं बना पाए।