Share Market Crash / यूं ही नहीं गिर रहा बाजार, FPI ने सिर्फ 13 दिन में बेच डाले ₹30,000 करोड़ के शेयर

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली जारी है। मार्च के पहले पखवाड़े में उन्होंने 30,000 करोड़ रुपये निकाले, जिससे 2025 में कुल निकासी 1.42 लाख करोड़ हो गई। अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल और डॉलर की मजबूती के कारण एफपीआई भारत से धन निकालकर चीन में निवेश कर रहे हैं।

Vikrant Shekhawat : Mar 16, 2025, 01:00 PM

Share Market Crash: भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारी निकासी जारी है। मार्च 2025 के पहले पखवाड़े में ही एफपीआई ने 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बाजार से निकाल ली है। इससे पहले जनवरी और फरवरी में भी एफपीआई ने क्रमशः 78,027 करोड़ रुपये और 34,574 करोड़ रुपये की निकासी की थी। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, 2025 में अब तक कुल 1.42 लाख करोड़ रुपये (लगभग 16.5 अरब अमेरिकी डॉलर) की निकासी हो चुकी है।

लगातार 14वें हफ्ते की निकासी

मार्च 2025 में अब तक (13 मार्च तक) एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 30,015 करोड़ रुपये की निकासी की है। यह उनकी लगातार 14वें सप्ताह की शुद्ध निकासी है। वैश्विक और घरेलू स्तर पर कई आर्थिक और राजनीतिक कारकों के कारण एफपीआई अपनी पूंजी बाजार से निकाल रहे हैं। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, अमेरिका की व्यापार नीतियों में अनिश्चितता और वैश्विक जोखिम की बढ़ती भावना के कारण एफपीआई उभरते बाजारों में सतर्कता बरत रहे हैं।

एफपीआई की बिकवाली के कारण

एफपीआई द्वारा भारतीय शेयर बाजारों से पूंजी निकालने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

  1. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर की मजबूती: अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और डॉलर के मजबूत होने से अमेरिकी निवेश बाजार अधिक आकर्षक बन गया है। इससे विदेशी निवेशक भारत से पूंजी निकालकर अमेरिका में निवेश कर रहे हैं।

  2. भारतीय रुपये में गिरावट: भारतीय रुपये में गिरावट आने से विदेशी निवेशकों के लिए रिटर्न घट रहा है, जिससे वे अपनी पूंजी सुरक्षित बाजारों में स्थानांतरित कर रहे हैं।

  3. चीन के बाजारों में निवेश: जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार के अनुसार, एफपीआई भारत से निकासी कर चीन के शेयर बाजारों में निवेश कर रहे हैं, क्योंकि वहां बेहतर प्रदर्शन देखने को मिल रहा है।

  4. वैश्विक व्यापार तनाव: अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापार युद्ध और अनिश्चितता के कारण एफपीआई सुरक्षित निवेश विकल्पों जैसे सोना और अमेरिकी डॉलर को प्राथमिकता दे रहे हैं।

पिछले वर्षों में एफपीआई का रुख

  • 2023 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।

  • 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि के कारण 1.21 लाख करोड़ रुपये की निकासी की गई थी।

  • 2024 में एफपीआई का कुल निवेश केवल 427 करोड़ रुपये रहा, जो दर्शाता है कि निवेशकों की धारणा में भारी बदलाव आया है।

निष्कर्ष

एफपीआई की लगातार निकासी भारतीय शेयर बाजारों के लिए चिंता का विषय है। हालांकि, इस दौरान घरेलू निवेशकों की भागीदारी बढ़ रही है, जिससे बाजार को कुछ स्थिरता मिल रही है। भारत सरकार और रिज़र्व बैंक को एफपीआई को आकर्षित करने के लिए नीतिगत सुधारों और स्थिर आर्थिक माहौल पर ध्यान देना होगा। यदि वैश्विक और घरेलू स्थितियाँ अनुकूल होती हैं, तो एफपीआई का रुझान वापस भारतीय बाजारों की ओर मुड़ सकता है।