Valentine Day 2023 / वाराणसी का वो दर जहां पूरी होती है प्रेमी जोड़ों की हर मुरादें, दुआ मांगने आते हैं कपल

मजार की देख रेख करने वाले मोहम्मद फरीद शाह ने बताया प्रेमी जोड़ों की हर मुरादें इस मजार पर पूरी होती हैं. प्रेमी जोड़े यहां आते हैं और अपनी मुरादों को रखकर यहां दुआएं करतें हैं. मिन्नतें पूरी होने पर वो दोबारा यहां आकर चादर चढ़ाते है.कई जोड़ें तो शादी के कार्ड भी यहां देने आतें है. सिर्फ प्रेमी जोड़े ही नहीं बल्कि हर किसी की मुरादें यहां पूरी होती हैं.

वाराणसी: लैला-मजनूं, हीर-रांझा की प्रेम कहानी तो आपने सुनी होगी. लेकिन धर्म आध्यात्म की नगरी काशी (Kashi) में आशिक माशूक की प्रेम कहानी का किस्सा भी मुहब्बत की दास्तान को बयां करती हैं. सिर्फ बयां ही नहीं बल्कि वाराणसी (Varanasi) के सिगरा में उनका मजार प्रेमी जोड़ों के लिए मंदिर जैसा महत्व रखता है. आम लोगों की नजरों से छिपकर आज भी यहां प्रेमी जोड़े अपनी मिन्नतें लेकर पहुंचते है. वैलेंटाइन वीक (Velentine Week) में ये संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है.

मजार की देख रेख करने वाले मोहम्मद फरीद शाह ने बताया प्रेमी जोड़ों की हर मुरादें इस मजार पर पूरी होती हैं. प्रेमी जोड़े यहां आते हैं और अपनी मुरादों को रखकर यहां दुआएं करतें हैं. मिन्नतें पूरी होने पर वो दोबारा यहां आकर चादर चढ़ाते है.कई जोड़ें तो शादी के कार्ड भी यहां देने आतें है. सिर्फ प्रेमी जोड़े ही नहीं बल्कि हर किसी की मुरादें यहां पूरी होती हैं.

जानिए क्या है कहानी?

शहर के सिगरा क्षेत्र में आशिक माशूक की ये मजार प्रेमी जोड़ों का मक्का है. कहा जाता है कि 400 साल पहले मोहम्मद यूसुफ नाम के एक शख्स की मुलाकात मेले के दौरान मरयम से हुई. पहली ही नजर में दोनों में प्यार हुआ और फिर उनके मुहब्बत की चर्चा शहर में होने लगी. मरयम के घरवालों को जब इस बात का पता लगा तो उन्होंने मरयम को उन्होंने अपने रिश्तेदार के यहां भेज दिया.

गंगा में मिला था शव

मरयम से न मिल पाने के कारण यूसुफ बेचैन हो गया और वो उसकी तलाश में मरयम की दोस्त तक पहुंच गया. मरयम की दोस्त ने यूसुफ को उसका पता बताया. जिसके बाद मुहब्बत में पागल यूसुफ गंगा किनारे पहुंचा, वहां मरयम की चप्पल देख यूसुफ को उसे ढूंढने के लिए गंगा में कूद गया. उधर जब मरयम को इस बात की जानकारी हुई तो वो भी गंगा में कूद गई. रिश्तेदारों ने उनके शव को ढूंढने का खूब प्रयास किया लेकिन काफी दिन बाद दोनों का शव एक दूसरे का हाथ पकड़ गंगा में तैरती मिली.

इसके बाद उन्हें सिगरा क्षेत्र में सुपुर्दे खाक किया गया और फिर उनकी मजार बन गई. ये प्रेम कहानी जब लोगों के बीच चर्चा में आई तो प्यार के परवाने यहां मिन्नतों के लिए जुटने लगे और यहां अपने प्यार को पाने की मुरादें लगाने लगें. कहा जाता है कि यहां प्रेमी जोड़ों की मनचाही मुरादें पूरी भी होती है.