The Great Firwall of China / दुनिया की टॉप वेबसाइट्स यहां हैं ब्लॉक, ऐसे काम करती है चीन में सेंसरशिप

ग्रेट फायरवॉल ऑफ चाइना, सुनने में ग्रेट वॉल ऑफ चाइना से मिलता-जुलता है। इनमें से एक ब्रिक वाली वॉल है, तो दूसरी वर्चुअल वॉल है। द ग्रेट फायरवॉल ऑफ चाइना दरअसल इंटरनेट सेंसरशिप है जो चीन इस्तेमाल करता है। इसे दुनिया का सबसे एडवांस्ड इंटरनेट सेंसरशिप और गोल्डेन शील्ड प्रोजेक्ट भी कहा जाता है।

AajTak : Jul 01, 2020, 06:17 PM
ग्रेट फायरवॉल ऑफ चाइना, सुनने में ग्रेट वॉल ऑफ चाइना से मिलता-जुलता है। इनमें से एक ब्रिक वाली वॉल है, तो दूसरी वर्चुअल वॉल है।

द ग्रेट फायरवॉल ऑफ चाइना दरअसल इंटरनेट सेंसरशिप है जो चीन इस्तेमाल करता है। इसे दुनिया का सबसे एडवांस्ड इंटरनेट सेंसरशिप और गोल्डेन शील्ड प्रोजेक्ट भी कहा जाता है।

चीन में इंटरनेट फ्रीडम का स्तर काफी खराब है और इस लिस्ट में चीन नंबर-1 पर है। हालांकि चीन के पास गूगल और फेसबुक जैसी दुनिया की बड़ी वेबसाइट का बेहतर विकल्प भी है जो चीन का अपना है।

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इसी का उदाहरण है कि चीन में फेसबुक, गूगल, विकिपिडिया और ट्विटर जैसी दुनिया की पॉपुलर वेबसाइट्स ब्लॉक हैं। हालांकि चीन में सोशल मीडिया और मैसेजिंग से लेकर सर्च इंजन तक के अलग विकल्प हैं जो वहां के लोग यूज करते हैं।

चीन इसी फायरवॉल के तहत कॉन्टेंट को भी सेंसर करता है। इसकी कई अलग-अलग वजह हैं। कई बार वहां सर्च इंजन रिजल्ट में भी मैनिपुलेशन किया जाता है।

वेबसाइट्स और यूआरएल ब्लॉक की बात करें तो इस फायरवॉल से इंडिविजुअल वेबसाइट्स ब्लॉक की जाती हैं। इतना ही नहीं, ये फायरवॉल ब्लैकलिस्ट किए गए कीवर्ड को वेब पेज से स्कैन करके उसे ब्लॉक कर देता है।

उदाहरण के तौर पर किसी खास कीवर्ड को अगर इस फायरवॉल में ब्लॉक करने के लिए लगाया गया। अब ये फायरवॉल इंटरनेट पर वेब पेज को स्कैन करके उस कीवर्ड वाली वेबसाइट्स को ब्लॉक कर देगा।

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चीन बाहर की सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स को ब्लॉक करके लोगों को उनका विकल्प यूज करने पर एक तरह से मजबूर करता है। हालांकि वहां की ऑल्टरनेटिव सोशल मीडिया और ई-मेल वेबसाइट्स काफी बेहतरीन हैं और फेसबुक के ही लेवल की हैं।
ऐसा नहीं है कि ग्रेट फायरवॉल को भेदा या तोड़ा नहीं जा सकता है। ये भी संभव है, लेकिन ये थोड़ा मुश्किल होता है। फायरवॉल को बाइपास करने के लिए कई तरह के एडवांस्ड वीपीएन सॉल्यूशन आते हैं और कुछ लोग इसे यूज भी करते हैं।

ग्रेट फायरवॉल ऑफ चाइना का एक काम ये भी है कि वो क्रॉस बॉर्डर इंटरनेट ट्रैफिक को कम करे जिनमें दूसरे देशों की बड़ी वेबसाइट्स होती हैं।

कई बार वेबसाइट्स को ब्लॉक भी नहीं किया जाता है, बल्कि इसे लिमिट कर दिया जाता है। इस तरह से कॉन्टेंट सिर्फ चीन के लिए और चीन में ही डेवेलप किए जाते हैं।

ग्रेट फायरवॉल ऑफ चाइना या गोल्डेन शील्ड प्रोजेक्ट की शुरुआत 1998 में की गई थी और लगातार इसमें बदलाव किया जाता है। फायरवॉल आम दिनों में आप और हम भी अपने कंप्यूटर में यूज करते हैं।

कुछ बेसिक मेथड की बात करें तो इनमें आईपी ब्लॉकिंग और डीएनएस ब्लॉकिंग शामिल हैं। चूंकि चीन की जनसंख्या काफी ज्यादा है, इसलिए ये बड़े पैमाने पर किया जाता है और इसलिए इसे फायरवॉल नहीं, ग्रेट फायरवॉल कहा जाता है।

ग्रेट फायरवॉल की वजह से ही इंटरनेट फ्रीडम में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में चीन पहले नंबर है। भारत इस लिस्ट में 10वें नंबर पर है।