किसान आंदोलन / सिंधु बॉर्डर पर एक बार फिर किसानों और बॉर्डर खाली करवाने पहुंचे लोगों के बीच जोरदार घमासान

सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को बवाल हो गया।दोपहर करीब 1बजे नरेला की तरफ से आए लोग धरनास्थल पर पहुंचे और नारेबाजी करते हुए किसानों से बॉर्डर खाली करने की मांग करने लगे। इनका कहना था कि किसान आंदोलन के चलते लोगों के कारोबार ठप हो रहे हैं।पौने दो बजे तक ये लोग किसानों के टेंट तक पहुंच गए और उनकी जरूरत के सामान तोड़ दिए।इसके बाद किसानों और नारेबाजी कर रहे लोगों के बीच झड़प शुरू हो गई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ।

Vikrant Shekhawat : Jan 29, 2021, 05:32 PM
किसान आंदोलन के बीच सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को बवाल हो गया। दोपहर करीब 1 बजे नरेला की तरफ से आए लोग धरनास्थल पर पहुंचे और नारेबाजी करते हुए किसानों से बॉर्डर खाली करने की मांग करने लगे। इनका कहना था कि किसान आंदोलन के चलते लोगों के कारोबार ठप हो रहे हैं। पौने दो बजे तक ये लोग किसानों के टेंट तक पहुंच गए और उनकी जरूरत के सामान तोड़ दिए। इसके बाद किसानों और नारेबाजी कर रहे लोगों के बीच झड़प शुरू हो गई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ।


पुलिस ने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन स्थिति बिगड़ते देख लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इस झड़प में 5 पुलिसवाले घायल हो गए। अलीपुर थाने के SHO प्रदीप पालीवाल भी तलवार से हुए हमले में जख्मी हो गए।


किसान नेता का आरोप- सरकार RSS के लोगों को भेजकर माहौल बिगाड़ रही

शुक्रवार दोपहर हुई झड़प से पहले किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सतनाम सिंह पन्नू ने केंद्र सरकार पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार RSS के लोगों को भेजकर किसानों के धरनास्थल पर माहौल बिगाड़ रही है। लेकिन, कृषि कानूनों की वापसी होने तक हम वापस नहीं जाएंगे।'


टीकरी बॉर्डर पर भी किसानों के खिलाफ प्रदर्शन:

किसान आंदोलन के दूसरे अहम पॉइंट टीकरी बॉर्डर पर भी कुछ लोगों ने किसानों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बॉर्डर खाली करने की मांग की। वे 26 जनवरी को लाल किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा लगाने की घटना का विरोध कर रहे थे। उनके हाथों में बैनर थे, जिन पर लिखा था कि तिरंगे का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान। हालांकि, वहां कोई उपद्रव नहीं हुआ। अभी स्थिति सामान्य है, लेकिन एहतियात के तौर पर पुलिस ने बैरिकेडिंग और मजबूत कर दी है।


मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत जारी:

ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद पुलिस पिछले 2 दिनों से एक्शन में थी। इसके चलते गुरुवार को लगा कि गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन शायद खत्म हो जाए। लेकिन, देर रात भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के इमोशनल दांव के बाद आंदोलन और तेज होता नजर आ रहा है। इसी सिलसिले में मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत चल रही है।


गाजीपुर बॉर्डर पर हलचल बढ़ी:

किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान कर चुके राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के नेता जयंत चौधरी टिकैत से मिलने शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने कहा कि 'प्रशासन पर किसानों को हटाने का दबाव हो सकता है, लेकिन किसान हटना नहीं चाहते। किसानों का मुद्दा संसद में उठना चाहिए।'


वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ने भी गाजीपुर बॉर्डर पहुंचकर किसानों के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उधर, दिल्ली सरकार के दूसरे मंत्री सत्येंद्र जैन और AAP के विधायक राघव चड्ढा ने सिंघु बॉर्डर पर जाकर व्यवस्थाएं देखीं।


UP और हरियाणा से गाजीपुर पहुंच रहे किसान:

गाजीपुर बॉर्डर पर गुरुवार शाम 4 बजे तक भारी पुलिस बल की तैनाती के बाद माहौल ऐसा बन गया था कि किसानों को घर भेज दिया जाएगा। लेकिन, आधी रात को पुलिस को लौटना पड़ा। क्योंकि, किसानों ने आंदोलन तेज करने की तैयारी शुरू कर दी थी। UP और हरियाणा से हजारों किसान रात में ही गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हो गए थे और शुक्रवार सुबह से उनका गाजीपुर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया।


टिकैत धरना खत्म करने को राजी थे, विधायक की धमकी से अड़ गए

गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत गुरुवार शाम 6 बजे अफसरों के साथ बैठक के दौरान धरनास्थल से हटने को तैयार हो गए थे। लेकिन, कुछ देर बाद भाजपा विधायक नंद किशोर की एंट्री होने से मामले ने यू-टर्न ले लिया। नंद किशोर अपने समर्थकों के साथ धरनास्थल के पास पहुंच गए। उन्होंने पुलिस से कहा कि आंदोलनकारियों को रविवार तक हटा लें, वरना हम हटाएंगे।


इसके बाद टिकैत भड़क गए। उन्होंने कहा कि ‘भाजपा का विधायक पुलिस फोर्स के साथ मिलकर किसानों का मारने आया है। इसलिए अब हम कहीं नहीं जा रहे।’ राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत ने भी कहा कि अब तीनों काले कानूनों का निपटारा करके ही लौटेंगे।


लाठी-गोली की बात करने वाले टिकैत के आंसू निकले:

गाजीपुर बॉर्डर पर UP पुलिस ने गुरुवार शाम 4 बजे धरनास्थल को चारों तरफ से सील कर दिया। भारी पुलिस की मौजूदगी में किसानों को हटने का नोटिस थमाया गया। अफसरों ने कहा कि धरना हटाकर रहेंगे। इसका असर यह हुआ कि लाठी और गोली वाले बयानों से विवादों में आए टिकैत इमोशनल दांव खेल गए। उन्होंने रोते हुए कहा कि 'मुझे मारने की साजिश रची जा रही है। मैं खुदकुशी कर लूंगा। देश के किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगा।'