- भारत,
- 10-Mar-2025 06:00 AM IST
- (, अपडेटेड 09-Mar-2025 11:26 PM IST)
Share Market News: पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार ने थोड़ी स्थिरता दर्ज की, लेकिन निवेशकों के लिए राहत अब भी दूर है। हाल ही में 30 वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट देखने के बाद, बाजार ने गिरावट को रोकने का प्रयास किया, लेकिन इस बीच भारी मात्रा में पूंजी बाजार से बाहर निकल चुकी है। मार्च के पहले हफ्ते में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 24,753 करोड़ रुपये की निकासी की, जिससे बाजार पर दबाव बना रहा।
एफपीआई की लगातार निकासी क्यों?
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी का प्रमुख कारण भारतीय कंपनियों की कमजोर आय और वैश्विक बाजार में बढ़ता तनाव है। अमेरिकी सरकार द्वारा चीन, मेक्सिको और कनाडा पर उच्च टैरिफ लगाने की नीति ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है। इसके अलावा, घरेलू बाजार में कंपनियों के कमजोर नतीजों के कारण भी एफपीआई भारतीय शेयरों से दूर हो रहे हैं।फरवरी में एफपीआई ने 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये की निकासी की थी। 2025 की शुरुआत से अब तक एफपीआई ने कुल 1.37 लाख करोड़ रुपये भारतीय बाजार से बाहर निकाल लिए हैं।एफपीआई की निरंतर बिकवाली का प्रभाव
- बाजार में अस्थिरता: एफपीआई द्वारा लगातार निकासी के चलते बाजार में भारी अस्थिरता बनी हुई है। निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगाने लगा है।
- रुपये पर दबाव: विदेशी निवेशकों के पैसे निकालने से रुपये की वैल्यू पर दबाव पड़ता है, जिससे आयात महंगा हो सकता है।
- लघु एवं मध्यम उद्योगों पर असर: छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों को पूंजी जुटाने में दिक्कत हो सकती है, जिससे उनके विकास पर असर पड़ेगा।
- बैंकिंग और वित्तीय सेक्टर पर प्रभाव: लगातार बिकवाली के कारण बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।