AajTak : Apr 22, 2020, 02:26 PM
अमेरिका: से सबसे अधिक मदद हासिल करने वाले शीर्ष देशों में शामिल रहे इजिप्ट (मिस्र) ने मंगलवार को मेडिकल सप्लाई से भरा एक विमान अपने यहां से अमेरिका भेजा। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में इजिप्ट ने अमेरिका को ये मदद की है।
इजिप्ट में जनरल से राष्ट्रपति बने अब्देल फतह अल-सिसी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बेहतर संबंध रखने की कोशिश करते रहे हैं। हालांकि, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इजिप्ट ने चीन और इटली को भी मेडिकल सप्लाई भेजी है। सिसी के दफ्तर की ओर से एक वीडियो जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि इजिप्ट के लोगों की ओर से अमेरिकियों को मदद। वीडियो में मिलिट्री कार्गो प्लेन में मेडिकल सप्लाई लोड करते दिखाया गया है।अमेरिकी नेता डच रुपर्सबर्गर ने जानकारी दी है कि इजिप्ट से भेजा गया विमान वॉशिंगटन के पास एन्ड्रू एयर फोर्स स्टेशन पर लैंड किया। विमान में 2 लाख मास्क, 48 हजार शू कवर, 20 हजार सर्जिकल कैप्स और अन्य चीजें थीं।डच रुपर्सबर्गर ने ट्विटर पर लिखा- इसलिए ही इजिप्ट जैसे देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय डिप्लोमेसी और रिश्ता रखना जरूरी है। सिर्फ संकट के वक्त नहीं, बल्कि हर रोज के लिए यह जरूरी है।वहीं, काहिरा में अमेरिकी अम्बैसडर जोनाथान कोहेन ने भी अमेरिकी लोगों की ओर से इजिप्ट को शुक्रिया कहा है। बता दें कि इजिप्ट में अब तक कोरोना वायरस से 264 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। 3,490 से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, अमेरिका में 45000 से अधिक लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है।हालांकि, कई लोगों ने इस पर सवाल उठाए हैं कि क्या इजिप्ट इस वक्त अन्य देशों की मदद करने की स्थिति में है। इजिप्ट की एक तिहाई आबादी 115 रुपये या इससे कम में अपने दिन का गुजारा करती है।इजिप्ट के जाने माने ब्लॉगर The Big Pharaoh ने ट्वीट करके लिखा है कि देश के जो लोग इटली, ब्रिटेन और अमेरिका को मेडिकल सप्लाई भेजने पर खुश हैं, वे एक मास्क के लिए 50 रुपये खर्च कर सकते हैंइजिप्ट ने पिछले महीने ब्रिटिश अखबार द गार्जियन के एक पत्रकार की मान्यता रद्द कर दी थी क्योंकि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि इजिप्ट में कोरोना संक्रमण के मामले जितने बताए गए हैं, उनसे अधिक हैं।सिसी ने 2013 में इजिप्ट के निर्वाचित राष्ट्रपति को कुर्सी से हटा दिया था। ट्रंप भी सिसी का समर्थन करते रहे हैं, सिसी ने इजरायल से भी अच्छा रिश्ता रखा है। अमेरिका ने 2018 में इजिप्ट को मिलिट्री सहायता के रूप में 1.2 बिलियन डॉलर की रकम दी थी जो ज्यादातर वापस अमेरिकी कॉन्ट्रैक्टर्स के पास ही पहुंच गई थी।
इजिप्ट में जनरल से राष्ट्रपति बने अब्देल फतह अल-सिसी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बेहतर संबंध रखने की कोशिश करते रहे हैं। हालांकि, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इजिप्ट ने चीन और इटली को भी मेडिकल सप्लाई भेजी है। सिसी के दफ्तर की ओर से एक वीडियो जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि इजिप्ट के लोगों की ओर से अमेरिकियों को मदद। वीडियो में मिलिट्री कार्गो प्लेन में मेडिकल सप्लाई लोड करते दिखाया गया है।अमेरिकी नेता डच रुपर्सबर्गर ने जानकारी दी है कि इजिप्ट से भेजा गया विमान वॉशिंगटन के पास एन्ड्रू एयर फोर्स स्टेशन पर लैंड किया। विमान में 2 लाख मास्क, 48 हजार शू कवर, 20 हजार सर्जिकल कैप्स और अन्य चीजें थीं।डच रुपर्सबर्गर ने ट्विटर पर लिखा- इसलिए ही इजिप्ट जैसे देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय डिप्लोमेसी और रिश्ता रखना जरूरी है। सिर्फ संकट के वक्त नहीं, बल्कि हर रोज के लिए यह जरूरी है।वहीं, काहिरा में अमेरिकी अम्बैसडर जोनाथान कोहेन ने भी अमेरिकी लोगों की ओर से इजिप्ट को शुक्रिया कहा है। बता दें कि इजिप्ट में अब तक कोरोना वायरस से 264 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। 3,490 से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, अमेरिका में 45000 से अधिक लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है।हालांकि, कई लोगों ने इस पर सवाल उठाए हैं कि क्या इजिप्ट इस वक्त अन्य देशों की मदद करने की स्थिति में है। इजिप्ट की एक तिहाई आबादी 115 रुपये या इससे कम में अपने दिन का गुजारा करती है।इजिप्ट के जाने माने ब्लॉगर The Big Pharaoh ने ट्वीट करके लिखा है कि देश के जो लोग इटली, ब्रिटेन और अमेरिका को मेडिकल सप्लाई भेजने पर खुश हैं, वे एक मास्क के लिए 50 रुपये खर्च कर सकते हैंइजिप्ट ने पिछले महीने ब्रिटिश अखबार द गार्जियन के एक पत्रकार की मान्यता रद्द कर दी थी क्योंकि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि इजिप्ट में कोरोना संक्रमण के मामले जितने बताए गए हैं, उनसे अधिक हैं।सिसी ने 2013 में इजिप्ट के निर्वाचित राष्ट्रपति को कुर्सी से हटा दिया था। ट्रंप भी सिसी का समर्थन करते रहे हैं, सिसी ने इजरायल से भी अच्छा रिश्ता रखा है। अमेरिका ने 2018 में इजिप्ट को मिलिट्री सहायता के रूप में 1.2 बिलियन डॉलर की रकम दी थी जो ज्यादातर वापस अमेरिकी कॉन्ट्रैक्टर्स के पास ही पहुंच गई थी।