Chandrayaan 3 Mission / आज करेगा चंद्रयान-3 चांद की कक्षा में प्रवेश, जानिए आगे क्या?

चंद्रयान-3 के लिए आज यानी 5 अगस्त का दिन बेहद महत्वपूर्ण है. तय प्रोग्राम के मुताबिक इसरो वैज्ञानिक स्पेसक्राफ्ट को भारतीय समयानुसार शाम सात बजे के आसपास चांद की कक्षा में प्रवेश कराएंगे. हर देशवासी की नजर भी है और दुआ भी कि मिशन चंद्रयान-3 कामयाब हो. वैज्ञानिक पूरे मनोयोग से काम में जुटे हुए हैं. इसरो की पूरी टीम चंद्रयान-3 की अब तक की परफ़ार्मेंस से उत्साहित भी हैं. उन्हें मिशन की कामयाबी का पुख्ता भरोसा है.

Vikrant Shekhawat : Aug 05, 2023, 01:50 PM
Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान-3 के लिए आज यानी 5 अगस्त का दिन बेहद महत्वपूर्ण है. तय प्रोग्राम के मुताबिक इसरो वैज्ञानिक स्पेसक्राफ्ट को भारतीय समयानुसार शाम सात बजे के आसपास चांद की कक्षा में प्रवेश कराएंगे. हर देशवासी की नजर भी है और दुआ भी कि मिशन चंद्रयान-3 कामयाब हो. वैज्ञानिक पूरे मनोयोग से काम में जुटे हुए हैं. इसरो की पूरी टीम चंद्रयान-3 की अब तक की परफ़ार्मेंस से उत्साहित भी हैं. उन्हें मिशन की कामयाबी का पुख्ता भरोसा है.

आज का दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चांद की कक्षा में प्रवेश के बाद चीजें थोड़ी और आसान हो जाएंगी. इसके बाद सिर्फ दो पड़ाव बचेंगे. 17 अगस्त, जब विक्रम लैंडर अलग होगा और 23 अगस्त, जब स्पेसक्राफ्ट चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से अब तक चंद्रयान-तीन की परफ़ार्मेंस शानदार रही है, इसलिए माना जा रहा है कि आगे भी अच्छा ही होगा. जो लोग काम में जुटे हैं, उनके मन में कोई संशय नहीं है

कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सवाल उठा रहे हैं कि मिशन फेल हो गया तो क्या होगा? इसका बहुत स्पष्ट जवाब यही है कि दुनिया भर के साइंटिस्ट हर मिशन से कुछ न कुछ सीखते हैं. शोध एक ऐसी प्रक्रिया है जो रातों-रात नहीं पूरी होती. इसमें महीनों-बरसों लगते हैं. हर स्टेप पर शोध करने वाले लोग कुछ न कुछ नया सीखते हुए आगे बढ़ते हैं. इसरो की तो यह खासियत है कि वे अपना ज़्यादतर शोध-विकास खुद करते हैं. बाहर से यह संगठन नाम-मात्र ही मदद लेता है.

चंद्रयान-2 ऐसे सफल रहा था

ऐसे में जिन्हें लगता है कि चंद्रयान-दो सफल नहीं हुआ था, उन्हें यह जरूर पता होना चाहिए कि उसी चंद्रयान-दो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ऑर्बिटर कामयाब रहा. वह चांद की कक्षा में घूम रहा है, इसीलिए चंद्रयान-तीन के साथ ऑर्बिटर नहीं भेजा गया है. ऐसे में इसकी लागत कम हो गई. इसलिए चंद्रयान-दो को पूरी तरह से विफल नहीं कहा जाना चाहिए. चंद्रयान-3 की पूरी टीम के पास चंद्रयान-2 का तजुर्बा है. वे सामने आई सभी त्रुटियों को दूर कर चुके हैं. इसलिए इतिहास रचा जाना तय है.

इतने बड़े मिशन में जोखिम हमेशा रहता है. वैज्ञानिक उससे परिचित भी हैं. इतना बड़ा स्पेसक्राफ्ट तकनीक की मदद से ही काबू में है. सिर्फ तकनीक यानी सेंसर से मिले संकेतों के सहारे सारी जानकारियां सामने आ रही हैं. अंतरिक्ष में जहां ये यान ट्रैवल कर रहा है, वहां जीपीएस जैसा सिस्टम काम नहीं करता. इसके बावजूद इसरो साइंटिस्ट चंद्रयान-दो के ऑर्बिटर पर भी नजर बनाए हुए हैं और चंद्रयान-तीन पर भी.

23 को चांद पर उतरेगा लैंडर

तय समय 23 अगस्त को चंद्रयान-तीन लैंडर जब चांद पर उतरेगा, तब भारत दुनिया का चौथा देश बन चुका होगा. इससे पहले सिर्फ अमेरिका,रूस और चीन ही चांद पर यह कारनामा कर पाए हैं. जिस हिस्से में चंद्रयान-3 का रोवर उतरेगा, उस दक्षिणी ध्रुव पर अब तक किसी देश ने अपना रोवर नहीं.

भारत के लैंडर के साथ एक रोवर (छोटा रोबोट) भी है, जो चांद की सतह पर उतरकर खोजबीन करेगा और जरूरी डेटा पृथ्वी पर भेजेगा. चांद की कक्षा में प्रवेश करने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण क्षण होगा चांद पर लैंडिंग क्योंकि जब रोवर वहां उतरेगा तो सूरज की रोशनी जरूरी है. चांद पर लगभग 14-15 दिन ही सूरज निकलता है. हालांकि,इसरो के वैज्ञानिकों ने इस बात का ध्यान रखा हुआ है, फिर भी यह चुनौती तब तक बनी रहेगी, जब तक रोवर उतर नहीं जाता.

चंद्रयान-3 का रोवर पता करेगा कि चांद की इस सतह पर कौन-कौन से खनिज हैं? हवा-पानी की क्या संभावनाएं हैं. इसमें जो टूल लगे हैं, उनकी क्षमता को इस तरह से सेट किया गया है कि चांद की सतह से ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं आ सकें.