News18 : Sep 23, 2020, 07:57 AM
नई दिल्ली। तुर्की (Turkey) के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोग़ान (Recep Tayyip Erdoğan) ने संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ (United Nations) के मौके पर दिए भाषण में कश्मीर (Kahsmir) का मुद्दा उठाया है। इसके एक दिन पहले ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यह संयुक्त राष्ट्र की बड़ी असफलताओं में से एक है। संयुक्त राष्ट्र की आम सभा (UNGA) में एर्दोगान ने कहा कि 'कश्मीर संघर्ष दक्षिण में शांति और स्थिरता के नजरिए से काफ़ी महत्वपूर्ण है। यह भी एक मुद्दा है और स्पेशल स्टेटस खत्म किए जाने के बाद स्थिति और गंभीर हो गई है।'
वहीं एर्दोगान के इस भाषण पर भारत की ओर से कड़ी आपत्ति जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि यूएन तिरुमूर्ति ने कहा कि 'हमने भारतीय प्रदेश जम्मू और कश्मीर पर तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणी देखी है। वे भारत के आंतरिक मामलों में व्यापक हस्तक्षेप कर रहे हैं, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। तुर्की को अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए साथ ही साथ यह इनकी नीतियों पर भी झलकना चाहिए।'
वहीं एर्दोगान के इस भाषण पर भारत की ओर से कड़ी आपत्ति जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि यूएन तिरुमूर्ति ने कहा कि 'हमने भारतीय प्रदेश जम्मू और कश्मीर पर तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणी देखी है। वे भारत के आंतरिक मामलों में व्यापक हस्तक्षेप कर रहे हैं, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। तुर्की को अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए साथ ही साथ यह इनकी नीतियों पर भी झलकना चाहिए।'
इसी साल फरवरी में पाकिस्तान दौरे पर गए एर्दोगन ने कहा था कि 'तुर्की (Turkey) के कैनाकले में जो 100 साल पहले हुआ, अब वही कश्मीर में दोहराया जा रहा है। तुर्की इस दमन के खिलाफ अपनी आवाज उठाना जारी रखेगा। एर्दोगन ने कहा, पाकिस्तान और तुर्की की दोस्ती साझा हितों पर नहीं बल्कि प्रेम पर आधारित है। आज कश्मीर का मुद्दा जितना आपके दिल के करीब है, उतना ही हमारे भी है। पहले की ही तरह हम भविष्य में भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान को समर्थन देना जारी रखेंगे।'एर्दोगान के इस बयान का भी भारत ने करारा पलटवार किया था। उस वक्त विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रहे रवीश कुमार (Raveesh Kumar) ने कहा था कि 'एर्दोगान के बयान से साफ है कि उन्हें ना तो इतिहास की जानकारी है और ना ही कूटनीतिक व्यवहार की समझ है।' रवीश कुमार (Raveesh Kumar) के मुताबिक, उन्हें इतनी भी समझ नहीं कि उनके बयान से अंकारा के साथ भारत के संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा।रवीश कुमार ने कहा था कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। बेहतर होगा कि तुर्की के राष्ट्रपति भारत के अंदरूनी मामलों (Internal Issues) में दखल नहीं दें। वह अपनी जानकारी बढ़ाएं। उन्हें पाकिस्तान से चल रही आतंकी गतिविधियों से भारत समेत दूसरे देशों पर बढ़ रहे खतरे के बारे में सोचना चाहिए।We have seen remarks by President of Turkey on Indian UT of Jammu & Kashmir. They constitute gross interference in India’s internal affairs and are completely unacceptable. Turkey should learn to respect sovereignty of other nations and reflect on its own policies more deeply.
— PR UN Tirumurti (@ambtstirumurti) September 22, 2020