News18 : Jul 25, 2020, 05:29 PM
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के करीब 6,000-6,500 आतंकवादी पड़ोसी अफगानिस्तान में सक्रिय हैं जिनमें से अधिकतर का संबंध 'तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान' से है और वे दोनों देश के लिए खतरा हैं। 'आईएसआईएस (ISIS), अल-कायदा (Al-Qaida) और संबंद्ध व्यक्तियों एवं संस्थाओं से संबंधित विश्लेषणात्मक सहायता एवं प्रतिबंध निगरानी टीम' की 26वीं रिपोर्ट में कहा गया कि 'भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा' (एक्यूआईएस) तालिबान के तहत अफगानिस्तान के निमरूज, हेलमंद और कंधार प्रांतों से काम करता है। इसमें कहा गया, 'खबरों के मुताबिक संगठन में बांग्लादेश, भारत, म्यामां और पाकिस्तान से 150 से 200 के बीच सदस्य हैं। एक्यूआईएस का मौजूदा सरगना ओसामा महमूद है।।।जिसने मारे गए आसिम उमर की जगह ली है।'
रिपोर्ट के अनुसार, 'खबरें हैं कि एक्यूआईएस अपने पूर्व सरगना की मौत का बदला लेने के लिए क्षेत्र में जवाबी कार्रवाई की साजिश रच रहा है।' रिपोर्ट में कहा गया कि 'अफगानिस्तान में मौजूद सबसे बड़े आतंकवादी संगठन', तहरीक-ए-तालिबान पाकेस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तान में कई हाई प्रोफाइल हमलों की जिम्मेदारी ली है और जमात-उल-अहरार और लश्कर-ए-इस्लाम द्वारा किए गए अन्य हमलों में मदद की है। इसमें कहा गया कि टीटीपी के कई पूर्व आतंकवादी इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लैवेंट खुरासान (आईएसआईएल-के) में शामिल हो गए हैं और सदस्य राष्ट्रों को आशंका है कि संगठन और इसके विभिन्न छोटे-मोटे समूह आईएसआईएल-के के साथ खुद को संबद्ध कर लेंगे। रिपोर्ट में कहा गया, 'अफगानिस्तान में कुल पाकिस्तानी विदेशी आतंकवादी लड़ाकों की संख्या करीब 6,000 से 6,500 के बीच है, जिनमें से ज्यादातर का संबंध टीटीपी के साथ है और यह दोनों देशों के लिए खतरा पैदा करता है।'
अफगानिस्तान में कई आतंकी संगठन सक्रियरिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में कई अन्य आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं जिनमें से ज्यादातर तालिबान के तहत काम करते हैं लेकिन कुछ आईएसआईएल-के के साथ संबद्ध हैं। सदस्य राष्ट्रों के मुताबिक, अल-कायदा 12 अफगान प्रांतों में गुप्त रूप से सक्रिय है और इसका सरगना ऐमन अल-जवाहिरी देश में अड्डा डाले हुए है। निगरानी टीम का अनुमान है कि अफगानिस्तान में अल-कायदा लड़ाकों की कुल संख्या 400 से 600 के बीच है। निगरानी टीम का यह भी अनुमान है कि अफगानिस्तान में आईएसआईएल-के के मौजूदा सदस्यों की संख्या 2,200 है। इसका सरगना शेख मतिउल्ला कमाहवाल है जो पूर्व में कुनार में आईएसआईएल-के का सरगना था। इसके अलावा सीरियाई नागरिक अबु सईद मोहम्मद अल खुरासानी और शेख अब्दुल ताहिर भी शीर्ष पदों पर काबिज हैं। टीम को सूचित किया गया कि आईएसआईएल के दो वरिष्ठ कमांडर, अबु कुतैबह, और अबु हजर अल-इराकी पश्चिम एशिया से अफगानिस्तान पहुंचे।आईएसआईएल- के को कुनार में लगातार नुकसान हो रहा हैरिपोर्ट में कहा गया कि आईएसआईएल- के को कुनार में लगातार नुकसान हो रहा है जहां वह 2019 के अंत में नांगरहार प्रांत छोड़कर पहुंचा था। अप्रैल और मई में, अफगान विशेष बलों ने देशव्यापी अभियान चलाए जिससे आईएसआईएल-के का मुखिया असलम फारुकी, उसका पूर्ववर्ती जिया उल हक और अन्य वरिष्ठ सदस्यों समेत संगठन के कई नेताओं को गिरफ्तार किया जा सका था। कुछ सदस्य राष्ट्रों के मुताबिक, आईएसआईएल-के आईएसआईएल के मुख्य नेतृत्व दृष्टिकोण को लागू कर 'वैश्विक एजेंडा' पर आगे बढ़ना चाहता है जिसके तहत व्यापक क्षेत्र में आंतकवाद के प्रभाव को फैलाने के लिए अफगानिस्तान को एक अड्डे के तौर पर माना जाता है।पांच सरकारी नौकाओं को निशाना बनाया गया थारिपोर्ट में कहा गया, 'हालांकि क्षेत्र से पीछे हटने के बावजूद आईएसआईएल-के काबुल समेत देश के कई हिस्सों में हाई प्रोफाइल हमले करने में सक्षम है।' रिपोर्ट के अनुसार संगठन का मकसद उन तालिबान लड़ाकों को भी अपनी तरफ खींचना है जो अमेरिका के साथ हुए समझौते का विरोध करते हैं। निगरानी टीम को यह भी सूचित किया गया कि आईएसआईएल-के मालदीव में भी समर्थकों के नेटवर्कों के साथ काम करता है। संगठन ने 15 अप्रैल, 2020 को मालदीव में अपने पहले हमले का दावा किया था जिसमें पांच सरकारी नौकाओं को निशाना बनाया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, 'खबरें हैं कि एक्यूआईएस अपने पूर्व सरगना की मौत का बदला लेने के लिए क्षेत्र में जवाबी कार्रवाई की साजिश रच रहा है।' रिपोर्ट में कहा गया कि 'अफगानिस्तान में मौजूद सबसे बड़े आतंकवादी संगठन', तहरीक-ए-तालिबान पाकेस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तान में कई हाई प्रोफाइल हमलों की जिम्मेदारी ली है और जमात-उल-अहरार और लश्कर-ए-इस्लाम द्वारा किए गए अन्य हमलों में मदद की है। इसमें कहा गया कि टीटीपी के कई पूर्व आतंकवादी इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लैवेंट खुरासान (आईएसआईएल-के) में शामिल हो गए हैं और सदस्य राष्ट्रों को आशंका है कि संगठन और इसके विभिन्न छोटे-मोटे समूह आईएसआईएल-के के साथ खुद को संबद्ध कर लेंगे। रिपोर्ट में कहा गया, 'अफगानिस्तान में कुल पाकिस्तानी विदेशी आतंकवादी लड़ाकों की संख्या करीब 6,000 से 6,500 के बीच है, जिनमें से ज्यादातर का संबंध टीटीपी के साथ है और यह दोनों देशों के लिए खतरा पैदा करता है।'
अफगानिस्तान में कई आतंकी संगठन सक्रियरिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में कई अन्य आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं जिनमें से ज्यादातर तालिबान के तहत काम करते हैं लेकिन कुछ आईएसआईएल-के के साथ संबद्ध हैं। सदस्य राष्ट्रों के मुताबिक, अल-कायदा 12 अफगान प्रांतों में गुप्त रूप से सक्रिय है और इसका सरगना ऐमन अल-जवाहिरी देश में अड्डा डाले हुए है। निगरानी टीम का अनुमान है कि अफगानिस्तान में अल-कायदा लड़ाकों की कुल संख्या 400 से 600 के बीच है। निगरानी टीम का यह भी अनुमान है कि अफगानिस्तान में आईएसआईएल-के के मौजूदा सदस्यों की संख्या 2,200 है। इसका सरगना शेख मतिउल्ला कमाहवाल है जो पूर्व में कुनार में आईएसआईएल-के का सरगना था। इसके अलावा सीरियाई नागरिक अबु सईद मोहम्मद अल खुरासानी और शेख अब्दुल ताहिर भी शीर्ष पदों पर काबिज हैं। टीम को सूचित किया गया कि आईएसआईएल के दो वरिष्ठ कमांडर, अबु कुतैबह, और अबु हजर अल-इराकी पश्चिम एशिया से अफगानिस्तान पहुंचे।आईएसआईएल- के को कुनार में लगातार नुकसान हो रहा हैरिपोर्ट में कहा गया कि आईएसआईएल- के को कुनार में लगातार नुकसान हो रहा है जहां वह 2019 के अंत में नांगरहार प्रांत छोड़कर पहुंचा था। अप्रैल और मई में, अफगान विशेष बलों ने देशव्यापी अभियान चलाए जिससे आईएसआईएल-के का मुखिया असलम फारुकी, उसका पूर्ववर्ती जिया उल हक और अन्य वरिष्ठ सदस्यों समेत संगठन के कई नेताओं को गिरफ्तार किया जा सका था। कुछ सदस्य राष्ट्रों के मुताबिक, आईएसआईएल-के आईएसआईएल के मुख्य नेतृत्व दृष्टिकोण को लागू कर 'वैश्विक एजेंडा' पर आगे बढ़ना चाहता है जिसके तहत व्यापक क्षेत्र में आंतकवाद के प्रभाव को फैलाने के लिए अफगानिस्तान को एक अड्डे के तौर पर माना जाता है।पांच सरकारी नौकाओं को निशाना बनाया गया थारिपोर्ट में कहा गया, 'हालांकि क्षेत्र से पीछे हटने के बावजूद आईएसआईएल-के काबुल समेत देश के कई हिस्सों में हाई प्रोफाइल हमले करने में सक्षम है।' रिपोर्ट के अनुसार संगठन का मकसद उन तालिबान लड़ाकों को भी अपनी तरफ खींचना है जो अमेरिका के साथ हुए समझौते का विरोध करते हैं। निगरानी टीम को यह भी सूचित किया गया कि आईएसआईएल-के मालदीव में भी समर्थकों के नेटवर्कों के साथ काम करता है। संगठन ने 15 अप्रैल, 2020 को मालदीव में अपने पहले हमले का दावा किया था जिसमें पांच सरकारी नौकाओं को निशाना बनाया गया था।