AajTak : Sep 15, 2020, 01:34 PM
अमेरिका तालिबान | एक वक्त वो था, जब अमेरिका तालिबान को हर हाल में खत्म करना चाहता था। अब अमेरिका उसी तालिबान के सामने बैठकर बात कर रहा है और चाहता है कि इस अंतहीन लड़ाई का अंत किसी समझौते से हो जाए। अमेरिका ने 9/11 के हमले के बाद अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ जिस लड़ाई की शुरुआत की थी, अब वो हारता दिख रहा है।कतर की राजधानी दोहा में अफगानिस्तान और तालिबान के बीच वार्ता चल रही है। इसी वार्ता की एक तस्वीर पाकिस्तान में खूब वायरल हो रही है। इस तस्वीर में अमेरिकी विदेश मंत्री मााइक पॉम्पियो हैं और एक तालिबानी नेता अपने पारंपरिक लिबास में। पाकिस्तान में इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया जा रहा है और टिप्पणी की जा रही है कि अमेरिका तालिबान से शांति की भीख मांग रहा है।पॉम्पियो और तालिबानी नेता की तस्वीर को लेकर पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता ख्वाजा आसिफ का ट्वीट सबसे ज्यादा चर्चा में है। दरअसल, ख्वाजा आसिफ ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और तालिबान नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की एक तस्वीर ट्वीट की थी और साथ ही उन्होंने लिखा था, 'ताकत आपकी और अल्लाह हमारा। अल्लाहू अकबर। पिछली पीएमएल-एन सरकार के दौरान, ख्वाजा आसिफ पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री भी रहे हैं। कई पाकिस्तानियों ने इसका समर्थन किया और कहा कि अमेरिका आज तालिबान के सामने झुकने को मजबूर हो गया है।पाकिस्तान के एक ट्विटर यूजर इमरान शहज़ाद ने लिखा है, ''पॉम्पियो अब शांति की भीख मांग रहे हैं ताकि अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से अपनी इज्जत बचाकर निकल सके।'' पॉम्पियो के साथ इस तस्वीर में तालिबान के राजनीतिक प्रतिनिधि मुल्ला बिरादर हैं। मोहम्मद शफीक खान ने ट्वीट किया है, ''विदेश मंत्री पॉम्पियो आपको जानना चाहिए कि पाकिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री और पूर्व विदेश मंत्री आसिफ ख्वाजा ने क्या कहा है। अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए और विदेश मंत्रालय को पता होना चाहिए कि अमेरिका और अफगानिस्तान की दुनिया में क्या चल रहा है। दुनिया की सबसे ताकतवर आर्मी को पाकिस्तान ने हरा दिया है? इस तस्वीर को खुद ही देखिए।आईएसआई पाक प्राइड नाम के एक ट्विटर हैंडल से दोहा वार्ता की एक अन्य तस्वीर को लेकर ट्वीट किया गया, हजारों शब्द के बराबर एक और तस्वीर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी अफगान शांति वार्ता को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के साथ चर्चा कर रहे हैं। दोनों विदेश मंत्रियों की बॉडी लैंग्वेज का अंतर साफ देखा जा सकता है। कुरैशी की चमकती हुईं आंखें!वहीं, सरकार के मंत्रियों सहित राजनीतिक दलों के कई नेताओं ने भी ख्वाजा आसिफ की आलोचना की। केंद्रीय मंत्री फवाद चौधरी ने ट्वीट किया, "और ख्वाजा आसिफ पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री थे।" पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सीनेटर फरहतुल्लाह बाबर ने लिखा, "तालिबानी हत्यारे की ऐसी परिभाषा समझ से बाहर है।" अवामी नेशनल पार्टी के पूर्व कार्यकर्ता बुशरा गोहर ने भी ट्विटर पर सवाल किया, "ख्वाजा साहब, क्या आपको थोड़ी भी शर्म आ रही है?अली सदुजाई सोशल मीडिया पर लिखते हैं, “एक बहुत ही गैरजिम्मेदाराना बयान। अफगानिस्तान आंतरिक रूप से उथल-पुथल में है और उसे खुद को ठीक करने की जरूरत है, जबकि पाकिस्तान को भी सभी अफगानों के साथ अपने संबंधों को जल्द बहाल करने की जरूरत है। हमें अफगानिस्तान के दोस्तों के रूप में देखा जाना चाहिए, तालिबान के दोस्तों के रूप में नहीं।”हालांकि, सोशल मीडिया पर 2017 में न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी कार्यक्रम में ख्वाजा आसिफ के भाषण का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा था, "हमारे और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि हम राजनीतिक और विदेश नीति के मामले में बहुत उदार हैं जबकि पीटीआई धार्मिक वर्गों की ओर झुकी हुई है।"सोशल मीडिया पर आसिफ ख्वाजा के तालिबान के महिमामंडन करने को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। कई पाकिस्तानी नेता और लोग इसे लेकर सवाल भी खड़े कर रहे हैं। कुछ यूजर्स ने लिखा, ख्वाजा की पार्टी पीएमएल-एन ने अभी तक न तो इस बयान से और न ही ख्वाजा आसिफ से दूरी बनाई है। इसका मतलब है कि यह PML-N का आधिकारिक रुख है।सोशल मीडिया पर ख्वाजा की आलोचना करते हुए डॉ। मुहम्मद ताकी लिखते हैं, "मैं याद दिला दूं कि ख्वाजा आसिफ ने कहा था कि तालिबान ने न केवल अफगानों को प्रताड़ित किया बल्कि पाकिस्तानी आतंकवादियों को भी पनाह दी, इन आतंकवादियों ने नवाज शरीफ को निशाना बनाया और कई पाकिस्तानियों को मार डाला।अफगानिस्तान के नजीब नांग्याल लिखते हैं, “पूर्व पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने इस तस्वीर को अमेरिकी हार बताया। क्या यह पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों का अंत है? क्या अब पाकिस्तान पर भरोसा करना बाकी रह गया है? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के असली चेहरे को बेनकाब करने और आतंकवाद को प्रायोजित करने वालों को कड़ी सजा देने का समय आ गया है। द्वंद्व को अब बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।