दुनिया / उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर UNSC में अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने लगाई चीन की क्लास

उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर चीन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर चीन को घेरा। चीन के शिंजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के साथ बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार किया जा रहा है। कई रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार उइगरों को खत्म करने पर अमादा है।

Zee News : Aug 27, 2020, 07:39 AM
जिनेवा: उइगर मुस्लिमों (Uighur minorities) के मुद्दे पर चीन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने (US, UK and Germany) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में इस मुद्दे पर चीन को घेरा। चीन के शिंजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के साथ बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार किया जा रहा है। कई रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार उइगरों को खत्म करने पर अमादा है। सुरक्षा परिषद में ‘काउंटर टेररिज्म’ विषय पर ब्रीफिंग के दौरान, अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने चीन को नसीहत देते हुए कहा कि राजनीतिक असंतोष को शांत करने के लिए वह आतंकवाद निरोधी नीति को हथियार के तौर पर इस्तेमाल न करे।


असंतोष दबाने का खेल

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि केली क्राफ्ट (Kelly Craft) ने कहा, ‘हम शिंजियांग की स्थिति को लेकर चिंतित हैं, आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर एक मिलियन से ज्यादा उइगर और अन्य मुस्लिमों को हिरासत में रखा गया है’। उन्होंने आगे कहा कि काउंटर टेररिज्म की आड़ में राजनीतिक असंतोष को दबाने, अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करने और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के प्रयास नहीं किये जाने चाहिए।   


ब्रिटेन के राजदूत ने दी सलाह

संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के राजदूत जेम्स रोसको (James Roscoe) ने भी चीन को हिंसावादी आदतों को छोड़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि उइगर मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ चीन में जो कुछ हो रहा है उसे लेकर हम चिंतित हैं। इसी तरह जर्मनी ने कहा कि आतंकवाद निरोधी कार्रवाई की आड़ में मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए।


आतंकवाद का खतरा बढ़ेगा

जर्मनी के राजदूत Günter Sautter ने कहा, ‘हमारी नजर में शिंजियांग प्रांत में मुस्लिमों के साथ जो कुछ हो रहा है वह अन्यायपूर्ण है। यदि लंबे समय तक ऐसा चलता रहता है, तो इससे आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ने का जोखिम भी बढ़ जाएगा। गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में, बीजिंग के नए सुरक्षा कानून को लेकर पहली बार UNSC में हांगकांग का मुद्दा उठाया गया था।